Explained: ‘बृजभूषण सिंह के खिलाफ केस वापस नहीं ले सकती नाबालिग…’ सीनियर वकील ने समझाया पूरा कानून

[ad_1]

नई दिल्‍ली. भारतीय कुश्‍ती महासंघ के अध्‍यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के मामले में मंगलवार को खबर आई कि पीड़ित नाबालिग पहलवान ने अपना केस वापस ले लिया है. हालांकि पीड़िता के पिता ने इस सभी खबरों का खंडन किया है. उनका कहना है कि वो अंत तक लड़ेंगे. इस मामले में कंफ्यूजन की स्थिति तब पैदा हुई जब इंडियन एक्‍सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बचाया कि नाबालिग पहलवान ने मजिस्‍ट्रेट के समक्ष नया बयान दर्ज कराकर केस वापस लेने के लिए कहा है. शिकायत वापस लेने के कानूनी पहलू क्‍या है? आइये जरा इसे समझते हैं.

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्‍ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की है. पहली एफआईआर नाबालिग पहलवान के बयान के आधार पर पॉक्‍सो एक्‍ट के तहत दर्ज की गई. दूसरी एफआईआर महिलाओं की अस्मिता को भंग करने से जुड़ी है. हालांकि अभी किसी भी मामले में दिल्‍ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया है.

क्‍या सच में केस वापस ले सकती है पीड़िता?
वरिष्‍ठ वकील और सोशल एक्टिविस्‍ट वृंदा ग्रोवर ने इस पूरे प्रकरण को सरल भाषा में समझाया. द न्‍यूज मिनट से बातचीत में उन्‍होंने कहा, ‘अगर नाबालिग मजिस्‍ट्रेट के समक्ष अलग बयान दे दे या फिर अपनी शिकायत व एफआईआर वापस लेने के लिए कहे तब भी ऐसा हो पाना एक भ्रांति से ज्‍यादा कुछ नहीं है. इस तरह की रिपोर्ट लोगों के मन में कंफ्यूजन पैदा करती हैं.’

शिकायत नहीं ली जा सकती वापस
नाबालिग के द्वारा मजिस्‍ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत नया बयान दर्ज करने की खबर सामने आई थी. हालांकि इसे लेकर वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘164 के बयान के काफी मायने होते हैं क्‍योंकि ये मजिस्‍ट्रेट के सामने दिया जाता है और इसपर पीड़ित के हस्‍ताक्षर भी होते हैं. इस बयान को भी ट्रायल के दौरान एग्‍जामिन किया जाएगा ताकि सच्‍चाई का पता लगाया जा सके. कोई भी शिकायतकर्ता अपने पिछले बयान के मुकाबले आगे चलकर विरोधाभासी बयान दर्ज नहीं करा सकती है और शिकायत वापस नहीं ले सकती है. मीडिया में कानून का गलत मतलब निकालकर बताया जा रहा है जो काफी कफ्यूजिंग भी है.’

पुलिस पीड़िता के पक्ष में अंत तक लड़ने को है मजबूर
वरिष्‍ठ वकील ने कहा, ‘इससे फर्क नहीं पड़ता क‍ि शिकायतकर्ता कितने बयान देती है. उसे विटनेस बॉक्‍स में आना होगा और शपथ लेते हुए अपना पक्ष रखना होगा. इस मामले में पीड़िता नाबालिग है. ऐसे में उसकी प्राइवेसी का अतिरिक्‍त ख्‍याल रखा जाएगा. उसके बयान को अदालत परखेगी और उसकी वैधता पर भी गौर करेगी. लिहाजा शिकायत वापस लेने से फर्क नहीं पड़ता है. एक बार आपराधिक मामले में शिकायत दर्ज हो गई तो फिर इसपर अदालत ही फैसला लेगी. अपराध को समाज के लिहाज से गलत माना जाता है. ऐसे में अभियोजन पक्ष की यह जिम्‍मेदारी है कि वो अपराधी के खिलाफ अदालत के समक्ष मुकदमा चलाए.’

‘उच्‍च पदों पर बैठे आरोपी साक्ष्‍यों के साथ कर सकते हैं खिलवाड़’
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस तरह के मामले में जब आरोपी काफी रसूखदार हो तो उसकी गिरफ्तारी काफी अहम हो जाती है. ‘आरोपी अपनी शक्ति का इस्‍तेमाल कर साक्ष्‍यों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है. कोई भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्‍तर पर इतना पावरफुल नहीं हो सकता जितना इस केस में बृजभूषण सिंह हैं. हम पहले ही देख चुके हैं कि कैसे अबतक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है. इससे ना सिर्फ विरोध कर रहे पहलवानों की जिंदगी प्रभावित हो रही है बल्कि खेलों में महिलाओं की मौजूदगी को लेकर उनके मनोबल पर भी असर पड़ रहा है. इससे ज्‍यादा धमकाने को लेकर आप क्‍या समझेंगे कि महिला अपनी शिकायत वापस लेने को मजबूर हो गई है.’

Tags: BJP MP Brijbhushan Sharan Singh, Wrestling Federation of India

[ad_2]

Source link