महिला की आंखों में थी ‘गांठ’, इलाज के लिए गई अस्पताल, लेकिन सच्चाई जान घबरा गए डॉक्टर, दिखी भयानक चीज!

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28 साल की एक महिला की आंखों में काफी दिनों से एक ‘साधारण गांठ’ नजर आती थी. धीरे-धीरे ये गांठ बढ़ रही थी और उसकी आंखों पुतलियों पर भी चलने लगी थी. महिला समझ ही नहीं पा रही थी कि आखिर समस्या क्या है? ऐसे में एक दिन वो अपनी आंखों का इलाज करवाने अस्पताल पहुंच गई. चिकित्सकों ने जांच करना शुरू किया. लेकिन डॉक्टर तब हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि महिला की आंख में दर्द रहित गांठ वास्तव में एक परजीवी (कीड़ा) है, जो सांपों से आती है. मामला अफ्रीकी देश कांगो का है.

ये परजीवी आधा इंच लंबा था और महिला की आंखों को ही अपना घर बना रखा था. लेकिन हैरत की बात यह है कि महिला को दर्द भी नहीं होता था. जबकि एक छोटा सा कीड़ा भी आंखों में चला जाता है तो भयानक दर्द होता है. हालांकि, डॉक्टर उसकी बाईं आंख में घूम रहे आधे इंच के इस परजीवी को पहचानने के बाद उसे निकालने में सक्षम रहे. आगे के परीक्षणों से पता चला कि महिला ऑक्यूलर पेंटास्टोमियासिस नामक एक दुर्लभ नेत्र संक्रमण से पीड़ित थी, जो एक परजीवी के कारण होता है, जो सांपों के अंदर में अपने अंडे देता है.

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आधे इंच लंबे इसी कीड़े को महिला की आंख से निकाला गया.

जानकारों ने बताया कि यह कीड़ा उन मनुष्यों में फैल सकता है, जिनका संक्रमित सांपों के साथ निकट संपर्क रहा हो, या यदि वे सांपों का अधपका मांस खाए हों. हालांकि, महिला ने बताया कि उसने कभी न तो सांपों को खाया है और न ही उनके समीप गई है. मेडिकल जर्नल जेएएमए ऑप्थैल्मोलॉजी (Medical Journal JAMA Ophthalmology) में रिपोर्ट करते हुए चिकित्सकों ने कहा, ‘महिला मगरमच्छ का मांस खाने की आदी थी. लेकिन ऐसे मांस खाने वाले व्यक्तियों में नेत्र संक्रमण का कोई मामला कभी सामने नहीं आया है. हालांकि, मगरमच्छ पेंटास्टोमिड से संक्रमित हो सकते हैं. ऐसा तब हुआ होगा, जब महिला मगरमच्छ के मीट को खरीदकर खाई होगी, उसके बगल में संक्रमित सांप का मीट भी होगा. इससे मगरमच्छ का मीट दूषित हो गया और महिला की आंखों में ये कीड़ा पनपने लगा.

बता दें कि पेंटास्टोमियासिस (Pentastomiasis) एक दुर्लभ संक्रमण है जो आमतौर पर अफ्रीका, मलेशिया और मीडिल ईस्ट देशों में देखा जाता है. अधिकांश मामलों में मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखते. लेकिन ये आखों में चला जाए तो आखों में तेज दर्द, मोतियाबिंद और पूरी तरह से अंधा होने का खतरा रहता है. कुछ मामलों में मरीज की मौत भी हो सकती है. हालांकि, इसके लक्षण ज्यादातर नजर नहीं आते हैं, ऐसे में इस बीमारी के रिकॉर्ड भी मौजूद नहीं है. बता दें कि यदि डॉक्टर परजीवी-विरोधी दवाओं के साथ लार्वा को मारने का प्रयास करते हैं, तो मृत लार्वा एक खतरनाक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकता है. इसलिए इस संक्रमण के उपचार में परजीवियों को सर्जरी के जरिए ही हटाया जाता है.

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