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Balasore Train Accident: ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को हुए ट्रेन हादसे में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 100 से ज्यादा शवों की अब तक पहचान नहीं हो पाई है. हालात इतने खराब थे कि शवों को सड़ने से बचाने के लिए भुवनेश्वर एम्स समेत कई अस्पतालों में मौजूद मॉच्युरी में रखा गया है. इन शवों को डिकंपोज होने से बचाने के लिए एम्बाल्मिंग की जा रही है. इस तरह से शवों को सामान्य से ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. जानते हैं कि एम्बाल्मिंग क्या है और इसे कैसे किया जाता है?
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बालासोर ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों के शवों को मुफ्त परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने का ऐलान भी किया है. राज्य सरकार के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने बताया कि उचित प्रक्रिया के बाद सभी शवों को उनके संबंधित जगहों पर भेजने के लिए सौंप दिया गया है. ओडिशा सरकार चाहती है कि सभी शवों की पहचान की जाए ताकि उनके परिवार अंतिम संस्कार कर सकें. शवों को सुरक्षित रखना मौजूदा गर्म मौसम में बड़ी चुनौती है. मुख्य सचिव जेना के मुताबिक, गर्म मौसम में शव तेजी से सड़ रहे हैं.
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एम्बाल्मिंग फेसिलिटी क्या है?
शव को सामान्य से ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने यानी डिकंपोज होने से बचाने के लिए एम्बाल्मिंग फेसिलिटी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें शव पर खास केमिकल्स का लेप किया जाता है. ये काम डॉक्टरों और फोरेंसिक विशेषज्ञों की देखरेख में किया जाता है. एनाटॉमी विभाग के विशेषज्ञ शवों पर ऐसे लेप लगाकर संरक्षित करते हैं. वहीं, फोरेंसिक मेडिसिन टीम पोस्टमार्टम करती है. आसान भाषा में कहें तो शव को सुरक्षित रखने के लिए केमिकल्स का लेप करने की प्रक्रिया को एम्बाल्मिंग कहते हैं. लावारिस शवों को भुवनेश्वर एम्स के अलावा कैपिटल अस्पताल, अमरी अस्पताल, सम अस्पताल में भी रखा गया है.
शवलेपन प्रक्रिया में अवशेषों को अस्थायी रूप से संरक्षित करने के लिए मृत व्यक्ति के शरीर पर रसायनों का लेप किया जाता है.
कैसे करते हैं एम्बाल्मिंग?
शवलेपन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें अवशेषों को अस्थायी रूप से संरक्षित करने और डिकंपोज या अपघटन की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए मृत व्यक्ति के शरीर पर रसायनों का उपयोग किया जाता है. वैसे तो लेप लगाने की प्रक्रिया हजारों वर्षों से अलग-अलग रूपों में प्रचलित है. भुवनेश्वर एम्स ने एम्बाल्मिंग के लिए ही बड़ी संख्या में ताबूत, बर्फ और फार्मलीन केमिकल खरीदा है. एनाटॉमी विभाग के विशेषज्ञ शव को अच्छे से साफ करने के बाद उस पर फार्मलीन केमिकल का लेप करते हैं. इसके बाद उसे ताबूत में रखकर शीतगृह में रख दिया जाता है. इससे शव कुछ ज्यादा समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है.
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कब-कब होती है जरूरत?
एम्बाल्मिंग को लेकर अलग-अलग राज्यों में अलग नियम हैं. फिर भी जब किसी शव को विमान या ट्रेन के जरिये ज्यादा दूरी तक या अंतरराष्ट्रीय सीमा के बाहर ले जाना होता है तो एम्बाल्मिंग की जाती है. अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु और अंतिम संस्कार के बीच एक हफ्ते से ज्यादा समय का अंतराल होता है तो एम्बाल्मिंग फेसिलिटी का इस्तेमाल किया जाता है. ओडिशा ट्रेन हादसे में बड़ी संख्या में मृतकों की पहचान नहीं हो पा रही है. ऐसे में ओडिशा सरकार ने एम्बाल्मिंग के विकल्प का चुनाव किया है.
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मरने के बाद कब क्या होता है?
मृत्यु के बाद शव में कई बदलाव होते हैं. मरते समय इंसान का दिल काम करना बंद कर देता है. फिर धीरे-धीरे सांस लेना, आवाज आना, फेफड़े, दिमाग काम करना बंद करते हैं. मरने के तुरंत बाद की स्थिति को पैलर मॉर्टिस कहा जाता है. इसमें ब्लड सर्कुलेशन बंद होने से शरीर पीला पड़ना शुरू होता है. आंख की पुतलियां पथरा जाती हैं. फिर ऑक्सीजन का स्तर कम होने से शरीर का तापमान कम होने लगता है. दूसरे चरण एलगोर मॉर्टिस में शरीर के ठंडे होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. मरने के 1 घंटे बाद मांसपेशियां अकड़ने से पूरा शरीर अकड़ने लगता है. मरने के 8 से 12 घंटे में खून शरीर के जमीन से लगे हुए हिस्से की तरफ जमा होने लगता है. 24 घंटे के भीतर टिष्यू टूटने लगते हैं. शरीर के अंगों में पानी भर जाता है.
मौत के 24 घंटे बाद बैक्टीरिया और फंगस शरीर के अंदरूनी अंगों को गलाना शुरू कर देते हैं.
कब सड़ना शुरू होता है शव?
मौत के 24 घंटे बाद बैक्टीरिया और फंगस शरीर के अंदरूनी अंगों को गलाना शुरू कर देते हैं. मरने के 2 दिन बाद शव सड़ना शुरू हो जाता है. शरीर पर फफोले पड़ने लगते हैं. शव के मुंह और नाक से खून टपकने लगता है. मरने के 10 दिन में शव की आंतों में मौजूद बैक्टीरिया टिश्यूज को खाना शुरू कर देते हैं. गैस बनने से शव का पेट फूलने लगता है और बेहद तीखी बदबू आने लगती है. फिर जीभ लटकने लगती है. शव का रंग हरा होने लगता है. मौत के दो हफ्ते बाद बाल, नाखून और दांत अलग होने लगते हैं. चमड़ी मोम की तरह लटकने लगती है. एक महीने बाद चमड़ी या तो पानी की तरह हो जाती है या सूख जाती है. ये लाश के आसपास के मौसम पर निर्भर होता है.
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Tags: Dead body in deep freezer, Odisha Train Accident, Research, Train accident
FIRST PUBLISHED : June 06, 2023, 22:05 IST
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