जर्मनी और भारत 6 सबमरीन के निर्माण के समझौते के करीब, 5.2 बिलियन डॉलर का होगा प्रोजेक्‍ट

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नई दिल्‍ली. जर्मनी (Germany) और भारत (India) के बीच 6 सबमरीन के निर्माण का बड़ा समझौता हो सकता है. इसके लिए जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्‍टोरियस मंगलवार को दिल्‍ली पहुंच गए हैं. यह समझौता रूस की बजाए जर्मनी से हो रहा है. यूक्रेन युद्ध के कारण भारत को मॉस्‍को से अलग सैन्‍य हार्डवेयर के अपने स्रोतों विस्तार करने के लिए प्रेरित किया है. सूत्रों के अनुसार थिसेनक्रुप एजी की समुद्री शाखा और भारत की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड भारतीय नौसेना के लिए छह पनडुब्बियों के निर्माण के लिए अनुमानित $5.2 बिलियन की परियोजना के लिए संयुक्त रूप से बोली लगाने की संभावना है.

इधर, जर्मन और भारतीय अधिकारियों ने कहा कि जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस दो दिवसीय यात्रा पर भारत में होंगे. उनकी उपस्थिति में प्रारंभिक समझौते या समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. पिस्टोरियस ने कहा है कि जब वह बुधवार को मुंबई आएंगे तो पनडुब्बी सौदा एजेंडे में होगा. उन्होंने टीवी इंटरव्‍यू कहा कि उनकी भूमिका, उनके साथ यात्रा कर रहे जर्मन अधिकारियों और उनके भारतीय समकक्षों के बीच बातचीत को ‘समर्थन और सहायता’ करने की है.

भारत के रक्षा मंत्रालय ने नहीं दिया है जवाब
पिस्टोरियस ने कहा, ‘यह न केवल जर्मन उद्योग के लिए बल्कि भारत और भारत-जर्मन रणनीतिक साझेदारी के लिए भी एक बड़ा और महत्वपूर्ण अनुबंध होगा.’ हालांकि भारत के रक्षा मंत्रालय और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने इस टिप्पणी पर कोई जवाब नहीं दिया है. वहीं, जर्मन रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता और थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के प्रतिनिधि ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. कील ( जर्मनी) स्थित रक्षा निर्माण कंपनी ने दो साल पहले जब निविदा की घोषणा की थी तब भारत में संयुक्त रूप से पनडुब्बियों के निर्माण में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.

पश्चिमी देश और विशेष रूप से जर्मनी, भारत के साथ समझौते को तैयार
अब यूक्रेन में युद्ध अपने दूसरे वर्ष में है और चीन युद्ध में रूस के साथ लॉकस्टेप में आगे बढ़ रहा है, जबकि पश्चिमी देश और विशेष रूप से जर्मनी, बीजिंग की बढ़ती कूटनीतिक और सैन्य मुखरता के खिलाफ भारत पर अपना दांव लगा रहे है. पनडुब्बियों के लिए, भारत ने डीजल अटैक वाली पनडुब्बियों के निर्माण के लिए विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ गठजोड़ करने के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और लार्सन एंड टुब्रो की पहचान की है.

विश्व स्तर पर दो पनडुब्बी निर्माताओं में से एक है थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स
साझेदारी के लिए एक प्रमुख लक्ष्य थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स था, जो विश्व स्तर पर दो पनडुब्बी निर्माताओं में से एक है. उसके पास एक ऐसी तकनीक जो पारंपरिक पनडुब्बियों को लंबे समय तक पानी के नीचे रहने में मदद करती है. साथ ही थिसेनक्रुप निर्मित पनडुब्बियों का उपयोग अतीत में भारतीय नौसेना द्वारा किया जाता था. इसके कारण ही वह दक्षिण कोरिया के देवू और स्पेन के नवंतिया समूह की तुलना में कहीं अधिक बेहतर विकल्प माने गए.

Tags: Defence ministry, Germany, India, Submarines

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