भारत के लिए खतरा है ईरान-सऊदी समझौते में चीनी दखल? राजदूत ने बताया इसके पीछे का मकसद और फायदा

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नई दिल्ली. भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही (Iraj Elahi) ने शुक्रवार को कहा कि राजनयिक संबंध बहाल करने को लेकर ईरान और सऊदी अरब (Iran & Saudi Arab) के बीच चीन की मदद से हुए समझौते से भारत को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह समझौता क्षेत्रीय स्थिरता कायम करेगा और नयी दिल्ली के हितों के लिए भी लाभदायक होगा. ईरान और सऊदी अरब ने सात साल पहले एक कटु विवाद के चलते खत्म हुए राजनयिक संबंध पिछले सप्ताह पूरी तरह बहाल करने की घोषणा की थी.

राजदूत ने पत्रकारों के समूह से कहा, “मुझे लगता है कि इससे (समझौते से) भारत को चिंतित नहीं होना चाहिए. इससे भारत को लाभ होगा क्योंकि यह फारस की खाड़ी क्षेत्र में स्थिरता व शांति कायम करने में मदद करेगा. इसलिए चीन की मध्यस्थता में होने के बावजूद यह भारत के लिए फायदेमंद होगा.” समझौते की घोषणा ने भारत में राजनयिक हलकों में हलचल पैदा कर दी थी.

भारत ने किया समझौते का स्वागत
इलाही ने कहा कि खाड़ी क्षेत्र में शांति व स्थिरता से भारतीय समुदाय को भी लाभ होगा, इसके अलावा अधिक आर्थिक जुड़ाव होने से क्षेत्र के विभिन्न देशों के साथ भारत के व्यापार संबंध बेहतर होंगे.

भारत ने बृहस्पतिवार को समझौते का स्वागत करते हुए कहा था कि उसने हमेशा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने की वकालत की है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा था, ‘‘ हमने इस संबंध में खबरें देखी हैं. भारत के पश्चिम एशिया में विभिन्न देशों के साथ अच्छे संबंध हैं . हमारे इस क्षेत्र के साथ गहरे संबंध निहित हैं.’’ उन्होंने चीन की भूमिका का जिक्र किये बिना कहा, ‘‘ भारत ने मतभेदों को सुलझाने में हमेशा बातचीत और कूटनीति की वकालत की है.’’

यह पूछे जाने पर कि क्या ईरान इस समझौते के जरिए सऊदी अरब की ओर से निवेश चाहता है तो इलाही ने कहा कि उनका देश सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापार संबंधों को विस्तार देना चाहता है.

उन्होंने कहा, “हम न केवल सऊदी अरब से, बल्कि यूएई से भी निवेश की उम्मीद कर रहे हैं. हमारा मानना है कि यह क्षेत्र महत्वपूर्ण बिंदु पर है. पूरा क्षेत्र- ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और विभिन्न अरब देशों के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु है. ये देश इस बात को समझ रहे हैं कि आपसी मतभेद भुलाकर भविष्य की योजना बनाना उनके लिए फायदेमंद होगा.”

Tags: China, India, Iran

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