दोहरे अर्थ वाले गाने गाकर हुईं बदनाम, छीना नाम और सम्मान? गायिका का छलका दर्द- ‘पसंद तो करते हैं पर…’

[ad_1]

home / photo gallery / entertainment /

दोहरे अर्थ वाले गाने गाकर हुईं बदनाम, छीना नाम और सम्मान? गायिका का छलका दर्द- ‘पसंद तो करते हैं पर…’

Sushma Shreshta aka Singer Poornima Life Story: बॉलीवुड की मशहूर गायिका की कशिश भरी आवाज और उनके दोहरे अर्थ वाले गीतों ने 90 के दौर में धूम मचा दी थी. सिंगर के ‘सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे’, ‘सईंया के साथ मढ़ैया में’ और ‘कबूतरी बोले कबूतर से’ जैसे द्विअर्थी गाने सुपरहिट तो हो गए, लेकिन ऐसे गानों के चलते उनकी खूब बदनामी और आलोचना हुई. वे अपने दौर की गायिकों अल्का याग्निक, अनुराधा पौडवाल, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ति जितनी टैलेंट हैं, लेकिन उन्हें वह सम्मान और पहचान नहीं मिली, जिसकी वे हकदार हैं. सिंगर की मां आशा भोंसले की दोस्त थीं. वे बचपन में आशा भोंसले की गोद में बैठकर उन्हें गाते हुए सुनती थीं. आज वे गुमनामी की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं.

01

(फोटो साभार: YouTube)

नई दिल्ली: सिंगर की सुरीली आवाज में तीखापन है, तो मिठास भी है. उन्होंने अल्का याग्निक और अनुराधा पौडवाल जैसी उम्दा गायिकाओं के बीच अपनी खास पहचान बनाई, जिनके गाने आज भी सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. आज भी लोगों के मोबाइल में इनके गानों की प्ले लिस्ट मिल जाएगी. उन्होंने फिल्म ‘हीरो नंबर है’ का गाना ‘सोना कितना सोना है’ सहित ‘तुतु तू..तुतु तारा तोड़ो न दिल हमारा’ और ‘सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे’ जैसे सुपरहिट गाने गाए थे. (फोटो साभार: YouTube)

02

(फोटो साभार: YouTube)

सिंगर ने सिर्फ 9 साल की उम्र से फिल्मों में गाना शुरू कर दिया था. उन्होंने साल 1969 में फिल्म ‘अंदाज’ का गाना ‘है ना बोलो बोलो’ गाया था. उन्होंने 70 के दौर की कई हिंदी फिल्मों में सुषमा श्रेष्ठ के नाम से कई हिट गाने गाए थे, जिनमें फिल्म ‘आ गले लग जा’ का फेमस गाना ‘तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई’ भी शामिल है. (फोटो साभार: YouTube)

03

(फोटो साभार: YouTube)

सुषमा श्रेष्ठ बड़े होकर पूर्णिमा नाम से मशहूर हुईं. सिंगर की आवाज 90 के दौर में युवाओं की धड़कन बन गई थी. उन्होंने ‘सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे’, ‘जोरा जोरी चने के खेत में’, ‘ऊंची है बील्डिंग’, ‘सोना कितना सोना है’ जैसे कई हिट गाने गाए थे. वे गानों में करिश्मा कपूर की आवाज ही बन गईं. हालांकि उन्हें गायिकाओं अल्का याग्निक, अनुराधा पौडवाल, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ति की तरह सम्मान नहीं मिला. (फोटो साभार: YouTube)

04

(फोटो साभार: YouTube)

सिंगर पूर्णिमा जैसी उम्दा गायिका से नई पीढ़ी अनजान हैं. वे गुमनामी की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं. पूर्णिमा ने कभी किसी इंटरव्यू में अपना दर्द बयां किया था. वे बोली थीं, ‘यहां ऐसा होता है कि लोग स्वाभिमानी इंसान को पसंद करते हैं, लेकिन उनके साथ काम करना पसंद नहीं करते.’ (फोटो साभार: YouTube)

05

(फोटो साभार: YouTube)

सुषमा श्रेष्ठ उर्फ पूर्णिमा मुंबई में सन 1960 में एक नेपाली मूल के परिवार में जन्मी थीं. उनके मम्मी-पापा का भी संगीत की दुनिया से गहरा ताल्लुक था. पिता भी फिल्म इंडस्ट्री से जुडे़ थे. उनकी मां निर्मला श्रेष्ठ भी संगीत से जुड़ी थीं और आशा भोंसले की गहरी दोस्त थीं. (फोटो साभार: YouTube)

06

(फोटो साभार: YouTube)

63 साल की पूर्णिमा ने एक बातचीत में बताया था कि जब उनका जन्म होने वाला था, तब उनकी मां आशा भोंसले से गाने सुनती थीं. वे भगवान से प्रार्थना करती थीं कि उनकी संतान की आवाज भी आशा भोंसले की तरह सुरीली हो. सिंगर ने ‘कुली नंबर 1’, ‘जुड़वां’ और ‘हीरो नंबर 1’ जैसी फिल्मों के सभी गाने गाए थे. वे आज भी स्टेज शोज करती हैं. (फोटो साभार: YouTube)

अगली गैलरी

अगली गैलरी

[ad_2]

Source link