अपोलो हॉस्पिटल में शुरू हुआ कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज, रोबोटिक सर्जरी से सामने आ रहे बेहतर परिणाम

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हाइलाइट्स

कोलोरेक्टल कैंसर की गिरफ्त में आ रहे हैं अधिकांश युवा
देश में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 7 लोगों में मिल रहे हैं लक्षण

नई दिल्ली. देश में कोलोरेक्टल कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. अधिकांश युवा ही इसकी चपेट में आ रहे हैं और इसी चिंता को देखते हुए इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल ने अपोलो नेशनल कोलोरेक्टल प्रोग्राम लॉन्च किया है. इसके जरिए लोगों को कैंसर के प्रति ज्यादा जागरूक बनाना है. इसके लॉन्च ईवेंट के बाद कोलोरेक्टल कैंसर के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई. यह बीमारी युवाओं में देखने को मिल रही है और इसी के चलते अपोलो हॉस्पिटल में उच्च तकनीक से इसके शुरुआती लक्षण पहचानकर इसकी रोबोटिक सफल सर्जरी पर चिकित्सकों का पूरा फोकस है.

अपोलो नेशनल कोलोरेक्टल प्रोग्राम लॉन्च के दौरान सम्मेलन में कोलोरेक्टल कैंसर का जल्द पता लगाने और कोलोरेक्टल कैंसर की रोबोटिक सर्जरी में प्रगति पर चर्चा की गई. भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के मामले प्रति लाख जनसंख्या पर 7 होने की जानकारी है. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ शुएब जैदी ने कहा, “हमने पिछले 5 वर्षों में कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों की संख्या में वृद्धि देखी है. इसके रोगी आमतौर पर 35 से 65 वर्ष की आयु के बीच के होते हैं. इनमें से अधिकांश मामले कैंसर के आक्रामक रूप हैं. कभी-कभी इसके लक्षण रोगी में कमजोरी की शिकायत के साथ देखें जा सकते हैं. इसकी जांच करने पर हीमोग्लोबिन की कमी पाई जाती है, जिसे एनीमिया कहते हैं.

पूरी दुनिया में बढ़ रहे इसके मरीज
डॉ शुएब जैदी ने कहा कि यह बड़ी आंत में स्थित कैंसर से मल में रक्त की धीमी या गुप्त तरीके से होने वाली हानि के कारण होता है. कोलोरेक्टल कैंसर की शुरुआत पेट या मलाशय से होती है. आमतौर पर लेफ्ट साइड कोलन कैंसर का मुख्य लक्षण एनीमिया है और राइट साइड कोलन कैंसर कब्ज से है. इसके अलावा, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और जीआई ऑन्कोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ दीपक गोविल ने कहा, “भारत में, हम पश्चिमी दुनिया की तुलना में कम उम्र के रोगियों को कोलोरेक्टल कैंसर से प्रभावित देखते हैं. पश्चिमी दुनिया में यह बीमारी प्रति लाख जनसंख्या पर 30 से 40 तक जाती है. हालांकि, भारत इससे कम है, लेकिन 1.4 अरब लोगों की विशाल आबादी के साथ पूर्ण संख्या में, यह काफी बड़ा आंकड़ा हो सकता है.

यह हैं इस कैंसर के लक्षण और इलाज
विशेष रूप से जब कैंसर मलाशय और बड़ी आंत के बाहर के हिस्से में स्थित होता है तो इसका सबसे आम लक्षण मलाशय से खून बहना है. हालांकि, इसके शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. डॉ वेंकटेश मुनिकृष्णन, कंसल्टेंट कोलोरेक्टल एंड रोबोटिक सर्जन, क्लिनिकल लीड अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ कोलोरेक्टल सर्जरी अपोलो हॉस्पिटल्स चेन्नई ने कहा कि “हमने इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में उन्नत रोबोटिक सर्जरी कार्यक्रम के साथ जबरदस्त प्रगति की है. रोबोटिक सर्जरी के जरिए चिकित्सक सभी कैंसर कोशिकाओं को गहराई से साफ़ करने और बहुत सटीक आपरेशन करने में सक्षम हैं. अच्छी खबर यह है कि वर्षों से कोलोरेक्टल कैंसर का उपचार इसके साथ विकसित हुआ है. रोबोट की सहायता से की जाने वाली सर्जरी जो अधिक सटीक हैं और बेहतर परिणाम प्रदान करती हैं.

लॉन्च में डॉक्टरों की यह टीम रही
लॉन्च का नेतृत्व अपोलो अस्पताल के जिन डॉक्टरों ने किया उनमें डॉ वीपी सिंह सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ शुएब जैदी, डॉ समीर कौल, डॉ दीपक गोविल शामिल थे. सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और जीआई ऑन्कोलॉजी विभाग, डॉ अरुण प्रसाद और डॉ वेंकटेश मुनिकृष्णन, सलाहकार कोलोरेक्टल और रोबोटिक सर्जन, क्लिनिकल लीड अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ कोलोरेक्टल सर्जरी अपोलो हॉस्पिटल्स चेन्नई शामिल रहे.

Tags: Colorectal cancer, Health News, New Delhi news

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