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‘जो जीता वही सिकंदर (22 मई 1992)’ के बाद आयशा के हाथ ‘खिलाड़ी (05 जून 1992)’, ‘माशूक (10 जुलाई 1992)’, ‘बलमा (01 जनवरी 1993)’, ‘कोहरा (08 अक्टूबर 1993)’, ‘मेहरबान (23 जुलाई 1993)’, ‘रंग (09 जुलाई 1993)’, ‘वक्त हमारा है (02 जुलाई 1993)’ और ‘संग्राम (18 जून 1993)’ जैसी शानदार फिल्में लगी. इन फिल्मों ने आयशा के करियर को नई ऊंचाई दी.
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