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हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच घटनाओं पर जताई चिंता
कहा- धर्म को राजनीति से अलग करना जरूरी
इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को हेट स्पीच की घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा है कि हेट स्पीच से निजात पाने के लिए धर्म को राजनीति से अलग करना होगा. आपसी भाईचारे में दरारें आ गई हैं. जब तक राजनीति को धर्म से अलग नहीं किया जाएगा तब तक इस पर लगाम नहीं लगाई जा सकती. शीर्ष अदालत ने कहा कि, ‘हेट स्पीच शुद्ध रूप से ‘राजनीति’ है.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘लोग समाज के सदस्यों को अपमानित न करने का संकल्प क्यों नहीं ले सकते? राज्य नपुंसक, शक्तिहीन हो गए हैं और कार्य समय पर नहीं करते. अगर यह चुप हैं तो इन्हें एक राज्य क्यों होना चाहिए?’
सुप्रीम कोर्ट की बेंच एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने महाराष्ट्र सरकार से शीर्ष अदालत के आदेशों के बावजूद हिंदू संगठनों द्वारा नफरत भरे भाषणों को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर जवाब देने के लिए कहा है. अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘धर्म को राजनीति से मिलाना हेट स्पीच का स्रोत है. राजनेता सत्ता के लिए धर्म के इस्तेमाल को चिंता का विषय बनाते हैं. इस असहिष्णुता, बौद्धिक कमी से हम दुनिया में नंबर एक नहीं बन सकते. अगर आप सुपर पावर बनना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको कानून के शासन की जरूरत है.’
अब लोगों की भीड़ फालतू तत्वों को सुनने के लिए आती है
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि ‘गो टू पाकिस्तान जैसे बयानों से नियमित रूप से गरिमा को तोड़ा जाता है. अब हम कहां पहुंच गए हैं? कभी हमारे पास नेहरू, वाजपेयी जैसे वक्ता हुआ करते थे, अब लोगों की भीड़ फालतू तत्वों को सुनने के लिए आती है.’ बेंच ने पूछा कि, ‘राज्य समाज में हेट स्पीच के अपराध को कम करने के लिए एक तंत्र विकसित क्यों नहीं कर सकते?’ जस्टिस जोसेफ ने कहा कि, ‘राजनेता धर्म का इस्तेमाल करते हैं. देश में धर्म और राजनीति जुड़े हुए हैं. धर्म और राजनीति को अलग करने की जरूरत है. राज्य नपुंसक और शक्तिहीन हो गए हैं. वे समय पर कार्य नहीं करते हैं. राज्य क्यों हैं, और वह चुप क्यों हैं? हर एक क्रिया पर विपरीत प्रतिक्रिया होती है.’ वहीं जस्टिस नागरत्ना ने कहा, ‘ कभी भाईचारे का विचार था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. मुझे यह कहते हुए खेद है कि दरारें आ रही हैं.’
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Tags: Hate Speech, Supreme Court, सुप्रीम कोर्ट
FIRST PUBLISHED : March 29, 2023, 23:36 IST
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