कैंसर के मरीजों को यहां दी जा रही म्यूजिक थेरेपी, संगीत सुनकर भूल जाते हैं दर्द! देखें Video

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प्रदीप धनखड़/झज्जर: हौसला अगर बुलंद है और आप विश्वास से भरे हैं तो आप बड़ी से बड़ी जंग में फतह हासिल कर सकते हैं. झज्जर में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है, जहां मरीज अपने बुलंद हौसलों के साथ कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. कैंसर के खिलाफ इस लड़ाई में मरीजों का साथ दे रही है म्यूजिक थेरेपी, जिसकी बदौलत मरीजों को रिकवर करने में सहायता मिल रही है.

झज्जर के गांव बाढ़सा में एम्स-टू के अंदर इन दिनों कैंसर मरीजों को संगीत थेरेपी दी जा रही है. भाऊराव ट्रस्ट द्वारा संचालित बाढ़सा एम्स टू के विश्राम सदन में ये थेरेपी दी जाती है. संस्था के मैनेजर और म्यूजिक टीचर राम बहादुर को संगीत थेरेपी के कुशल संचालन की जिम्मेवारी मिली है. थेरेपी के जरिए कैंसर के मरीजों का दर्द भुलाने का प्रयास किया जाता है. बता दें डॉक्टर के परामर्श, कीमो और रेडियोथेरेपी के बाद थके हुए मरीज जब विश्राम सदन में लौटते हैं तो उनके चेहरों पर खुशी लाने और उन्हें मानसिक रूप से सकून देने की कोशिश की जाती है.

मरीजों से पूछते हैं उनके फेवरेट सॉन्ग
रामबहादुर बताते हैं कि कैंसर से जूझ रहे मरीज और उनके परिजनों को अस्पताल में इलाज के लिए संघर्ष करते देखना तकलीफदेह होता है. ऐसी हताशा में कोई यदि उन्हें पसंदीदा गायक का गाना सुना दे तो मरीज को सुखद अनुभूति होती है. म्यूजिक थेरेपी शुरू करने से पहले अस्पताल के हर कमरे में जाकर मरीज से उसके पसंदीदा गायक का नाम और गीत पूछा जाता है और फिर उसे गिटार पर बजाया जाता है. जिसे सुनकर मरीज को काफी सुकून मिलता है. रामबहादुर ये भी दावा करते हैं की किसी भी पीड़ृा को दूर करने का माध्यम केवल और केवल संगीत है.

योग भी सिखाया जाता है
बाढ़सा के एम्स-टू में अब तक करीब दस हजार कैंसर मरीजों को म्यूजिक थेरेपी दी जा चुकी है और इन सभी मरीजों ने इस संगीत थेरेपी के माध्यम से ही अपने जीवन को आनंद से जिया है. वहीं कैंसर मरीजों के इलाज के लिए प्रसिद्ध योगाचार्य को बुलाकर मरीजों को योग के गुर सिखाएं जाते हैं, जिससे मरीज काफी सुकून महसूस करते है. वहीं भाऊराव ट्रस्ट विभिन्न योजनाओं के तहत काम करती है. पूरे भारत में जहां-जहां एम्स है, वहीं पर विश्राम सदन में संगीत थेरेपी के माध्यम से कैंसर मरीजों व उनके साथ आने वालों को सुकून से जीवन जीने का प्रयास किया जाता है.

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FIRST PUBLISHED : June 08, 2023, 19:55 IST

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