Happy Birthday Poha! पोहा दिवस पर जानें इंदौरी पोहे के शुरू होने की दिलचस्प कहानी

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राहुल दवे/ इंदौर : मध्य प्रदेश की मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर और पोहा एक दूसरे की पहचान भी बन गए हैं .लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंदौर में पोहे की शुरुआत कैसे हुई और कैसे इंदौरी पोहा देश भर में मशहूर हो गया. चलिए आपको बताते हैं इसका रोचक इतिहास.

पोहे के प्रसिद्ध होने के पीछे कई सारी कहानियां हैं. वैसे सबसे अधिक खपत महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ही पोहे की होती है. कहा जाता है कि वह इंदौर में देश के आजादी के करीब 2 साल बाद आ गया था. सन 1950 में रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र निवासी पुरुषोत्तम जोशी इंदौर आए यहां उनकी बुआ रहती थी. उन्हें इंदौर ऐसा भाया कि यहीं के होकर रह गए. उन्होंने ही सबसे पहले इंदौरियों को पोहे का जायका चखाया. तिलक पथ पर उपहार गृह नाम से दुकान खोली, उससे पहले इंदौर में पोहा बेचने वाली कोई और दुकान नहीं हुआ करती थी. तब 10 से 12 पैसे प्लेट की दर पर पोहा मिलता था जो आज 15 से 25 रूपये तक पहुंच चुका है.

100 टन रोज होती है पोहे की खपत
इंदौर में रोज करीब 100 टन से ज्यादा पोहे को खपत होती हैं. जो अपने आप में रिकॉर्ड है. लेकिन इंदौर में पोहा कल्चर की शुरुआत आज पूरे इंडिया में हो गई. यह कहना गलत नहीं होगा कि हर वर्ग के लोगों की पहली पसंद है .ऐसा हो ही नहीं सकता कि जो एक बार इंदौर का पोहा खा ले और उसकी तारीफ ना करें . लोग जब विदेशी दौरे पर जाते हैं तो इंदौर का पोहा पैक करा कर ले जाते हैं क्योंकि उन्हें कहीं भी ऐसा स्वाद नहीं मिलता है.

कई नामों से जाना जाता है पोहा
7 जून को इंदौर में विश्व पोहा दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने की शुरुआत इंदौरी कलाकार राजीव नेमा द्वारा की गई. पोहे को अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है .मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में पोहे के नाम से जाना जाता है तो कोई इसे पीटा चावल और चपटा चावल भी कहता है. बंगाल ,असम में चिड़ा, तेलगु में अटूकुलू, गुजराती में पौआ के नाम से भी जाना जाता हैं.

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FIRST PUBLISHED : June 07, 2023, 23:03 IST

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