जब गुलजार ने की हुस्न की अजीबो-गरीब तारीफ, कल्पना पर उठे सवाल, गाना निकला सुपरहिट, फिल्म ने भी गाड़े झंडे

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नई दिल्ली: गीतकार और शायर अपनी गहरी संवेदनाओं को व्यक्त करने के लिए गानों में अक्सर ऐसा अद्भुत प्रयोग करते हैं कि लोग उसे तर्क के तराजू पर तौलने लगते हैं. गुलजार को अक्सर इसका सामना करना पड़ा है, लेकिन मामला तब पेचीदा हो गया, जब उन्होंने औरत के हुस्न की तारीफ में कमाल का गाना लिख दिया. लोग पूछने लगे कि यह कैसी कल्पना है. यहां संगीतकार हेमंत कुमार की तारीफ करनी होगी. उन्होंने गुलजार के गाने में कोई छेड़छाड़ किए बिना उसे संगीतबद्ध किया. राजेश खन्ना और वहीदा रहमान की फिल्म ‘खमोशी’ का यह गाना, आज भी बहुत पॉपुलर है. लोग इस पर खूब रील बनाते हैं.

गुलजार का लिखा वह मशहूर गाना है- ‘हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू.’ लोगों ने पूछा कि आंखों की चमक या रौशनी होती है, यहां ‘महकती खुशबू’ गीतकार की कैसी अजीब कल्पना है. बहरहाल, लता मंगेशकर ने इसे बड़ी खूबसूरती से गाया. गुलजार चाहते थे कि हेमंत कुमार इसे गाएं, क्योंकि इसमें महिला के हुस्न की तारीफ है, इसलिए कोई फीमेल सिंगर इसे गाएगी, तो यह बड़ा अजीब होगा. गुलजार ने गीत में नायक की कल्पना करके लिखा था. मगर संगीतकार हेमंत कुमार ने उनकी यहां एक नहीं सुनी और बोले कि अगर कोई इस गीत के साथ न्याय कर सकता है, तो वह लता मंगेशकर हैं. मशहूर गाने की शुरुआती पंक्तियां कुछ इस प्रकार हैं-
‘हमने देखी है उन आंखों की
महकती खुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्जाम न दो…’

गीत-कविताएं शब्द नहीं हैं, पर इनके बिना शायर या गीतकार अपने एहसास बयां नहीं कर सकता. हेमंत कुमार इसे बखूबी जानते थे. वे एक ऐसे संगीतकार और गायक थे, जो गीत के बोलो को संगीत से ज्यादा महत्व देते थे. उन्होंने गुलजार के गाने को ज्यों-का-त्यों लिया. यही वजह है कि 55 साल बाद भी यह गाना खूब सुना जा रहा है. लोग तर्क में उलझे बिना गाने ‘हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू’ को दिल में महसूस करते हैं. साल 1969 में आई फिल्म ‘खामोशी’ का यह गाना वहीदा रहमान पर फिल्माया गया था, जिसमें राजेश खन्ना के अलावा धर्मेंद्र ने भी अहम रोल निभाया था. फिल्म हिट रही थी और इसका यह गाना सुपरहिट रहा था.

Tags: Dharmendra, Gulzar, Lata Mangeshkar, Rajesh khanna, Waheeda rehman

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