मात्र ₹200 में करें अलकनंदा की लहरों पर एडवेंचर, घुड़सवारी के साथ और भी कई साधन

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कमल पिमोली/श्रीनगर गढ़वाल: अगर आप गर्मी से छुटकारा पाने के लिए या फिर पहाड़ों पर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो यहां आप पहाड़ की खूबसूरती के साथ बीच का आनंद भी ले सकते हैं. यहां अलकनंदा नदी के रेतीले तट पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ बद्रीनाथ राजमार्ग से गुजरने वाले यात्री यहां रूकना पसंद करते हैं. पहले उत्तराखंड आने वाले यात्री पहाड़ों पर ट्रैकिंग करने के साथ आध्यातमिक यात्रा करते थे. लेकिन, अब नदी के तटों पर बने कृत्रिम बीच भी पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार हैं.

उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में अलकनंदा नदी पर बनी जीवीके जल विद्युत परियोजना की झील के कारण नदी में कुछ कृत्रिम बीच बन चुके हैं, जो अब यात्रियों समेत स्थानीय लोगों के लिए घूमने का एक उपयुक्त स्थान बन चुका है.

घुड़सवारी के साथ बोटिंग का आनंद
श्रीनगर गढ़वाल से महज 15 किमी दूर अलकनंदा नदी के तट पर पर्यटक बीच का आनंद ले सकते हैं. अलकनंदा नदी के ठंडे पानी का एहसास आपको गर्मी से कोसों दूर करने के लिए काफी है. इसके साथ ही यहां अब नौकायन की सुविधा भी लोगों को मिल रही है. इसके चलते बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं. बीच पर घुड़सवारी का भी आनंद लिया जा सकता है. यहां सिद्वपीठ धारी देवी मंदिर परिसर के समीप व 2 किमी आगे गोवा बीच में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.

200 रुपये में अलकनंदा की लहरों का आनंद
घारी देवी के समीप रेतीले तटों पर घुड़सवारी का आनंद लेने के साथ एडवेंचर के शौकीन बोटिंग भी कर रहे हैं. यहां 200 व 300 रुपये में बोटिंग कराई जा रही है. दाम कम होने के चलते बड़ी संख्या में धारी देवी मंदिर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्वालुओं समेत पर्यटक भी बोटिंग व जेट मोटर बोटिंग का आनंद ले रहे हैं. अलकनंदा नदी की लहरों के साथ रोमांच की यात्रा कर रहे हैं. इससे पूर्व बोटिंग के लिए टिहरी बांध या फिर नैनीताल का रूख करना पड़ता था. वहीं, 100 से 150 रुपये में घुड़सवारी का भी लुत्फ यहां उठाया जा सकता है. हालांकि, केवल गर्मियों में ही प्रशासन द्वारा इन रेतीले तटों पर एडवेंचर एक्टिविटी करने की अनुमति दी जाती है. मानसून के दौरान ये कृत्रिम बीच पूरी तरह नदी में समा जाते हैं.

तीर्थाटन के साथ पर्यटन भी
साहसिक गतिविधियां आयोजित होने से अब धारी देवी क्षेत्र तीर्थाटन के साथ पर्यटन के रूप में भी बढ़ रहा है. इससे यहां के स्थानीय लोगों की आजिविका भी बढ़ रही है. वहीं, देश के विभिन्न कोने से भी पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं. दोनों ओर पहाड़ों से घिरे अलकनंदा के रेतीले तट एक नया अनुभव यात्रियों को दे रहा है. चारधाम यात्रा के दौरान भी बड़ी संख्या में यात्री यहां समय बिताना पसंद करते हैं.

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Tags: Local18, Uttarakhand news

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