Kota Ka Raja is the first choice of the people of Kota. Thick sev (kadke) are prepared in linseed oil, the taste is spic – News18 हिंदी

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रिपोर्ट-शक्ति सिंह
कोटा. भारतीय संस्कृति की धरोहर में त्योहारों और उत्सवों का हमेशा महत्व रहा है. दिवाली से लेकर होली तक सभी त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं. रंगों का त्यौहार होली आज देश भर में बड़े धूमधाम से मनाया गया. इस त्योहार पर ज़्यादातर राज्यों में हर शहर, नुक्कड़ और हर गली में ‘बुरा न मानो होली है’ की गूंज सुनाई देती है. लोग टोलियां बनाकर सड़कों पर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और ढ़ोल की धुनों पर थिरककर होली का जश्न मनाते हैं.

एजुकेशन सिटी कोटा देश भर में मेडिकल और इंजीनियरिंग की फैक्ट्री के नाम से जानी जाती है. पढ़ाई के साथ-साथ यहां खाने की भी कई चीजें विश्व भर में प्रसिद्ध हैं. होली स्पेशल पर हम आपको चखवा रहे हैं कोटा के कड़के सेव. होली पर नमकीन और मोहन जी के सेव (कड़के) की डिमांड ज्यादा हो जाती है. यहां की एक सवा सौ साल पुरानी दुकान पर अलसी के तेल में बेसन में मसाले के साथ ये कड़के सेव तैयार करते हैं. कोटा के ये चटखारेदार सेव खाने के शौकीन लोगों के बीच काफी फेमस हैं.

सवा सौ साल पुरानी दुकान
राजस्थान का हर शहर खानपान को लेकर अपनी अलग पहचान रखता है. अगर बात कोटा की हो तो, यहां के तीखेपन और हींग वाले नमकीन आइटम के जायके का स्वाद पूरे राजस्थान में फेमस है. खासकर यहां की मोटी नमकीन, जिसे स्थानीय भाषा में कड़का कहा जाता है. यह कड़का वैसे तो कोटा के हर हलवाई की दुकान पर बनते हैं. ​लेकिन बात जब सबसे स्वादिष्ट कड़कों की आए तो सबसे पहला नाम आम आता है, मोहनजी के कड़कों का. शहर रामपुरा में स्थित मोहनजी सेव भंडार पर कड़के बनाने की शुरुआत करीब सवा सौ साल पहले हुई थी.

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15 घंटे में तैयार होते हैं कड़के
मोहन सैनी ने बताया सन 1902 में बालाजी सैनी ने बेसन के कड़के (मोटे नमकीन) बनाने की शुरुआत की थी. अब उनके 73 साल के पोते मोहन सैनी ये कर रहे हैं. मोहन सैनी ने बताया उनके यहां भट्टी पर शुद्ध अलसी के तेल में कड़के तैयार किए जाते हैं. कड़के का आटा तैयार करने और उस आटे की सिकाई में करीब 12 से पंद्रह घंटे लग जाते हैं. इसके बाद सेंके हुए कड़कों को फ्राई किया जाता है. एक किलो कड़कों की कीमत 240 से 280 रुपए है.

अटलजी और भैरोसिंह शेखावत ने भी लिया जायका
मोहन सैनी ने बताया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत जब भी कोटा आते ​थे, यहां के पूर्व सांसद दाऊदयाल जोशी उनके लिए कड़के खरीदकर ले जाते थे. इतना ही नहीं उस समय सांसद रहे दाऊदयाल जोशी जब भी दिल्ली जाते तो बड़े नेतााओं के लिए उनकी दुकान से आकर कड़के खरीदकर ले जाते थे.

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