लखनऊ:- 200 साल पहले इस पेड़ से शुरू हुआ था दशहरी आम का सफर,जानिए मदर ऑफ मैंगो ट्री की दिलचस्प कहानी

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रिपोर्ट-अंजलि सिंह राजपूत

लखनऊ से सटे काकोरी में एक पुराना गांव है,जिसका नाम है दशहरी.दशहरी गांव की खासियत ये है कि यहां एक ऐतिहासिक पेड़ है,जो करीब दो से ढाई साल पुराना बताया जाता है.इस पेड़ का नाम दशहरी है.जी हां गांव का नाम भी दशहरी है और इस पेड़ का नाम भी.अब आप पूछेंगे कि यह नाम कैसे पड़ा? तो मैं आपको बता दूं कि गांव वालों का कहना है कि जब इस पेड़ पर पहली बार आम आया था तो गांव वालों ने मिलकर गांव के नाम पर उसका नाम दशहरी रख दिया था.तभी से दशहरी आम का जन्म हुआ और आज दशहरी आम लखनऊ की पहचान बन चुका है.दशहरी आम का स्वाद अन्य आमों से बेहद अलग होता है,तभी इसकी मांग सबसे ज्यादा होती है.गांववालों का कहना है कि इस पूरे गांव को समाजवादी सरकार ने गोद ले लिया था,तब काफी विकास हुआ था.वर्तमान सरकार में अगर इस पेड़ पर और इस गांव पर ध्यान दिया जाए तो यह एक बड़ा पर्यटन स्थल बन सकता है.इससे सरकार को भी लाभ होगा और गांव का विकास भी होगा.इसी गांव के निवासी रामचंद्र कहते हैं कि किसी को भी नहीं पता है कि यह पेड़ कितने साल पुराना है.लेकिन इस पेड़ के आम को बेचा नहीं जाता.

लोग इस पेड़ को चमत्कारी पेड़ भी मानते हैं

निवासी जाहिद अली कहते हैं कि पेड़ सालों साल पुराना है.बचपन से लेकर आज तक एक ही तरह का है,इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.वही गांव के निवासी छोटेलाल कनौजिया कहते हैं कि यह पेड़ दशहरी गांव की पहचान है.लेकिन कोई इस पेड़ की टहनी चुराकर मलिहाबाद ले गया था और उसने मलिहाबाद में दशहरी आम को प्रसिद्ध कर दिया.असल में दशहरी आम दशहरी गांव की पहचान है ना कि मलिहाबाद की.साथ ही उनका यह भी कहना है कि यह पेड़ चमत्कारी पेड़ है.एक टाइम था जब यह पेड़ पूरी तरह से सूख चुका था लेकिन फिर अचानक से हरा भरा हो गया.इसी प्रकार गांव वालों में अलग-अलग इस पेड़ को लेकर विचार हैं लेकिन यह पेड़ अद्भुत है.

बॉलीवुड से भी आते हैं लोग देखने इसे

गांव वालों ने बताया कि इस पेड़ को देखने के लिए बॉलीवुड इंडस्ट्री से कई बड़े अभिनेता भी आ चुके हैं.कई बड़े अधिकारी और विदेशों से भी लोग यहां पर आते हैं और फोटो खींच कर अपने साथ यादों के तौर पर इसे कैमरे में कैद करके लेकर जाते हैं.

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