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नई दिल्ली. वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने मंगलवार को कहा कि भारत के बड़े हिस्से में बारिश का दौर असामान्य है, लेकिन इसके कारण भूमि ठंडी होने से मानसून के आगमन में देरी नहीं होगी. भारतीय मानसून भारतीय भूमि और हिंद महासागर के बीच तापमान तथा दबाव के अंतर से संचालित होता है. गर्मियों के महीनों के दौरान भूमि गर्म हो जाती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है जो समुद्र से नम हवा खींचता है, जिसके परिणामस्वरूप वर्षा होती है. ऐसी चिंताएं हैं कि लंबे समय तक चल रहे बारिश दौर के कारण भूमि का ठंडा होना कम दबाव वाले क्षेत्र को कमजोर कर सकता है और इससे समुद्र से नमी से भरी हवा को खींचने वाले बल में कमी होगी. नतीजतन, मानसून की बारिश के आगमन में देरी हो सकती है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन दिन से पूरे भारत में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना हुआ है. मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘इस तरह का कोई संबंध नहीं है (चल रही बारिश के कारण जमीन के ठंडे होने और मानसूनी हवाओं के कमजोर होने के बीच). उन्होंने कहा कि भूमि के गर्म होने के लिए अभी पर्याप्त समय है.
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निजी मौसम-पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर के अध्यक्ष (मौसम विज्ञान) जी पी शर्मा ने कहा, ‘हालांकि देश के बड़े हिस्से में एक साथ लंबे समय तक बारिश बहुत कम होती है, लेकिन यह मानसून के आगमन को प्रभावित नहीं करेगी. यदि हम सामान्य तिथि (मानसून के आगमन के लिए) यानी एक जून को देखें तो अभी भी एक महीना बाकी है. यह बहुत लंबा समय है.’ शर्मा ने कहा, ‘यह दौर संभवत: एक और सप्ताह चलेगा. इसके बाद मानसून-पूर्व मौसम की सामान्य स्थिति- गर्मी और आंधी-तूफान शुरू हो जाएगा.’
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Tags: Imd, Monsoon, Scientist
FIRST PUBLISHED : May 03, 2023, 04:59 IST
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