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हाइलाइट्स
पुराने मैसूर क्षेत्र में कांग्रेस को मुस्लिम मतदाताओं से जबरदस्त समर्थन मिला.
49 में से 30 सीटों पर बढ़त बनाकर दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में जीत हासिल की.
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने का वादा किया था.
Karnataka Assembly Election: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं. अब बहस हो रही है चुनावी परिणामों और पार्टियों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर, आखिर किस वजह से कांग्रेस को इन चुनावों में जीत मिली तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. चुनाव प्रचार के दौरान बजरंग दल पर बैन के विवाद को लेकर लगा था कि कांग्रेस को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी को भी इससे फायदा नहीं मिला. इस विवादित मुद्दे के चलते पुराने मैसूर में कांग्रेस के लिए मुस्लिम मतदाता एकजुट हो गए.
कांग्रेस ने इस पूरे क्षेत्र में 49 में से लगभग 30 सीटों पर बढ़त बनाकर दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में जीत हासिल की, जबकि जेडीएस अपने पूर्ववर्ती गढ़ में लगभग 14 सीटों पर सिमट गई. बीजेपी यहां सिर्फ 5 सीटें ही जीत सकी. यह तस्वीर 2018 के चुनाव से बिल्कुल उल्टी है. क्योंकि उस वक्त जेडीएस ने 24 सीटें जीती थीं, कांग्रेस ने 16 और बीजेपी ने 9 सीटें जीती थीं.
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पुराने मैसूर में जेडीएस को छोड़ कांग्रेस के साथ मुस्लिम मतदाता
पुराने मैसूर क्षेत्र में परंपरागत रूप से वोकालिग्गस ने जेडीएस को वोट दिया है, जबकि मुस्लिम वोट जेडीएस और कांग्रेस के बीच बंटे हुए हैं. हालांकि, इस बार ऐसा लगता है कि पुराने मैसूर में मुस्लिम मतदाता राज्य के अन्य क्षेत्रों की तरह कांग्रेस के लिए एकजुट हुए, जिससे पार्टी को 14 सीटों का फायदा हुआ.
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के लिए कई फैक्टर्स ने काम किया है. एक तो सत्ता में आने पर 4% मुस्लिम आरक्षण को बहाल करने का वादा था, जिसे बीजेपी ने सत्ता में रहते हुए खत्म करने की कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी. दूसरा कारण था कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार सिद्धारमैया, जो पुराने मैसूर क्षेत्र के वरुणा से चुनाव लड़ रहे थे. उन्होंने कहा था कि इस क्षेत्र से मुख्यमंत्री बेंगलुरु भेजा जाएगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए मुसलमानों ने सिद्धारमैया को अपना नेता माना है.
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बजरंग दल-बजरंग बली के मुद्दे से कांग्रेस को फायदा
पुराने मैसूर में मुसलमानों के पूरी तरह से कांग्रेस के साथ जाने की एक सबसे बड़ी वजह रही बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा, 2 मई को कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में ‘बजरंग दल’ संगठन पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था. इस पर बीजेपी ने हिन्दू वोटों को एकजुट करने के लिए कांग्रेस को जमकर घेरा, लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा ने तुष्टिकरण के आधार पर उन पर हमला करने के लिए ‘बजरंग दल’ का मुद्दा उठाया. हालांकि, इस मुद्दे ने दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस के लिए एकजुट किया.
इस चुनाव में जेडीएस ने अपने वफादार मुस्लिम वोट बैंक को कांग्रेस के हाथों खो दिया. यही वजह रही कि दक्षिणी कर्नाटक में लगभग 30 सीटों पर कांग्रेस जीतने में कामयाब रही. पुराने मैसूर में बड़ी जीत कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण रही.
बीजेपी ने चुनावी अभियान के अंतिम सप्ताह में ‘बजरंग बली’ को चुनावी मुद्दा बनाया, लेकिन इससे पार्टी को मदद नहीं मिली क्योंकि राज्य में स्पष्ट रूप से मतदाताओं ने स्थानीय मुद्दों पर मतदान किया है. पुराने मैसूर क्षेत्र में यह मुद्दा कांग्रेस के लिए एक ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हुआ, जहां मुस्लिम मतदाता, जो कभी भी पूरी तरह से कांग्रेस के साथ नहीं रहे, उन्होंने एकजुट होकर कांग्रेस का समर्थन किया.
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Tags: Assembly elections, BJP, Karnataka Assembly Elections 2023, PM Modi, Rahul gandhi
FIRST PUBLISHED : May 13, 2023, 22:27 IST
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