Chanakya Niti these 5 things of destiny decided before birth birth chanakya life mantra

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Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने सुकून से जीने के लिए अपने नीति ग्रंथ में सैकड़ों नीतियों का उल्लेख किया है. उन्होंने अपने नीति ग्रंथ में बताया है कि किस तरह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में पांच बातें उसके जन्म लेने से पहले निर्धारित हो जाती हैं. साथ ही वह यह भी बताते हैं कि किस तरह कर्म इसमें परिवर्तन भी किया जा सकता है. आइए जानते हैं कि वह कौन सी पांच बातें हैं जो जन्म से पूर्व ही निर्धारित हो जाती हैं. आचार्य चाणक्य अपने नीति ग्रंथ के चौथे अध्याय के पहले श्लोक में कहते हैं-

आयुः कर्म च विद्या च वित्तं निधनमेव च .
पञ्चैतानि विलिख्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ॥

चाणक्य के इस श्लोक का मतलब है कि आयु, कर्म, धन-संपत्ति, विद्या और मौत, ये पांच चीजें उसी समय निर्धारित हो जाती हैं, जब मनुष्य गर्भ में आता है. सामान्य तौर पर इसमें कोई बदलाव नहीं होता.

कर्म को नकारा नहीं जा सकता

चाणक्य आगे यह भी कहते हैं कि कर्म मतलब पुरुषार्थ को नकारा भी नहीं जा सकता. यही सबके मूल में है. जिसे प्रारब्ध कहते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति का प्रथम कर्तव्य कर्म करना है. वह कहते हैं, देखने में आता है कि यदि संकल्पपूर्वक किए गए कर्म से इन सबमें भी बदलाव किया जा सकता है.

इसी के आगे चाणक्य एक और श्लोक कहते हैं-

धर्मार्थकाममोक्षेषु यस्यैकोऽपि न विद्यते.
जन्म-जन्मनि मत्र्येषु मरणं तस्य केवलम्..

इसका मतलब है कि मनुष्य का जीवन चार मुख्य उद्देश्यों के लिए बनाया गया है, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. जिसे इन चारों में से एक भी चीज नहीं मिल पाती उसका जन्म केवल मरने के लिए ही हुआ है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कर्म करके ही संपत्ति अर्जित करनी चाहिए.

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