मोती सागर ने बताया, अयोध्या राम मंदिर निर्माण पर क्या बोलते रामानंद सागर, कहा- वे अगर जीवित होते तो वहां…

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नई दिल्लीः देश व दुनियाभर में सबसे प्रसिद्ध रामायण के निर्माता रामानंद सागर के बेटे मोती सागर काफी लंबे वक्त बाद सुर्खियों में आए हैं. हाल ही में उन्होंने राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह का निमंत्रण मिलने पर आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में भाग लेना और आशीर्वाद लेना जीवन भर के लिए एक यादगार स्मृति रहेगी; उन्होंने मंदिर के निर्माण का श्रेय पीएम मोदी के प्रयासों को देते हुए समारोह के लिए की गई सावधानीपूर्वक व्यवस्था की भी सराहना की है.

राम मंदिर का निमंत्रण पाकर खुश हुए मोती सागर
मोती सागर ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, ‘यह बड़ा सौभाग्य है कि मुझे यह निमंत्रण मिला है. समारोह में शामिल होना और आशीर्वाद प्राप्त करना जीवन भर याद रहेगा…उन्होंने पहले से ही पूरे कार्यक्रम की व्यवस्था कर ली है…ताकि किसी को कोई समस्या न हो…यह मंदिर पीएम मोदी के प्रयासों से बनाया गया है.’ उन्होंने ये भी बताया कि अगर उनके पिता रामानंद सागर आज जीवित होते तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होती. उन्होंने कहा, ‘मैं आज बहुत खुश हूं. आज पीएम मोदी के प्रयासों से इतनी बड़ी घटना हो रही है; यह जीवन बदलने वाली उपलब्धि है. रामायण ने प्रसाद पका लिया था और मेरे पिता बहुत प्रसन्न होंगे. यदि वो आज जीवित होते तो वो वहां पहले जाते और कई बार जाते. उन्होंने राम की पूजा के लिए एक घर भी खरीदा लिया होता.

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मोती सागर ने कहा, श्रीराम ने हर रिश्ते का धर्म सिखाया है
मोती सागर ने यह भी कहा कि भगवान राम ने हर रिश्ते का धर्म सिखाया है – बेटे का धर्म माता-पिता के साथ, भाई का धर्म भाई के साथ, पिता का धर्म बच्चों के साथ, और उन लोगों का धर्म जो दुश्मन के साथ अपराध करते हैं. उन्होंने कहा, ‘पूरा रामायण देखने के बाद किसी को भी एहसास होगा कि राम सबके हैं.’ उन्होंने निष्कर्ष निकाला, ‘इस तरह की कई कहानियां हैं; हमें अलग-अलग धर्मों के लोगों से संदेश मिले क्योंकि दो भाइयों के बीच झगड़ा हुआ था और रामायण देखने के बाद उन्होंने एक-दूसरे के साथ शांति बना ली.

1987 में आई थी रामानंद सागर की रामायण
रामानंद सागर की ‘रामायण’ का पहला एपिसोड 25 जनवरी 1987 को प्रसारित हुआ था. शुरुआत में रामायण सीरीज में 45 मिनट के 52 एपिसोड शामिल करने की योजना बनाई गई थी. भारी मांग के कारण, इसे तीन बार बढ़ाना पड़ा और फिर 78 एपिसोड के बाद समाप्त करना पड़ा. 2000 में भारत सरकार ने सागर को पद्मश्री से सम्मानित किया. रामानंद सागर जैसी रामायण आज तक कोई नहीं बना सका और न ही शायद भविष्य में उस तरह के पात्रों को कोई संजो पाएगा.

23 जनवरी से आम जनता के लिए खुलेंगे मंदिर की कपाट
अब बात करते हैं अयोध्या के राम मंदिर के बारे में तो विशेष रूप से राम लला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए वैदिक अनुष्ठान मुख्य समारोह से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी को शुरू हो चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्री रामलला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान शुरू किया है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि राम मंदिर 23 जनवरी से आम जनता के लिए दर्शन के लिए खुला रहेगा. प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 1 बजे तक समाप्त होने की उम्मीद है. समारोह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौके पर मौजूद अन्य लोग अपने विचार व्यक्त करेंगे.

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