मुख्तार अंसारी को उम्रकैद; जानें कैसे न्याय में अड़ंगा लगाकर करता रहा मऊ में राज, अब लगा दहशत पर विराम

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हाइलाइट्स

32 साल पुराने अवधेश राय हत्याकांड में वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई सजा
निचली अदालतों में सबूतों के अभाव और गवाह मुकरने से मुख्तार अंसारी होता रहा बरी
अंसारी ने 1995 से 2022 तक लगातार 5 बार मऊ से विधायक के रूप में किया

ओलिवर फ्रेडरिक
लखनऊ.
32 साल पुराने अवधेश राय हत्याकांड में वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने माफिया मुख्तार को आजीवन कारावास के साथ एक लाख जुर्माना भी लगाया है. उत्तर प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराए जाने से अदालत की कार्यवाही को बाधित करने या गवाहों को प्रभावित किए जाने जैसी अंसारी की रणनीतियों पर विराम लग गया है.

दोषसिद्धि से बचते हुए अंसारी ने 1995 से 2022 तक लगातार पांच बार मऊ से विधायक के रूप में कार्य किया और लगभग 27 वर्षों तक अपनी विधानसभा सदस्यता को बरकरार बनाए रखने में कामयाब रहे. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक निचली अदालतों में ज्यादातर मामलों में सबूतों के अभाव के चलते मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया गया था. वहीं, कुछ मामलों में गवाह या तो मुकर गए या पक्ष में बयान पलट दिया. जिन मामलों में सरकारी अधिकारी गवाह थे वे या तो लंबे समय तक चली सुनवाई के दौरान सेवानिवृत्त हो गए या स्वास्थ्य संबंधी कारण बताकर अदालत में नहीं आए.

1991 को कांग्रेस नेता अवधेश राय की हुई थी हत्या
3 अगस्त 1991 को कांग्रेस नेता अवधेश राय की उनके भाई और पूर्व विधायक अजय राय के घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अजय राय ने प्राथमिकी में अंसारी, भीम सिंह और पूर्व विधायक अब्दुल कलीम का नाम दर्ज कराया. सोमवार को वाराणसी की एक अदालत ने अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई. राय ने इस फैसले को धैर्य और उनके लगातार प्रयासों का परिणाम बताया.


2022 में सजा, फिर हाईकोर्ट से मिली थी राहत

यूपी पुलिस के विशेष महानिदेशक (एसडीजी) (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, ‘पिछले तीन दशकों में कई उदाहरणों में अंसारी ने दोषसिद्धि या कारावास से बचने के लिए अदालत की कार्यवाही में देरी करने की कोशिश की.’ उन्होंने कहा, ‘अवधेश राय हत्याकांड हो या सितंबर 2022 की सजा, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी करने के स्थानीय अदालत के आदेश को पलट दिया.

जेलर को धमकाने पर भी हो चुकी जेल
2003 में लखनऊ जिला जेल के तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी को धमकी देने के लिए सात साल की जेल की सजा सुनाई, तो उनकी रणनीति व्यर्थ हो गई. वास्तव में अदालत की कार्यवाही में तेजी लाई गई और उन्हें तीन अन्य आपराधिक मामलों में भी दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई.

Tags: Mau news, MP MLA Court, Mukhtar ansari, UP news, UP police

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