‘प्रेस की आजादी पर भयानक….’ सरकारी खामियों को उजागर करने पर पत्रकार को फंसाया, ओडिशा हाई कोर्ट ने दी बड़ी राहत

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नई दिल्‍ली. ओडिशा हाई कोर्ट ने राज्‍य में सरकार की तरफ से कोरोना महामारी के दौरान बरती जा रही खामियों को उजागर करने पर पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमे में पीड़ित को बड़ी राहत दी है. राज्‍य सरकार की तरफ से दर्ज किए गए मुकदमे को रद्द कर दिया गया है. उनके खिलाफ जारी कानूनी कार्यवाही को भी बंद करने का निर्देश दिया गया है. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह से मुकदमे दर्ज किए जाते रहे तो प्रेस की आजादी पर इसका भयानक प्रभाव पड़ेगा. पीड़ित पत्रकार ओडिशा टेलीविजन नेटवर्क (OTV) का इनपुट एडिटर है.

जस्टिस डॉक्‍टर एस मुरलीधर की सिंगल बैंच ने कहा, ‘OTV के इनपुट एडिटर के खिलाफ अगर कानूनी कार्रवाई को जारी रखा जाता है तो इससे प्रेस की आजादी पर भयानक परिणाम पड़ सकते हैं.’ बता दें कि छह अगस्‍त 2020 को ओटीवी पर दो लोगों की बातचीत का ऑडियो चलाया गया था, जिसमें से एक ने दावा किया था कि वो कोरोना पॉजीटिव पाए जाने के बाद सरकार की देखरेख में क्‍वारंटीन में इलाज कराने के बाद लौटा है. दोनों में से एक शख्‍स ने कोरोना महामारी की गंभीरता को हल्‍के में लेने की बात कही थी. उसने कहा था कि इस बीमारी का इलाज बिना किसी दवाई के ही हो सकता है.

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ओडिशा सरकार का क्‍या था तर्क
यह बातचीत ओटीवी के यूट्यूब और अन्‍य सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर भी शेयर की गई थी. ओडिशा सरकार का मानना था कि इस तरह की खबर प्रकाशित करने से लोगों में इस गंभीर बीमारी के प्रति भ्रम की स्थिति पैदा होती है. इससे लोगों में कोरोना प्रोटोकॉल को ना मानने का बढ़ावा मिलता है. साथ ही उन्‍हें मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं लेने के प्रति बढ़ावा दिया जा रहा है. लिहाजा पत्रकार पर आईपीसी की धारा-269, 270, 120बी और 505(1) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. साथ ही डिजास्‍टर मैनेजमेंट एक्‍ट 2005 के तहत भी एक्‍शन लिया गया.

ये था असली मामला
ओडिशा सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि ओटीवी केंद्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी के लिए दिए गए फंड का गलत इस्‍तेमाल करने की झूठी खबरें भी राज्‍य में फैला रहा था. ओटीवी की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकार अपने रोजाना के लक्ष्‍यों को पूरा करने के लिए भुवनेशवर नगर निगम में कोरोना मरीजों के फर्जी केस बना रही है.

Tags: Odisha government, Odisha news, Odisha politics

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