ओडिशा ट्रेन हादसा: ‘मैं जिंदा हूं, पानी पिला दो…’, लाशों के बीच पड़े युवक ने कराहते हुए दी आवाज़

[ad_1]

नई दिल्‍ली. ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) के बाद शवों को स्‍कूल के एक कमरे में रखा गया था, जहां से एक युवक जिंदा मिला है. खबरों के मुताबिक शुक्रवार को हुई ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना के बाद रॉबिन नैया (35) बेहोश थे, लेकिन उन्‍हें मृत मानकर शवों के साथ स्‍कूल के एक कमरे में छोड़ दिया गया था. इस कमरे में जब बचाव कर्मी दाखिल हुए तो उनमें से एक के पैर को अपने हाथों से दबाते हुए राबिन ने कराहते हुए कहा- ‘मैं जिंदा हूं, मरा नहीं हूं. प्‍लीज पानी पिला दो.’

यह जानकारी मंगलवार को सामने आई है. बालासोर में हुई दुर्घटना के बाद इस खबर से रॉबिन के परिवार में खुशियां छा गईं हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद शवों को रखने के लिए सरकारी स्‍कूल के कमरों को ही अस्‍थायी मर्चुरी बना दिया गया था. एक कमरे में कई लाशों को रखा गया था. बचाव कर्मी शवों को पोस्‍टमार्टम के लिए ले जा रहे थे तो कुछ शवों की पहचान में जुटे हुए थे. इसी क्रम में जब बचावकर्मी स्‍कूल के इस कमरे में दाखिल हुए तो उनमें से एक को लगा कि कोई उसके पैरों को पकड़ रहा है. तभी उसे आवाज आई मैं जिंदा हूं… मैं मरा नहीं हूं.. प्‍लीज मुझे पानी पिला दो.

रॉबिन के 6 दोस्‍त लापता, रोजगार की तलाश में निकले थे घर से
बचावकर्मियों ने उस युवक को तुरंत पानी पिलाया और सीधे अस्‍पताल लेकर गए. शख्‍स की पहचान रॉबिन नैया के रूप में हुई जो पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के चर्नेखली गांव के निवासी हैं. रॉबिन का मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आर्थोपेडिक वार्ड में उनका इलाज चल रहा है. इस हादसे में उन्‍होंने अपने दोनों पैर गवां दिए हैं. वे अपने गांव के 7 अन्‍य लोगों के साथ कोरोमंडल एक्‍सप्रेस में सवार थे और ये सभी रोजगार की तलाश में हावड़ा से आंध्र प्रदेश जाने वाले थे. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक रॉबिन के 6 अन्‍य दोस्‍तों के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है. वे लापता बताए जा रहे हैं.

रॉबिन के चाचा 2010 में ज्ञानेश्‍वरी एक्‍सप्रेस दुर्घटना में बचे थे बाल-बाल
2 जून की ट्रेन दुर्घटना, नैया के परिवार में इस तरह की दूसरी घटना है. रॉबिन के चाचा 2010 में पश्चिमी मिदनापुर में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की घटना में बाल-बाल बचे थे जिसमें 148 लोग मारे गए थे. उस समय ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतर कर विपरीत दिशा से आ रही एक मालगाड़ी से टकरा गई थी.

ओडिशा सरकार के लिए शवों संरक्षित करना बना चुनौती
ओडिशा सरकार ने कहा है कि मौजूदा गर्म मौसम की स्थिति शवों को संरक्षित करना बड़ी चुनौती बन गया है. इधर, एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर आशुतोष बिस्वास ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में शवों को संभाल कर रखना, उनकी पहचान करना और सभी औपचारिकताओं के बाद शवों को उनके परिवारों तक पहुंचाना बहुत मुश्किल है.’ वहीं, एम्स, भुवनेश्वर ने सोमवार को पारादीप पोर्ट से कम से कम पांच डीप फ्रीजर कंटेनर खरीदे हैं.

केंद्र सरकार के अस्‍पतालों से पहुंची मेडिकल टीम
सोमवार को एम्स, लेडी हार्डिंग और राम मनोहर लोहिया सहित नई दिल्ली के प्रतिष्ठित केंद्र सरकार के अस्पतालों के 20 चिकित्सा पेशेवरों और कर्मचारियों का एक समूह शवों को संरक्षित करने में मदद करने के लिए बालासोर पहुंचा था. sachhikhabar की रिपोर्ट के अनुसार, टीम में एनाटॉमी और फॉरेंसिक मेडिसिन के विशेषज्ञ शामिल हैं. शरीर रचना विभाग की भूमिका में संलेपन द्वारा संरक्षण शामिल है, जबकि फोरेंसिक मेडिसिन टीम पोस्टमार्टम परीक्षाओं के संचालन के लिए जिम्मेदार है.

Tags: Odisha, Odisha Train Accident, West bengal

[ad_2]

Source link