‘शोले’ का ‘वीरू’ नहीं बनना चाहते थे धर्मेंद्र, रमेश सिप्पी ने लगाया तिगड़म, फिर चाहकर भी मना नहीं कर पाए ही-मैन

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नई दिल्ली. ‘शोले’ वो फिल्म जिसको ‘फिल्म ऑफ द मिलेनियम’ बताया जाता रहा है. अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र स्टारर इस फिल्म ने इतने रिकॉर्ड बनाए कि आज भी कई रिकॉर्ड कई सौ करोड़ कमाने वाली फिल्में भी नहीं तोड़ पाईं हैं. डायरेक्टर रमेश सिप्पी की 1975 में रिलीज हुई फिल्म शोले ने बॉलीवुड का चेहरा बदल दिया.इसी फिल्म से कमर्शियल फिल्मों की सफलता के बाद डबल स्टैंडर्ड बन गया. 1975-1980 तक यानी करीब 5 सालों तक फिल्म लगातार मुंबई के मिनावरा थियेटर में चलती रही. पिछली एक शताब्दी में बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स ने कुछ ऐसी फिल्में बनाई है, जो लोगों के दिलो-दिमाग पर राज करती है और इनमें से एक फिल्म ‘शोले’ बी है, जिसके डायलॉग ही नहीं बल्कि एक-एक किरदार ने लोगों के दिल पर ऐसी छाप छोड़ी थी.

‘गब्बर’, ‘ठाकुर’, ‘जय-वीरू और ‘बसंती’ जैसे नाम और उनके डायलॉग्स को हम आजतक नहीं भूल पाए हैं. फिल्म के किरदारों को निभाकर सितारों ने उन्हें अमर कर दिए. दोस्ती की मिसाल जब-जब दी जाती है, तब-तब ‘जय-वीरू’ का नाम लिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिल्म में धर्मेंद्र ‘वीरू’ का किरदार निभाना नहीं चाहते थे. ऐसी क्या बात थी और फिर क्यों उन्होंने ये रोल निभाया आपको आज बताते हैं…

‘वीरू’ नहीं बनना चाहते थे धर्मेंद्र
1975 में रिलीज हुई इस फिल्म को सलीम जावेद की जोड़ी ने लिखा था. रमेश सिप्पी ने कहानी सुनी और फिल्म बनाने का फैसला किया. इस फिल्म के लिए उन्होंने अमिताभ का ‘जय’ और धर्मेंद्र को ‘वीरू’ के लिए चुनना तय किया. कहानी धर्मेंद्र ने सुनी, तो उन्होंने ‘वीरू’ के किरदार के लिए मना कर दिया. वो फिल्म में काम करना चाहते थे, लेकिन वीरू का किरदार निभाना नहीं चाहते थे. उन्हें कहानी सुनने के बाद लगा कि फिल्म की पूरी कहानी ‘ठाकुर’ के ईद गिर्द घूम रही है. कहानी ठाकुर और गब्बर के लड़ाई के बीच की है और ये ही फिल्म धांसू किरदार होगा.

रमेश सिप्पी ने लगाया तिगड़म
रमेश सिप्पी अपनी फिल्म के किरदारों को तय कर चुके थे और उसमें छेड़छाड़ नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने एक तिगड़म लगाया और उनका वो प्लान पूरी तरह से काम कर गया. दरअसल, ये वही दौर था जब धर्मेंद्र, हेमा मालिनी को चाहने लगे थे और खबरें थी संजीव कुमार हेमा को प्रपोज कर चुके हैं. तब रमेश सिप्पी ने धर्मेंद्र से कहा कि ‘ठाकुर’ को तो फिल्म में रोमांस करने का मौका ही नहीं मिलेगा, जबकि ‘वीरू’ के हीरोइन हेमा मालिनी के साथ कई रोमांटिक सीन हैं. बस ये सुनते ही धर्मेंद्र ने ‘वीरू’ के किरदार के लिए हां कह दिया था.

हेमा मालिनी के साथ जानबूझ कर गलतियां करते थे धर्मेंद्र
हेमा मालिनी के साथ रोमांटिक सीन करते समय धर्मेंद्र जानबूझ कर गलतियां करते थे, ताकि री-टेक हो और उन्हें हेमा के साथ ज्यादा वक्त गुजारने का अवसर मिले. जब यह बात समझ में आ गई कि धरम पाजी जानबूझ कर ये हरकतें कर रहे हैं तो उन्होंने दूसरी चाल चली. वे यूनिट मेंबर्स को गलतियां करने के बदले में पैसे देने लगे थे.

संजीव कुमार ने हेमा मालिनी को किया था प्रोपोज
कहा जाता है कि ‘शोले’ की शूटिंग के कुछ दिनों पहले संजीव कुमार ने हेमा मालिनी के आगे शादी का प्रस्ताव रखा था, जिसे हेमा ने ठुकरा दिया था. इसी वजह से ‘शोले’ में दोनों के बीच सीन नहीं के बराबर हैं. धर्मेंद्र जानते थे कि संजीव कुमार भी हेमा पर लट्टू हैं. इसलिए वे हेमा के इर्दगिर्द ही रहते थे, ताकि संजीव कुमार को हेमा से बात करने का अवसर नहीं मिल सके.

3 करोड़ रुपये के बजट में तैयार हुई थी फिल्म
आपको बता दें कि ये फिल्म महज 3 करोड़ रुपये के बजट से बनी थी. बाद में इस फिल्म ने वर्ल्ड वाइड 50 करोड़ रुपयों की कमाई की थी. साथ ही इस फिल्म ने ऐसा इतिहास रचा था कि आज भी कई रिकॉर्ड नई फिल्में नहीं तोड़ पाईं हैं. फिल्म की कहानी लिखने वाली लेखकों सलीम खान और जावेद अख्तर की जोड़ी को भी 10 हजार रुपये फीस दी गई थी. ये भी उस समय अपने आप में एक रिकॉर्ड था.

Tags: Dharmendra, Sholay

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