यकीन नहीं होगा, एक खेत में 16 फसलें, फल-फूल-सब्जी-मसाले-अनाज एक साथ, गजब का है खेती में नया प्रयोग – News18 हिंदी

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रिपोर्ट-दर्शन शर्मा
सिरोही. परंपरागत तरीके से खेती किसानी अब पुरानी बात हुई. इस फील्ड में भी किसान नये नये प्रयोग कर रहे हैं. सिरोही में तो एक बीघा जमीन पर एक साथ फल-फूल-सब्जी,अनाज और मसाले तैयार उगा दिए. खेती में किसी तरह की रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता. खेती के साथ यहां कुटीर और डेयरी उद्योग भी चलाए जा रहे हैं. इस जगह का इतना नाम हो गया है कि अब दूर दूर से किसान यहां ट्रेनिंग लेने आ रहे हैं.

सुनकर यकीन नहीं होगा. देखने पर भी एक बारगी आंख पर यकीन करना मुश्किल होगा जब आप एक ही जगह एक साथ 16 तरह के फल-फूल-मसाले और सब्जियां उगते देखेंगे. वो भी सिर्फ एक बीघा जमीन पर. ये कमाल किया गया है सिरोही जिले में. यहां एक ऐसी जगह है जहां एक साथ फल, फूल, सब्जियां, मसाले समेत 16 तरह की अलग-अलग फसलें तैयार की गई हैं.

रासायनिक खाद को ना कहिए
ये दुर्लभ और देखने लायक जगह है अरावली की पहाड़ियों की तलहटी में बसे आबूरोड में.यहां करीब 1 बीघा जमीन पर आदर्श वाटिका बनायी गयी है. अपने नाम के अनुरूप सच में ये खेती के मामले में आदर्श है. ये वाटिका ब्रह्मकुमारी संस्थान ने खेती में नये प्रयोग के लिए तैयार की है. इस वाटिका के जरिए किसानों की तकदीर बदलने की देशव्यापी मुहिम चलाई जा रही है. सबसे अहम बात ये है कि इस वाटिका में किसी भी तरह की रासायनिक खाद या कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता.

देशभर के किसानों को ट्रेनिंग
इस दुर्लभ खेत की चर्चा अब रेगिस्तानी प्रदेश राजस्थान से निकलकर देश में होने लगी है. ट्रेनिंग के लिए देशभर से किसान यहां आ रहे हैं. ब्रह्मकुमारीज़ का कृषि ए‌वं ग्राम विकास प्रभाग यहां किसानों को तरह तरह की खेती के साथ दुग्ध डेयरी, कुटीर उद्योग, मिट्‌टी बर्तन उद्योग, मधुमक्खी पालन, कृषि औजार निर्माण की भी ट्रेनिंग देता है.

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
संस्थान की इस मुहिम का उद्देश्य देश में जैविक-यौगिक खेती, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है. उन्हें खेती के नये नये तरीके बताना है. मल्टी लेयर खेती, ड्रिप इरिग्रेशन की भी ट्रेनिंग उन्हें दी जाती है. हाल ही में उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से तीन बैच में 300 से ज्यादा उन्नतशील किसानों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. यौगिक पौधशाला में जैविक-यौगिक तरीके से किसानों को पौध तैयार करने की विधि और तकनीक सिखाई जाती है.

एक खेत 16 फसल
इस वाटिका में गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का की फसल लगाई गई है. खाद्य तिलहन उद्योग में मसूर, अलसी, सरसों यहां हो रहे हैं. भविष्य में यहां तेल प्लांट लगाकर किसानों को मौके पर ही तेल निकालने की ट्रेनिंग दी जाएगी. सब्जियों में ब्रोकली, टमाटर, मिर्च, बैंगन, पालक, धनिया, शलजम की एक-एक क्यारी लगाई गई है. औषधीय फसल में एलोवेरा, कलौंजी, सतावरी, इलाइची, अश्वगंधा यहां लगाया गया है.

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