मिलें पेंगुइन बुक्स के बेस्टसेलर राइटर पंकज दुबे से और जानें ‘कैसे बनाएं अपना स्टारडम’

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बेस्टसेलर राइटर और फिल्ममेकर पंकज दुबे संभवतः भारतीय उपमहाद्वीप के एकलौते ऐसे उपन्यासकार हैं, जो 10 सालों से हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में एक साथ कहानियां लिख रहे हैं, जिसका हिंदी-अंग्रेजी संस्करण पेंगुइन बुक्स एक साथ पब्लिश करता है. पंकज का पाठक वर्ग जितना हिंदी में है उतना ही अंग्रेजी में भी है, या फिर अंग्रेज़ी का नंबर हिंदी से थोड़ा ज्यादा ही होगा. भाषा पर पंकज की पकड़ इतनी अच्छी है, कि वे हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों तरह के पाठकों के कोर तक पहुंच जाते हैं. एक ही कहानी को पढ़ते हुए हिंदी का पाठक कैसे जिज्ञासु होता है और अंग्रेजी का पाठक उसे किस तरह देखता है, ये समझने के लिए आपको पंकज की दोनों भाषाओं में प्रकाशित उपन्यास पढ़ने होंगे. पंकज बाईलिंगुवल राईटर हैं उनकी किताबें अनुवाद नहीं होतीं, बल्कि उनकी अपनी भाषाशैली में एक साथ उनके ही द्वारा लिखी जाती हैं. इसके लिए वे कभी किसी अनुवादक की मदद नहीं लेते. पंकज कभी बेस्टसेलर की दौड़ में शामिल नहीं होना चाहते, लेकिन उनकी राइटिंग इतनी कमाल है कि किताबें आते ही बेस्टसेलर हो जाती हैं. बात चाहे ‘लूज़र कहीं का’ की हो या फिर ‘इश्कियापा’ की, ‘लव करी’ की हो या फिर ‘ट्रेंडिंग इन लव’ की, या फिर उनका नवीनतम उपन्यास ‘वन स्ट्रिंग अटैच्ड’ ही क्यों ना हो, सभी बेस्टसेलर हैं, जिन्हें पाठकों का भरपूर प्यार मिला है. शायद यही वजह है कि पंकज 2016 में दक्षिण कोरिया के सियोल में एक प्रतिष्ठित राइटर्स रेसिडेंसी में नॉमिनेटेड हुए थे, जिसमें पूरे एशिया से सिर्फ़ तीन उपन्यासकारों को आमंत्रित किया गया था. बाद में 2018 में उन्हें साहित्य और स्टोरिटलिंग के लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट के ऊपरी सदन हाऊस ऑफ़ लॉर्ड्स में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मान भी मिला.

पंकज कई चर्चित फिल्मों पर भी काम कर चुके हैं और भविष्य में कई बड़े प्रोजेक्ट्स के साथ बेहतर करने की कोशिश में हैं. फिल्में हमेशा से पंकज के दिल के करीब रही हैं. पंकज पूरी तरह से फिल्मी हैं, जिन्हें बारिश, शाम, रोमांस और खुशबू वैसे ही अपनी ओर खींचते हैं, जैसे यशराज की फिल्मों का कोई नायक. इन दिनों पंकज अपनी हालिया किताब वन स्ट्रिंग अटैच्ड के हिंदी एडिशन के साथ-साथ अपने निर्देशन में बनने वाली फिल्म को लेकर बेहद व्यस्त समय से गुज़र रहे हैं. बतौर निर्देशक पंकज अपनी कहानियां उन लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं, जो पढ़ नहीं पाते या उनके पास पढ़ने का समय नहीं होता.

रांची में जन्में और चाईबासा में बचपन बिताने वाले पंकज दुबे ने अपनी कल्पनाशीलता , सकारात्मक ऊर्जा और धैर्य के बल पर झारखंड से निकलकर दिल्ली यूनिवर्सिटी पहुंच गए. यहां अपनी कल्पनाओं को आकार देते हुए डिबेट्स, क्रिएटिव राईटिंग और थियेटर का हिस्सा बन कर, मुखौटा नाम से एक थियेटर ग्रुप और स्पृहा (SPRIHA) नाम का एक सामाजिक संगठन बनाया, जिसका काम बच्चों में कहानियों और अन्य मीडिया माध्यमों से संवेदना का विकास करना था. उसी बीच वे अपनी मास्टर्स इन अप्लाइड कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने कोवेन्ट्री यूनिवर्सिटी इंग्लैंड चले गए और उसके बाद लंबे समय तक बीबीसी लंदन में ब्रॉडकास्टर की भूमिका निभाई. लेकिन उनके अंतरमन ने देश वापिस लौट जाने को कहा और भारत लौटकर कई बड़े न्यूज़ चैनल्स में काम किया, लेकिन मन नहीं लगा और फिर से मुखौटा और स्पृहा की दुनिया में वापस लौट गए. स्पृहा का नया चेहरा ही सड़कछाप फिल्म फेस्टिवल के रूप में सामने आया, जिसमें मुंबई के धारावी इलाके में रुबीना अली (फिल्म स्लमडॉग मिलिनेयर फिल्म में बाल कलाकार) ने अन्य बच्चों के साथ बैठकर सड़कछाप फिल्म फेस्टिवल का लुत्फ उठाया. पंकज दुबे को प्यार से लोग PD भी बुलाते हैं.

पंकज के लेखन पर सबसे ज्यादा प्रभाव उनके आसपास की दुनिया और उनकी यात्राओं ने डाला है. इंसानी रिश्तों को वे जिस बारीकी से देखते हैं, वो उनकी कहानियों में साफ तौर पर दिखाई देता है. पंकज के अनुसार एक अच्छा लेखक वही है, जो पाठक को कनेक्ट करता है, जिसे पढ़ने के बाद पाठक खुद को वहां रख पाये जहां कहानी कही या पढ़ी जा रही है. पंकज कहते हैं, एक अच्छा राइटर वही है जो खुद को पाठक से जोड़ सकता हो, जिसकी राइटिंग से उसके रिडर कनेक्ट होते हैं और उन्हें ये लगने लगे कि ये तो उनकी अपनी कहानी है या फिर इस किरदार को वे पहचानते हैं, या इससे पहले कभी मिल चुके हैं.

Pankaj Dubey

पंकज दुबे 10 सालों से हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में एक साथ कहानियां लिख रहे हैं.

पंकज के अनुसार लेखन की दुनिया में असीम संभावनाएं हैं, फिर वो चाहे इसे कैरियर के तौर पर अपनाने की हों या फिर हॉबी के तौर पर. पंकज कहते हैं, लेखन की दुनिया में पैसा है, लेकिन ये निर्भर करता है कि आपकी राइटिंग का उद्देश्य क्या है. आप क्या लिखना चाहते हैं. अगर राइटिंग खुद की खुशी के लिए किया जा रहा है, तो उसके लिए डायरी लेखन काफी है, लेकिन यदि आपको इससे अपने जीविकोपार्जन को जोड़ना है, तो हाल के वर्षों में ऐसे कई नये मौके कई नये अवसर सामने आये हैं, चाहे वो डिजिटल प्लेटफॉर्म हो या ओटीटी स्पेस, टेलीविजन हो या सिनेमा, या फिर किताबें लिखने के बाद उनके राइट्स बेचकर भी काफी पैसा कमाया जा सकता है. पिछले कुछ सालों में आमदनी की संभावनाएं बढ़ी हैं, साथ ही पाठकों की संख्या भी. लोग अच्छा पढ़ना और देखना चाहते हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा ज़रूरी ये हो जाता है कि आपका लेखन रिलेटेबल हो और उसकी डिमांड हो. राइटिंग के दुनिया में इतना पैसा है कि आप घर चला ही नहीं सकते, बल्कि घर को दौड़ा भी सकते हैं.

पंकज दुबे अपने आप में बहुत ही दिलचस्प शख्सियत हैं. उनकी क्रिएटिविटी की ढेर सारी परते हैं. अभी हाल में एमेजॉन के ऑडिबल पर उनका पॉडकास्ट, ‘ओल्ड स्कूल रोमांस’ काफ़ी चर्चित रहा है. पंकज को लगता है कि बहुत ज्यादा ज्ञान अहंकार को जन्म देता है, इसलिए उनकी ज़िंदगी की पूरी कैंपेनिंग कल्पनाशीलता के साथ है. यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है और यही उनकी जीवन की शैली भी. पंकज लेखन की दुनिया का जाना माना नाम हैं, कहानियां लिखते हैं और अपनी कहानियों को एक स्टोरीटेलर के तौर पर बड़ी खूबसूरती से सुनाते भी हैं. पंकज की खासियत है कि वह सामने रखी किसी भी चीज़ को पकड़ कर उस पर कहानी गढ़ सकते हैं, फिर वह चाहे कार की चाबी हो, धूप वाला चश्मा हो या फिर स्कॉच का ग्लास और उनकी कहानियों का अंत भी हमेशा किसी हिंदी सिनेमा की तरह दिलचस्प ही होता है. पंकज इन दिनों ‘वन स्ट्रिंग अटैच्ड’ के हिंदी एडिशन पर काम कर रहे हैं, उसे ट्रांसक्रिएट कर रहे हैं. उपन्यास के हिंदी एडिशन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. किताब जल्द ही उनके पाठकों के हाथ में होगी.

क्यों खास है पंकज का नवीनतम उपन्यास ‘वन स्ट्रिंग अटैच्ड’?
अगर आप ये सोच रहे हैं कि हम यहां आपको वन स्ट्रिंग अटैच्ड की पूरी कहानी सुनाने जा रहे हैं, तो इस भ्रम में मत रहिये, यहां हम सिर्फ आपको वो वजह देना चाहते हैं, जो इस उपन्यास को पढ़ने के लिए मजबूर करती है. ऊपरी तौर पर देखें तो कहानी हिंदू-मुस्लिम प्रेम संबंधों पर है, लेकिन ये कहानी किसी घिसे-पीटे पुराने ढर्रे पर नहीं चलती, बल्कि असलियत के बेहद करीब है. किताब को पढ़ते हुए आप कई बार ऐसा महसूस करेंगे कि आप वहीं हैं और सबकुछ आपकी आंखों के सामने घट रहा है. पंकज का कहानी कहने का अंदाज़ इतना खूबसूरत है कि कहानी पढ़ते हुए चित्र भी साथ-साथ खिंचते हैं. उनके शब्दों में रंग और खुशबू भी साथ चलती है, जो कई दफा आपको उस दुनिया में ले जाकर खड़ा कर देगी, जहां कहानी घटित हो रही है. बाकी उपन्यासों की तरह ही पाठकों ने इसे खूब सराहा और मुहब्बत लुटाई, जिसके चलते कुछ दिनों के भीतर ही ये भी बेस्टसेलर हो गया. पाठक को क्या चाहिए, ये पंकज को पता है. ये पूरी किताब इतनी दिलचस्प है, कि इसमें दाखिल होने के बाद पाठक इसे खत्म करने के बाद ही बाहर आता है.

‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘केरला स्टोरी’ जैसी फिल्मों के दौर में, पंकज अपने पाठकों को एक ऐसी दुनिया में लेकर जाते हैं, जहां प्रेम, देखभाल और मासूमियत के लिए अब भी जगह बाकी है. जहां प्रेम कहानियां धर्म और जाति की जकड़न से बाहर निकल चुकी हैं. इस मुश्किल दौर में ऐसा कुछ लिखना आसान तो नहीं, लेकिन ये हिम्मत पंकज ही दिखा सकते हैं. कहानी का नायक शिवम पाठकों के बीच इस तरह आकर बैठ जाता है, जैसे हमारे बीच से निकला हुआ ही कोई लड़का है. शिवम के जरिए इस बात को समझा जा सकता है कि जब अलग-अलग धर्म के दो लोग प्रेम की राह पर एक साथ चलते हैं, तो दुश्वारियां और मुश्किलें भी साथ चलती हैं, लेकिन रिश्तों में अगर सच्चाई है और जीतने की ज़िद है तो उस पर आगे बढ़ते रहना नामुमकिन नहीं. अब आप शिवम में इतनी दिलचस्पी ले ही रहे हैं, तो आपको इसकी नायिका आईना से भी मिलना चाहिए. आईना, एक ऐसी लड़की जिसके पिंजरे में उसकी परवाज़ जितनी जगह कभी नहीं रही. इस लड़की ने अपने भीतर की दुनिया को सहेज कर रखा हुआ है, क्योंकि इसे मालूम है कि अपने अंदर की दुनिया को जैसे ही वो वास्तविक दुनिया में लेकर आएगी, उसके लिए सबकुछ खत्म हो जाएगा. उसे सुकून इस बात का है, कि उसके सपने कम से कम उसके भीतर तो ज़िंदा हैं, लेकिन कब तक? एक लड़ाई तो वो भी लड़ रही है…

अयोध्या में रहने वाला शिवम, जिसके पिता महंत हैं, जिसके लिए धर्म सिर्फ आस्था तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने खुद को अपनी आस्था के समक्ष समर्पित कर दिया है. उसी शहर में रहने वाली आईना एक रुढ़िवादी मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती है, जहां सबकुछ धार्मिक आस्था के लिहाज़ से ही चलता है. अब ऐसे में अगर आप ये सोच रहे हैं कि कहानी फिल्मी है और खुद को धर्म के एक छोटे से दायरे में सीमित कर लेगी तो आप निश्चित तौर पर गलत हैं. कहानी बेहद रुहानी है. यहां लेखक की कल्पनाशीलता काम करती है, जो कि पंकज के लेखन की खासियत है. पंकज पाठक को अपने किरदारों के साथ खड़े होने का मौका देते हैं और जहां आप खुद को एक जासूस की तरह देखेंगे लेकिन आप कुछ कर नहीं पायेंगे, क्योंकि आपके लिए सिर्फ एक ही काम तय हुआ है और वो है शिवम-आईना की कहानी को जानना और कहानी में आगे बढ़ते रहना. कहानी लिखते समय पंकज ने इस बात का खास खयाल रखा है कि आगे क्या होने वाला है इसका अनुमान पाठक ना लगा पायें और ऐसे में पूरे उपन्यास के दौरान आपकी दिलचस्पी में थोड़ी सी भी कमी नहीं आती. कहानी में शिवम और आईना का मिलना और साथ होना मासूमियत को रेखांकित करता है और फिर उनका बिछड़ना उस मासूमियत को ही चुनौती दे देता है. लेकिन क्या ये मासूमियत इस मुश्किल यात्रा में कहीं खो जाती है? इसका जवाब आपको किताब में मिलेगा, लेकिन उसके लिए शिवम पर भरोसा रखना होगा, जो भरोसा आईना आपको देगी.

Pankaj Dubey

पंकज दुबे का नवीनतम उपन्यास ‘वन स्ट्रिंग अटैच्ड’, जिसका हिंदी एडिशन जल्द ही पाठकों के हाथ में होगा.

शिवम और आईना के मिलने और बिछड़ने के बीच लेखक ने उस अयोध्या से मिलवाने की कोशिश की है, जिसे अखबारों की हेडलाइन्स में ही पढ़ा गया है अब तक, लेकिन कहानी में ऐसा कुछ नहीं जो अखबार की हेडलाइन बन जाए. उपन्यास पाठक को 1992 के अयोध्या से जोड़ता है. शहर की गलियां, शहर की सादगी सबकुछ जीवंत हो उठता है, जिसे व्यक्तिगत फायदों के चलते तोड़-मरोड़ कर आम आदमी के बीच पेश किया जाता रहा है. कहानी शिवम और आईना से आगे निकलते हुए एक ऐसी सड़क जैसी है जिसके किनारों पर फूल तो खिले हुए हैं, लेकिन तारकोल की गर्मीं तलवों को जलाने के लिए काफी है. सड़क के एक छोर पर शिवम है तो दूसरे छोर पर महज़ मृगमरीचिका. अचानक से आया एक तूफान सबकुछ उजाड़ कर रख देगा, कुछ बचेगा तो सिर्फ खालीपन, और दस सालों की लंबी यात्रा. वो तारीख जो हर साल आती है, दस साल तक नायक के हल्के भरे घाव को कुरेद कर चली जाती है. शिवम की इस यात्रा में पाठक कई बार उसे अपने पास बैठा हुआ पाता है. शिवम को एक उम्मीद है, जो तमाम नकारात्मकताओं के बावजूद भी उसे जीवित रखती है. शिवम और आईना की इस कहानी को पढ़ते हुए एक अन्य किरदार भी है, जो बार-बार आपके सामने आकर खड़ा होता है और वो है बबलू. बबलू पाठक को ये चुनौती देता है कि आप शिवम के ज्यादा करीब हैं या फिर वो. ये एक ज़िंदादिल किरदार है, जिसने मुश्किल वक्त में भी जीना सीख लिया है. लेखक द्वारा बबलू के किरदार को गढ़ा जाना काबिल-ए-तारीफ है. बबलू के जरिये आप जीवन की ऐसी तमाम कठिन परिस्थितियों में मुस्कुराने और आगे बढ़ने की हिम्मत पाते हैं, जो आपको खत्म करने का साहस रखती हैं. तेज़ तूफानी बारिश में आगे बढ़ते रहने का काबिल उदाहरण है बबलू. कहानी में आगे बढ़ते हुए आप पायेंगे कि आपको अपने सवालों के भी जवाब मिल रहे हैं, वही सवाल जिनके जवाब मोटिवेशनल गुरुओं के पास भी नहीं होते.

आईना के किरदार को लेकर लेखक का नज़रिया बेहद स्पष्ट है. वो जब कमज़ोर होगी, आप कहानी में घुसकर उसकी हिम्मत बढ़ाने को बेचैन हो उठेंगे. आपको महसूस होगा कि शायद वो खुद को मजबूत रखते हुए परेशानियों का हल ढूंढ सकती थी. आईना से आप जब-जब मिलेंगे, ये बात भीतर तक महसूस करेंगे कि आप इसे जानते हैं और इस लड़की से पहले भी कभी मिल चुके हैं… कहां और कब? ये लेखक ने आपके ऊपर छोड़ दिया है. आईना को लेकर आप कहानी में अनुमान की संभावनाएं तलाशने लग जाते हैं, जबकि कहानी के आखिरी सिरे तक आपको इस बात का अंदाज़ा लगेगा कि लेखक ने आईना को जिस तरह आपसे मिलवाया था, ये किरदार तो आपकी सोच से कहीं ज्यादा मजबूत निकला. ऐसी अनगिनत वजहें हैं जो पाठक को अपनी ओर खींचती हैं. सफर इस उपन्यास का महत्वपूर्ण सार है. हो ना हो हम सब यात्री ही तो हैं, जो आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य को पाने के लिए अलग-अलग मौसमों की मार झेलते हैं, लेकिन एक उम्मीद के सहारे आगे बढ़ते रहना कभी नहीं छोड़ते. इस कहानी में नायक का सफर किसी रोलरकोस्टर राइड से थोड़ा अलग है जहां उम्मीद का दीया जलता है, फिर बुझता है और फिर दूर कहीं दूसरा दिया अपनी रौशनी की ओर खींचता है. अब शिवम के इस सफर में मंज़िल कब मिलेगी, कैसे मिलेगी और मिलेगी तो किस रूप में मिलेगी ये जानने के लिए आपको इस उपन्यास को पढ़ना ज़रूरी हो जाता है. उपन्यास को पढ़ते हुए अंतर्दर्शन के भी मौके मिलते हैं. एक अच्छी कहानी वही होती है, जिसे पढ़ते हुए मनोरंजन तो हो ही, लेकिन कहानी के विभिन्न आयाम उसके साथ कहीं ठहर जाने का भी स्पेस दें. कहानी रोने का भरपूर मौका देता है, कई बार पलकों को गीला करती है और कई बार गुदगुदाती है.

पंकज अपनी कहानियों में हर बार नयेपन की खोज कर अपने पाठक के सामने परोसने में माहिर हैं. पेंगुन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित ‘वन स्ट्रिंग अटैच्ड’ उपन्यास को आप एमेजॉन से ऑर्डर कर सकते हैं, साथ ही यदि आपने अब तक पंकज के पिछले उपन्यासों को भी नहीं पढ़ा है, तो उन्हें भी खोजकर पढ़ने की कोशिश करें, क्योंकि यदि आप ऐसा नहीं करेंगे, तो बहुत कुछ है जो आप मिस कर जायेंगे.

भविष्य में पंकज की काफी तैयारियां हैं जिन पर वो पूरी मेहनत और पूरी लगन के साथ जुटे हुए हैं, फिर वो चाहे लेखन हो या फिर फिल्म निर्देशन. जो लोग लेखक बनना चाहते हैं, या फिर लेखन की दुनिया में आना चाहते हैं, उनसे पंकज कहते हैं, अगर आपको राइटिंग से कोई प्रभाव छोड़ना है या फिर अपनी राइटिंग से कोई परिवर्तन लाना है, तो सबसे ज्यादा ज़रूरी है आपकी राइटिंग में ईमानदारी हो, आप बेबाक हों, निर्भीक हों और वही लिखें जो दिल से निकले, क्योंकि बात जब दिल से निकलती है तो दिल तक पहुंचती है. ईमानदार कहानियां कभी खाली नहीं जातीं. अच्छा लिखें और बहुत अच्छा लिखने का अभ्यास हमेशा करते रहें.

Tags: Books

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