समय से पहले जेल से कैसे रिहा होते हैं कैदी? परोल और फरलो कब और कैसे मिलता है? समझें सबकुछ

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हाइलाइट्स

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू हो सकते हैं जेल से रिहा
अच्छे बर्ताव के कारण कैदियों की कम हो सकती है सजा
कैदियों के परोल और फरलो के भी अलग हैं नियम

नई दिल्ली. पटियाला जेल में बंद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) शनिवार को रिहा हो रहे हैं. अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए सिद्धू ने इस बात की जानकारी शेयर की है. उनके वकील का कहना है कि पंजाब प्रिजन रूल्स के मुताबिक अगर किसी कैदी का बर्ताव अच्छा होता है तो उसे समय से पहले जेल से रिहा किया जा सकता है. अब समझें सजा खत्म होने से पहले कैदी को कैसे रिहाई मिल सकती है? कैदी को सजा में छूट कब मिलती है? जेल से जल्द रिहाई के नियम क्या हैं?

दरअसल, सजा पूरी होने से पहले रिहाई मिलना पूरी तरह से कैदी के बर्ताव पर निर्भर करता है. अगर जेल में कैदी का बर्ताव अच्छा होता है तो उसे समय से पहले रिहाई मिल सकती है. जानकारी के मुताबिक, अगर जेल में किसी कैदी का बर्ताव अच्छा रहता है तो हर महीने उसी सजा से कुछ दिन कम होते जाते हैं.

कब मिलता है फरलो और परोल
जानकारी के मुताबिक कैदियों को फरलो या फिर परोल पर भी कुछ वक्त के लिए जेल से रिहा किया जा सकता है. हालांकि फरलो या परोल दोनों अलग-अलग होते हैं. प्रिजन एक्ट 1894 में इन दोनों का जिक्र किया गया है. बता दें कि फरलो सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है, वहीं परोल पर किसी भी कैदी को कुछ दिन के लिए जेल से रिहा किया जा सकता है. फरोल आमतौर पर उस कैदी को दी जाती है जिसे काफी लंबे वक्त के लिए सजा मिली हो. फरलो को कैदी की सजा में छूट और उसके अधिकार के तौर पर देखा जाता है.

एक कैदी को फरलो देने के लिए किसी कारण की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन परोल के लिए कारण होना काफी जरूरी है. रिपोर्ट के मुताबिक एक कैदी को परोल तभी मिलती है जब उसके परिवार में किसी की मौत हो गई हो, शादी या कोई और जरूरी कारण हो. हालांकि किसी कैदी को परोल देने से इनकार भी किया जा सकता है.

परोल और फरलो के लिए जारी की गई थी नई गाइडलाइंस
बता दें कि गृह मंत्रालय ने सितंबर 2020 में परोल और फरलो के लिए नई गाइडलाइंस जारी की थी. इसमें बताया गया था कि कब कैदी को परोल या फरलो नहीं दी जाएगी. इसमें कहा गया है कि

  1. ऐसे कैदी जिसकी मौजूदगी समाज के लिए खतरनाक हो या कानून व्यवस्था पर खतरा हो, उसे रिहा नहीं किया जाना चाहिए
  2. ऐसे कैदी जो हमला, दंगा भड़काने, विद्रोह या जेल हिंसा से जुडे़ अपराधों में शामिल हो, उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए
  3. आतंकवाद, डकैती, फिरौती, अपहरण, काले कारोबार जैसे गंभीर अपराधों का दोषी हो उसे रिहा नहीं किया जाना चाहिए
  4. जिन कैदियों पर शक हो कि वे परोल या फरलो की अवधि पूरी कर वापस नहीं लौटेंगे, उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए
  5. यौन अपराध, हत्या, बच्चों से जुड़े क्राइम जैसे गंभीर मामलों के दोषी को सारे तथ्यों को ध्यान में रखकर परोल या फरलो देने पर फैसला होना चाहिए

Tags: Jail, Navjot Sindh Sidhu, Prisoners

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