प्रसिद्ध साहित्यकार इकराम राजस्थानी के गीत- ‘मोतियों की तरह चेहरा तेरा सच्चा लगता’

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प्रतिष्ठित साहित्यकार इकराम राजस्थानी की रचनाओं में लोक की वाणी गूंजती है. इकराम राजस्थानी गीतकार हैं, गायक हैं, समाचार वाचक और उद्षोक हैं. साहित्य में विशेष योगदान के लिए उन्हें ‘लोकमान’, ‘राष्ट्रीय एकता पुरस्कार’, ‘महाकवि बिहारी पुरस्कार’, ‘राष्ट्र रत्न’, ‘वाणी रत्न’, ‘तुलसी रत्न’ और ‘समाज रत्न’ सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है.

इकराम राजस्थानी ने हज़रत शेख सादी के ‘गुलिस्तां’ का राजस्थानी भाषा में पहला काव्यानुवाद और रबीन्द्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजलि’ का राजस्थानी भाषा में काव्यानुवाद ‘अंजली गीतां री’ किया है. प्रस्तुत हैं उनके चुनिंदा गीत-

आपसे जब सामना होने लगा

आपसे जब सामना होने लगा,
ज़िन्दगी में क्या से क्या होने लगा।

चैन मिलता है तड़पने से हमें,
दर्द ही दिल की दवा होने लगा।

ज़िन्दगी की राह मुश्किल हो गई,
हर कदम पर हादसा होने लगा।

दोस्तों से दोस्ती की बात पर,
फासला दर फासला होने लगा।

जो ग़जल में शेर बनकर के रहा,
काफ़ियों से वो जुदा होने लगा।

जैसे हो तस्वीर इक दीवार पर,
आदमी अब क्या से क्या होने लगा।

ये तुम्हारी याद है या ज़ख्म है,
दर्द पहले से सिवा होने लगा।

मोतियों की तरह चेहरा

मोतियों की तरह चेहरा तेरा सच्चा लगता,
हमको दुनिया में कोई और न अच्छा लगता।

तेरे माथे पे जो बिंदिया है, सलामत रखना,
ये अंधेरों में कोई चाँद चमकता लगता।

किस तरह आंख मिलायें, कभी ये तो बतला,
तेरी पलकों पे सदा शर्म का पहरा लगता।

मैंने मांगा था इबादत में, इन्हीं लमहों को,
साथ में तेरे मुझे वक्त भी ठहरा लगता।

ढूंढ़ता है आदमी

ढूंढ़ता है आदमी, सदियों से दुनिया में सुकून
धूप में साया मिले, कमल जाये सहरा में सुकून।

छटपटाती है किनारों, पर मिलन की आस में
हर लहर पा जाती है, जाकर के दरिया में सुकून।

बेक़रारी है कभी, पूरे समन्दर की तरह,
और कभी मिल जाता है बस, एक क़तरे में सुकून।

ज़िन्दगी को इससे ज्य़ादा और क्या कुछ चाहिए?
लबस हो इक प्यार का, और उसके लमहात में सुकून।

हर सवाली चेहरे पे लिखी इबारत देखिए,
चैन है कि न आंखों में, और कौन से दिल में सुकून।

वो खुदा से कम नहीं लगता है, मुझको दोस्तो,
मेरे ख़ातिर मांगता है जो दुआओं में सुकून।

ये उसी दामन की भीनी खुशबू का एहसास है,
जो मुझे महसूस होता है हवाओं में सुकून।

Tags: Hindi Literature, Hindi poetry, Hindi Writer, Literature

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