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रूपांशु चौधरी/हजारीबाग. रमजान का पाक महीना चल रहा है. रमजान के महीने में कई प्रकार के पकवान बनाएं और खाए जाते हैं. रमजान के महीने में सहरि के समय रोजदार बकरखानी खाते है. यूं तो बकरखानी की शुरुवात बांग्लादेश में हुई था.लेकिन, अब इसके दीवाने पूरे भारत भर में देखने को मिलते है. बकरखानी अब समाज का हिस्सा सा बन चुका है. हजारीबाग के जामा मस्जिद रोड में इसी बकरखानी के लिए जाना है यहां लगभग आधा दर्जन बेकरी में पूरे रमजान के महीने यह बकरखानी मिठाई बनते रहता है.
इसी गली में गोल्डन बेकरी के संचालक मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि इस गली में पिछले लगभग 100 सालो से कई प्रकार के बकरखानी, श्रीमाल, पाव, टोस्ट यादि बनते आ रहा है. धीरे धीरे यहां एक दुकान से कई दुकान हो गए. रमजान के पूरे महीने में बकरखानी, श्रीमाल का सेल अधिक रहता है. सहरि में लोग बकर खानी और श्रीमाल कहते हैं.
यहां बकर खानी 10 रुपये से लेकर 120 रुपये में
उन्होंने आगे बताया कि अभी दुकान में रोजाना 1 क्विंटल मैदे के बेकर खानी और 1 क्विंटल मैदे का श्रीमाल बनाया जा रहा है. यहां बनाया हुआ श्रीमाल गिरिडीह रामगढ़ कोडरमा आदि जिलों में सप्लाई भी किया जाता है. बकर खानी की शुरुआत 10 रुपए पीस से हो जाती है. वहीं, 120 रुपए तक के बकरखानी दुकान में उपलब्ध है. बकरखानी की कीमत उसके साइज और उसमें डाला गया हुआ पर पर तय होता है. बाकरखानी बनाने के लिए सर्वप्रथम मैदा, ईस्ट, रिफाइन और पानी के मदद से मैदा गूंथ कर तैयार किया जाता है. फिर, लगभग आधे घंटे तक ईस्ट को फुलने दिया जाता है. और फिर मैदे को छोटे छोटे आकार में बेलकर उसमें मावा नारियल कई प्रकार के ड्राई फ्रूट्स भरे जाते हैं. फिर उसे अच्छे से गार्निश कर 180 फॉरेनहाइट में भट्टी में लगभग 5 मिनट पकाया जाता है. अंत में उसके ऊपर देशी घी से पॉलिश की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : March 20, 2024, 20:25 IST
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