कैसे एक डिलीवरी बॉय की वजह से खड़ा हुआ 34000 करोड़ रुपये का बिजनेस, 3 महीने में बनाया 2325 करोड़ का रेवेन्यू

[ad_1]

हाइलाइट्स

डेल्हीवरी के 15 फंडिंग राउंड हो चुके हैं.
इसके संस्थापकों में अधिकांश इंजीनियर्स हैं.
कंपनी अब कई सेक्टर्स में डिलीवरी सर्विस दे रही है.

नई दिल्ली. बिजनेस आईडिया कब और कहां मिल जाए यह किसी को नहीं पता होता. डेल्हीवरी का आईडिया भी एक डिलीवरी बॉय की वजह ही आया था. डेल्हीवरी डिलीवरी सर्विस देने वाली कंपनी है जिसकी स्थापना 2011 में 2 लड़कों ने की थी. साहिल बरुआ और सूरज सहारन इस कंपनी के शुरुआती संस्थापकों का नाम है. हालांकि, अब संस्थापकों की सूची में कुछ और लोग भी हैं. जिनके बारे में आप आगे जानेंगे. डेल्हीवरी 2019 में ही यूनिकॉर्न बन गई थी. आज यह कंपनी मार्केट में लिस्टेड और इसका मार्केट कैप 341 अरब रुपये या 34000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है.

यह कंपनी भारत के लीडिंग स्पलाई चेन सर्विसेज में से एक है. कंपनी बिजनेस टू बिजनेस, बिजनेस टू कस्टमर और कस्मटर टू कस्मटर हर क्षेत्र में काम करती है. कंपनी कम कीमतों पर डिलीवरी सर्विस देती है. कंपनी की शुरुआत की कहानी बेहद दिलचस्प है.

ये भी पढ़ें- 250 रुपये से शुरू हो जाएगी एसआईपी! सेबी प्रमुख ने राइजिंग भारत में कहा- चल रहा इस पर काम

कैसे हुई कंपनी शुरू?
खबरों के अनुसार, एक बार सूरज और साहिल ने किसी रेस्टोरेंट से कुछ ऑर्डर किया. जब डिलीवरी बॉय खाना लेकर आया तो उन्होंने उससे कुछ बातचीत की जिससे पता चला कि वह जल्द ही जॉबलेस हो जाएगा क्योंकि रेस्टोरेंट बंद होने वाला है. वे दोनों फिर रेस्टोरेंट मालिक के पास पहुंच गए. वहां जाकर उन्होंने सारे डिलीवरी बॉय्ज को हायर कर लिया. साहिल और सूरज को दिखा रेस्टोरेंट के बीच डिलीवरी नेटवर्क की भारी कमी है और वह यह सेवा बेहतर तरीके से देख सकते हैं. उन्होंने इसलिए रेस्टोरेंट के सारे डिलीवरी बॉय्ज हायर किए और अपनी कंपनी की यूसीएपी 1 घंटे कें अंदर डिलीवरी को बनाया. बाद में दवा रिटेलर्स भी उनसे जुड़ गए.

delhivery success story how cofounder and suraj sahil had idea from a delivery guy company now worth 341 billion rupees

बाद में जुड़े और संस्थापक
मोहित टंडन, भावेश मंगलानी और कपिल भारती भी को-फाउंडर के तौर पर कंपनी से जुड़ गए. इनमें से लोग इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हैं और आईआईटी ग्रेजुएट्स हैं. डेल्हीवरी अब तक 15 राउंड की फंडिंग के जरिए 1.69 अरब डॉलर जुटा चुका है. 2011 में शुरू हुई कंपनी 2019 में यूनिकॉर्न बन गई थी. यूनिकॉर्न वह कंपनी होती है जिसकी मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर से अधिक हो.

कंपनी की वित्तीय स्थिति
कंपनी ने जारी वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में 2325 करोड़ रुपये का रेवेन्यू प्राप्त किया और इसका प्रॉफिट 12 करोड़ रुपये रहा. वहीं इससे पिछली तिमाही के आंकड़े देखें तो रेवेन्यू 2043 करोड़ रुपये रहा. कंपनी को इस तिमाही में -103 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. कंपनी के शेयर अभी 460 रुपये से कुछ अधिक पर हैं.

Tags: Business ideas, Indian startups, Success Story

[ad_2]

Source link