1 बीज से 1,00,000 दाने, व्रत में सबसे प्रिय भोजन, किसानों का ATM है यह फसल, भगवान राम को भी पसंद!

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देश में परंपरागत रूप से कई ऐसी फसलों की खेती की जाती है जो सेहत के साथ-साथ किसानों की आय के लिए बहुत अच्छी होती है. हालांकि, गेहूं, धान, मक्का जैसी नकदी फसलों की तरह इनकी व्यापक रकबे में खेती नहीं की जाती. आज एक ऐसी ही फसल की चर्चा, जो मात्र एक ग्राम बीज में 10 किलो तक की पैदावार देती है. बाजार में इस फसल का भाव करीब 200 रुपये किलो है. यानी एक ग्राम बीज से करीब 2000 रुपये की फसल प्राप्त की जा सकती है. ऐसे में अनुमान लगाइए कि 100 ग्राम बीज से इस फसल की कितनी पैदावार हो सकती है. आप मात्र 100 ग्राम बीज से लाखों की फसल पैदा कर सकते हैं. इतना ही नहीं इस फसल के लिए आपको न तो बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती है और न ही बहुत ज्यादा रासायनिक उर्वरक की.

4-5 माह में फसल तैयार
दरअसल, अपने देश में इस फसल को फल की श्रेणी में रखा गया है. व्रत रखने वाले लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं. इसे भगवान राम का पसंदीदा भोजन भी करार दिया जाता है. आइए अब आपको इस फसल का नाम भी बता देते हैं. इसका नाम है रामदान. इसे अंग्रेजी में अमरांथ (Amaranth) कहा जाता है. इसके दाने बेहद सूक्ष्म होते हैं. इतने सूक्ष्म कि अगर कहीं इसके कुछ दाने बिखेर दिए जाएं तो इन्हें नग्न आंखों से देखना मुश्किल हो जाता है.

इस बारे में सिवान जिले के ओरमा गांव के किसान मनीष कुमार बताते हैं कि अगर कोई थोड़े सी जमीन पर भी इस फसल की खेती कर ले तो उसे ठीक-ठाक कमाई हो जाती है. मनीष बताते हैं कि आमतौर पर इलाके में लोग इस फसल की खेती अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए करते हैं. पूजा-पाठ या तीज-त्योहार में रामदाने को भूनकर दूध या दही के साथ खाने का प्रचलन है. इसको फल माना जाता है. यह व्रत करने वाले लोगों का मुख्य अहार होता है. भूनने के बाद यह और भी हल्का हो जाता है. इतना हल्का की फूंक मारने भर से पूरे दाने बिखर जाते हैं.

रामदाने के फायदे
रामदाने को सुपर फूड की श्रेणी में रखा गया है. यह पूरी तरह के ग्लूटेन फ्री होता है. ग्लूटेन आमतौर पर गेहूं अन्य आनाजों में पाया जाता है. कुल मिलाकर यह एक ऐसा फल है जो दिखता तो अनाज की तरह है लेकिन इसमें कोई भी नुकसानदायक तत्व नहीं पाया जाता है. गेहूं या जौ में प्रोटीन के साथ कई अन्य चीजें पाई जाती हैं जो कई लोगों को नहीं पचती. इस फल में खास तेल और फाइटोस्टेरोल्स पाया जाता है जो इंसान के शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल- एलडीएल और ट्राइग्लिसेराइड्स को भी कम करता है. इसके साथ ही डायबिटीज, दिल की बीमारी और कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने में भी ये काफी कारगर है. भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण विभाग की वेबसाइट के मुताबिक रामदाने में बेहद उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन पाया जाता है.

मनीष बताते हैं कि इलाके में बहुत कम लोग इसकी अलग से खेती करते हैं. वे इसे सहफसली के रूप में बोते हैं. इसकी बुआई अक्टूबर-नवंबर में रवि फसल के साथ होती है. करीब चार माह में इसके पौधों में फल लग जाते हैं. मार्च तक फसल तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि इसके बीज इतने सूक्ष्म होते हैं कि 100 ग्राम बीज में करीब एक एकड़ खेत में फसल बोई जा सकती है. फसल बोते समय मिट्टी को भुरभुरा बनाकर बीज में मिलाया जाता है ताकि बीज को मुट्ठी में भरकर छिंटना आसान हो जाए. ऐसा नहीं करने पर एक ही जगह पर बहुत सारे बीज पड़ जाएंगे.

Tags: Farming in India, Success Story

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