स्‍कूलों में खुलने लगीं किताबों की दुकानें, पेरेंट्स को भेजे जा रहे नोटिस, शिक्षा निदेशालय से कार्रवाई की मांग

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फरीदाबाद. 1 अप्रैल से शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहा है लेकिन प्राइवेट स्‍कूलों में अभी से किताब-कॉपियों की दुकानें लगना शुरू हो गई हैं. स्‍कूल प्रबंधन छात्रों के घरों पर भी नोटिस जारी कर रहे हैं और पेरेंट्स से 1 अप्रैल से पहले-पहले किताबें खरीदने की बात कह रहे हैं. इसकी शिकायत अब अभिभावकों के संगठन ने शिक्षा निदेशालय हरियाणा शिकायत भेजी है और स्‍कूलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

अभिभावकों के संगठन अभिभावक एकता मंच ने शिकायत में कहा है कि प्राइवेट स्कूल नए शिक्षा सत्र में बढ़ाई गई फीस की जानकारी व स्कूल के अंदर खुली दुकान या अपनी बताई गई दुकान से नई किताब कॉपी खरीदने का नोटिस और सर्कुलर पेरेंट्स को भेज रहे हैं. हरियाणा अभिभावक एकता मंच का आरोप है कि स्कूल प्रबंधकों ने एक तो शिक्षा निदेशक पंचकूला की मंजूरी के बिना मनमानी फीस वृद्धि कर दी है दूसरा स्कूलों में सस्ती एनसीईआरटी की किताबों की जगह निजी प्रकाशकों की मोटी व महंगी किताबों को लगाया जा रहा है.

मंच ने कहा कि जो कॉपी बाजार में 20 रुपये की मिलती है उस पर स्कूल का लेबल लगा कर उसे 40 से 50 रुपये में बेचा जा रहा है. नियम ये है कि 5 साल से पहले स्‍कूल की यूनिफॉर्म नहीं बदल सकते, इसके बावजूद कई स्कूलों ने वर्दी बदल दी है. इतना ही नहीं कई स्कूल हफ्ते में तीन दिन अलग-अलग रंग की यूनिफॉर्म लगा रहे हैं. मंच ने स्कूलों के इन नियम विरुद्ध कामों की जानकारी चेयरमैन एफएफआरसी कम मंडल कमिश्नर फरीदाबाद को भी पत्र लिखकर दी है और उनसे दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है.

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इसके अलावा पत्र की प्रति अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा, माध्यमिक व मौलिक शिक्षा निदेशक पंचकूला, चेयरमैन सीबीएसई व जिला शिक्षा अधिकारी को भी भेजी गई है. मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बी एस विरदी ने कहा कि सीबीएसई, शिक्षा विभाग हरियाणा के नियम कानूनों में साफ-साफ लिखा है कि स्कूल प्रबंधक अपने स्कूलों में सिर्फ एनसीईआरटी की ही किताबें लगाएं. प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी व मोटी किताबों को लगाकर बस्ते का बोझ ना बढ़ाएं. केंद्रीय शिक्षा विभाग ने प्रत्येक क्लास के लिए बच्चों के बस्ते का वजन भी निर्धारित कर रखा है लेकिन स्कूल प्रबंधक मोटा कमीशन खाने के चक्कर में अन्‍य प्रकाशकों की किताब कॉपी स्टेशनरी अभिभावकों से खरीदवाकर बच्चों के मासूम कंधों पर बस्ते का बोझ बढ़ा रहे हैं.

मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा कि ज्यादातर नामी-गिरामी प्राइवेट स्कूल हुडा विभाग द्वारा रियायती दर पर दी गई जमीन पर बने हुए हैं. हुडा विभाग के नियमों में साफ लिखा हुआ है कि स्कूल प्रबंधक अपने स्कूल के अंदर किसी भी प्रकार की दुकान ना खोलें और कोई भी व्यवसायिक गतिविधियां ना करें. जिला शिक्षा व मौलिक अधिकारी को आदेश दिया गया है कि वे स्कूलों में प्रत्येक क्लास में जाकर बच्चों के बस्ते का वजन नापें. अगर निर्धारित बजन से ज्यादा वजन मिले तो स्कूल प्रबंधक के खिलाफ उचित कार्रवाई करें लेकिन आपसी सांठगांठ के चलते स्थानीय शिक्षा व हुडा विभाग के अधिकारी कोई भी उचित कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

नर्सरी से 2 के बच्‍चों के लिए है ये नियम
एक नियम यह भी है कि नर्सरी से लेकर क्लास 2 तक के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाए. उनको कोई होमवर्क न दिया जाए और न उनके लिए गैर जरूरी किताब,कॉपी, स्टेशनरी लगाई जाए. उनके बस्ते भी स्कूल में ही रखवाए जाएं लेकिन स्कूल प्रबंधक उनके लिए भी किताब कॉपी का सेट 4 से 5 हजार रुपये में बेच रहे हैं. अभिभावकों ने आरोप लगाया कि विद्यार्थी अपने भाई बहन या अन्य किसी से पुरानी किताब लेकर पढ़ाई ना कर सकें इसके लिए भी स्कूल प्रबंधकों ने जुगाड़ कर लिया है. उन्होंने पुरानी किताबों में बदलाव करके दो तीन पाठ बदल दिये हैं. मंच का कहना है कि स्कूल प्रबंधक अभिभावकों को लूटने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं.

अभिभावक भी आएं आगे
कैलाश शर्मा ने अभिभावकों से कहा कि प्राइवेट स्कूल संचालकों की प्रत्येक मनमानी को रोकने के लिए उनको बिना किसी डर के आगे आना चाहिए और स्कूलों की प्रत्येक मनमानी का खुलकर विरोध करना चाहिए. मंच पूरी तरह से उनके साथ है. पेरेंट्स स्कूलों की मनमानी की लिखित शिकायत चेयरमैन एफएफआरसी, जिला शिक्षा अधिकारी के पास करें और उसकी एक प्रति मंच के जिला कार्यालय कोर्ट चेंबर 383 में भी दें. जिससे मंच दोषी स्कूलों के खिलाफ लीगल कार्रवाई कर सके.

Tags: Books, New books, Parents, Private School, Students

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