‘क्‍या समझौते का कोई मौका है?’ अबॉर्शन की मांग वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने पूछा ये सवाल

[ad_1]

अहमदाबाद. गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने एक नाबालिग की अबॉर्शन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि क्‍या समझौते का कोई मौका है? कोर्ट ने पूछा आरोपी कहां है? जस्टिस समीर जे. दवे की बेंच ने आदेश पारित करने से पूर्व मौखिक रूप से यह टिप्पणी की. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके दिमाग में कुछ है जिसे वह अभी प्रकट नहीं करना चाहते. इसके जवाब में पीड़िता के वकील सिकंदर सैयद ने कहा कि उन्होंने अपनी तरफ से काफी कोशिश की, लेकिन आरोपी तैयार नहीं हुआ है.

आरोपी को यह बताया गया कि उसके समझौता करने से तीन लोगों (पीड़ित, बच्चा और आरोपी) पर सीधा असर पड़ेगा. जबकि बलात्कार पीड़िता (उम्र 16 साल 11 महीने) को 7 महीने से अधिक का गर्भ है और वह अबॉर्शन चाहती है. इससे पहले कोर्ट ने इसी मामले में कहा था कि क्‍या आपने मनु स्‍मृति को पढ़ा है, यकीनन नहीं पढ़ा होगा, उसे पढि़ए. अपने दादा-दादी से पूछिए पहले 14-15 साल में शादी और 17 साल की उम्र में बच्‍चे होते थे. लेकिन इस सद्भावना वाली टिप्‍पणी को अन्‍यथा ले लिया गया था.

एक न्यायाधीश को ‘स्थित प्रज्ञ’ जैसा होना चाहिए
उन्‍होंने कहा कि इस मामले में ‘विद्वान एपीपी कह रहे हैं कि यदि न्यायालय से कुछ आ रहा है, तो लोग आपकी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन एक बात मैं कह सकता हूं कि एक न्यायाधीश को ‘स्थित प्रज्ञ’ जैसा होना चाहिए. इस बारे में भगवद गीता के अध्याय 2 के अनुसार, श्लोक 54 से 72 तक में कहा गया है. एक न्यायाधीश को ऐसा होना चाहिए और उसे प्रशंसा या आलोचना को नजरअंदाज करना चाहिए.’

कोर्ट ने कहा- ‘इस बात का खुलासा नहीं कि मेरे दिमाग में क्‍या है?’  
कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी सलाखों के पीछे है तो मुझे फोन करके उससे पूछने दीजिए, मुझे पता लगाने दीजिए. अभी तक, मैं इस बात का खुलासा नहीं कर रहा हूं कि मेरे दिमाग में क्या है? वहां कई सरकारी योजनाएं हैं …मैंने अपने मन का खुलासा नहीं किया है. कोर्ट ने कहा हम अभी संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं. कोर्ट ने पीड़िता के वकील के लिए यह भी खुला रखा है कि वह माता-पिता या पीड़िता को बुला सकती है. पीड़िता ने खुद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कोर्ट ने उनसे यह भी सोचने को कहा कि क्या हो सकता है? इस मामले में क्‍या किया जाना चाहिए और गोद लेने की संभावनाओं का भी पता लगाना चाहिए.

Tags: Gujarat High Court, Gujarat High Court news, Gujarat news, गुजरात

[ad_2]

Source link