मुंबई आकर बदला था राइटर के बनने का नजरिया: आरती भट्ट

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नई दिल्ली:उत्तराखंड की निपुण लेखिका और सहायक निर्देशक आरती भट्ट आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. अपने अब तक के करियर में उन्होंने जन हिट मैं जारी, चिकन करी लॉ, 100 ड्रेसेस और भागते रहो जैसी कई फिल्मों के लिए काम किया है. उनका अब तक का करियर बेहद शानदार रहा है. लेकिन आरती ने राइटर बनने का ही सपना क्यों देखा? आखिर ऐसा क्या खास था जो उन्होंने इसमें करियर बनाने का मन बनाया? आइए जानते हैं खुद आरती भट्ट की जुबानी.

जानी मानी टेलीविजन लेखक रघुवीर शेखावत के साथ काम करने के दौरान, वह एक पॉकेट एफएम लेखक से मिलीं, जिन्होंने उन्हें ऑडियो सीरीज में हाथ आजमाने के लिए प्रोत्साहित किया. हिंदी में लिखने की उनकी दीवानगी उनके काम में साफ दिखाई देती हैं. उन्होंने कई हिट शो का निर्माण किया है, जिसमें लोकप्रिय श्रृंखला जिया धड़क धड़क भी शामिल है.

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न्यूज 18 हिंदी से हुई बातचीत में आरती से जब पूछा गया कि उन्हें राइटिंग में करियर बनाने का ख्याल कैसे आया तो लेखिका बताती हैं, ‘ मेरे समय में जहां से मैं हूं वहां लड़कियों के डॉक्टर या इंजीनियर बनने के बारे में उस समय कम ही सोचा जाता था. शुरुआत से ही मुझे आर्टिकल और कहानियां देखकर बहुत अच्छा लगता था मैं सोचती थी कि कभी मैं भी लिखूंगी. लेकिन जब मैंने कई राइटर्स के बारे में पढ़ा तो मैं भी डर गईं थीं किसी को आर्थिक तंग, किसी के पास घर नहीं था. लेकिन जब मुंबई आई तो देखा कि राइटर की जिंदगी काफी अच्छी होती है.

राइटर बनने पर पैरेंट्स का कैसा था रिएक्शन. इसके जवाब में आरती बताती हैं, ‘ उन्हीं के सपोर्ट से मुंबई आई थी. लेकिन उस वक्त वो भी इस प्रोफेशन के बारे में ज्यादा जानते नहीं थे. लेकिन जब आज किसी से सुनते हैं कि आपकी बेटी राइटर हैं, तो उन्हें मुझ पर बहुत प्राउड फील होता है.’

राइटिंग के प्रोफेशन को लोग ज्यादा सीरियस नहीं लेते. आपने कभी इस चीज को फेस किया है. पूछने पर बताती हैं, ‘ एक राइटर जब तक फेमस नहीं होता तब तक ना कोई सीरियस नहीं लेता. बहुत अच्छी कमाई जब तक वो ना कर लें. मैं इस चीज के लिए पॉकेट एफएम का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी जो मुझे बहुत अच्छे-अच्छे चांस दे रहा है और भी बाकी बहुत सारे राइटर्स पॉकिट एफएम के लिए लिखकर काफी खुश हैं.

सिनेमा में अक्सर माचोमैन वाले कहानियों का ज्यादा पसंद किया जाता रहा है. ऐसे में मेल राइटर्स को ज्यादातर अप्रोच किया जाता है. ऐसे में आप इसमें फीमेल राइटर्स की इंपॉर्टेंस कैसे देखते हो. वह बताती हैं,’ किसी भी काहनी को लिखते समय अगर हम उसकी आत्मा को डालना भूल जाए, तो ऑडियंस उससे कनेक्ट नहीं करेगी. सिर्फ लिख देने मात्र से काम नहीं चलेगा. एक राइटर को अपने अहसास को अपने शब्दों में बयां करना होता है. क्योंकि पढ़ने वाला आपके उस अहसास से ही कनेक्ट कर पाएगा कि आप अपने लेखन के जरिए उसे क्या बताना चाहते हैं. मुझे नहीं लगता उसे कोई मेल राइटर या फीमेल राइटर ही लिखेंगे तो वह हिट होंगे.लिखने वाले का वो अहसास होना बहुत जरूरी है.

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