निषादों के नेता ने छोड़ा नीतीश का बंगला, अब डंके की चोट पर करेंगे राजनीति, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

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हाइलाइट्स

नीतीश सरकार में मंत्री रहे और वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी ने सरकारी बंगला छोड़ा.
नीतीश सरकार द्वारा आवंटित बंगला छोड़ने को संभावित राजनीति से भी जोड़ा जा रहा.
बिहार में एनडीए का कुनबा बढ़ाने की रणनीति से जोड़कर देख रहे राजनीति के जानकार.

पटना. मुकेश साहनी ने सरकारी बंगला छोड़कर राजधानी के ही कंकड़बाग कॉलोनी इलाके में अपना नया आशियाना ढूंढ लिया है. यहां पर विकासशील इंसान पार्टी (VIP) का कार्यालय भी रहेगा. इसके लिए बकायदा किराए के दो मकान भी लिए गए हैं. साल 2022 में बीजेपी से अनबन होने के बाद मुकेश साहनी (Mukesh Sahni) को नीतीश मंत्रिमंडल से बाहर होना पड़ा था. बाद में बिहार विधान परिषद की उनकी सदस्यता भी चली गई थी. लेकिन, पिछले 1 साल से भी सरकार द्वारा आवंटित सरकारी बंगले में जमे हुए थे.

नीतीश सरकार की तरफ से भी उन पर कभी इस बात का दबाव नहीं बनाया गया कि वह सरकारी बंगला खाली कर दें. यही कारण है कि मुकेश सहनी सार्वजनिक मंचों से नीतीश सरकार की आलोचना करने से गुरेज करते थे. हाल के दिनों में उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से वाई प्लस सुरक्षा दी गई जिसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया और कहा जाने लगा कि केंद्र की भाजपा सरकार लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुकेश सहनी पर मेहरबान है.

राजनीति में मुकेश सहनी कितने अहम?
मुकेश सहनी द्वारा नीतीश सरकार द्वारा आवंटित बंगला छोड़ दिए जाने के बाद यह बात खुले तौर पर समझी जाने लगी थी कि आप मुकेश साहनी एनडीए के पक्ष में जाने से तनिक भी नहीं हिचकिचाएंगे और इस गठबंधन के पक्ष में खुलकर बोलेंगे. यह भी माना जाने लगा है कि कल को एनडीए में शामिल भी हो जाएंगे. हालांकि, मुकेश साहनी बिहार की राजनीति में अब तक कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा पाए हैं.

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एनडीए गठबंधन को मजबूत करेंगे सहनी!
वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कर लें तो उन्हें एनडीए गठबंधन में 11 सीटें आवंटित की गई थी और 11 सीटों में 4 सीटों पर उनकी पार्टी वीआईपी ने जीत हासिल की थी. हालांकि, यह सभी 11 सीट बीजेपी को कोटे के बताए जाते हैं. इस चुनाव परिणाम के बारे में नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था.

निषादों में ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से पॉपुलर
राजनीतिक जानकारों की मानें तो मुकेश सहनी भले ही कोई बड़ी जीत हासिल नहीं कर पाए हों, लेकिन सीटों की लिहाज से बात छोड़ दी जाए तो भी निषादों की संख्या पांच प्रतिशत है. ऐसे में मुकेश सहनी वोटों के बिखराव को रोकने में कारगर नेता हैं. मुकेश साहनी हमेशा से भाजपा के मददगार रहे हैं. 2014 लोकसभा और 2015 के बिहार विधानसभा के चुनाव की बात कर ली जाए तो मुकेश सहनी खुलकर एनडीए के समर्थन में थे.

Tags: Bihar BJP, Bihar News, Bihar politics, Mukesh Sahni

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