अमूल के बाद कर्नाटक चुनाव में गुजराती मिर्च ने कैसे लगाया तड़का, राज्‍य में ‘लाली’ की चर्चा आम क्‍यों?

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Spicy Karnataka Election: कर्नाटक में गुजरात के अमूल दूध की एंट्री की घोषणा को लेकर चुनावी राजनीति में उबाल अभी थम भी नहीं पाया था कि अब गुजराती मिर्च का तड़का भी लग गया है. दरअसल, दूध के ब्रांड अमूल ने 5 अप्रैल को कर्नाटक में एंट्री का ऐलान किया था. इसके बाद कर्नाटक के लोकल मिल्‍क ब्रांड नंदिनी को अमूल से होने वाले नुकसान पर चुनावी राजनीति शुरू हो गई. बाद में अमूल की ओर से स्‍पष्‍टीकरण आया कि कंपनी सिर्फ ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म के जरिये राज्‍य में अपने उत्‍पाों की बिक्री करेगी. फिर भी कर्नाटक में इस मुद्दे पर उठापटक जारी है.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 की सरगर्मियों के बीच अचानक गुजरात की लाल मिर्च ‘पुष्‍पा’ ने राजनीतिक दलों के बीच तीखापन बढ़ा दिया है. अमूमन किसी भी राज्‍य के चुनावों के दौरान नेताओं की बयानबाजी, वार-पलटवार सुर्खियां बटोरते हैं. इसके उलट कर्नाटक चुनाव में इस बार पार्टियों की अंदरूनी उठापटक और खाने-पीने की चीजों की चर्चा आम हो रही है. लाल मिर्च पुष्‍पा को ‘लाली’ के नाम से भी पहचाना जाता है. आखिर गुजरात की मिर्च ‘पुष्‍पा’ में ऐसा क्‍या है कि कर्नाटक के ज्‍यादातर नेताओं की जुबान पर इस समय इसी का स्‍वाद आ गया है? बता दें कि राज्‍य में 10 मई 2023 को मतदान होगा और 13 मई को मतगणना होगी.

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क्‍या कर्नाटक की किस्‍मों को है कोई खतरा?
कर्नाटक के ब्यादगी में गुजरात की पुष्पा लाल मिर्च की मांग और खपत दोनों जबरदस्त हैं. ऐसे में अब इस मिर्च को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है. बता दें कि ब्‍यादगी एशिया के सबसे बड़े मिर्च बाजारों में से एक है. हाल के कुछ महीनों में ब्‍यादगी में करीब 20,000 टन गुजराती मिर्च की बिक्री दर्ज की गई है. कर्नाटक की अपनी लाल मिर्च डब्‍बी और कद्दी हैं. कर्नाटक में पैदा होने वाली इन दोनों किस्‍मों की गुजरात की ‘लाली’ लाल मिर्च से कोई प्रतिस्‍पर्धा नहीं है. फिर भी ब्‍यादगी में गुजराती मिर्च की कई हजार क्विंटल की मौजूदगी के जरिये राजनीतिक दल माइलेज लेने की कोशिशों में जुट गए हैं.

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कर्नाटक के ब्यादगी में गुजरात की पुष्पा लाल मिर्च की मांग और खपत दोनों जबरदस्त हैं.

गुजराती मिर्च को जमा कर रहे हैं कारोबारी
कर्नाटक की कद्दी और डब्‍बी मिर्च के मुकाबले गुजरात की पुष्पा मिर्च ज्‍यादा लाल दिखती है. यही नहीं, स्‍थानीय मिर्च का रंग ज्‍यादा समय तक बरकरार नहीं रहता, जबकि पुष्‍पा मिर्च लंबे समय तक लाल ही रहती है. इसलिए इसकी मांग ज्‍यादा रहती है. यही नहीं, ब्‍यादगी से पुष्‍पा मिर्च का निर्यात भी जमकर किया जाता है. सूत्रों के मुताबिक, ब्यादगी बाजार में कम से कम 70 मिर्च कारोबारियों ने अलग-अलग भंडारगृहों में गुजरात की ‘लाली’ को स्‍टोर कर लिया है. कारोबारी जब भी मिर्च के भाव ऊपर जाते हैं तो स्‍टोर की हुई गुजरात की मिर्च को निकालकर मोटा मुनाफा कमाते हैं. पिछले दिनों में ही ब्‍यादगी बाजार में गुजरात की लाल मिर्च ने अच्‍छा कारोबार किया था.

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ब्‍यादगी की पहचान हैं डब्‍बी और कद्दी मिर्च
कर्नाटक के मिर्च पैदा करने वाले किसानों का कहना है कि ब्‍यादगी बाजार मिर्च की स्‍थानीय किस्‍मों डब्‍बी और कद्दी के बलबूते देश में अपनी अलग पहचान बनाई है. देश के कई राज्‍य और कई बड़ी कंपनियां स्‍थानीय किस्‍मों पर निर्भर हैं. ऐसे में ये राज्‍य सरकार की जिम्‍मेदारी बनती है कि कर्नाटक की मिर्चों की साख कम ना होने दे. इसके लिए जो भी कदम उठाने पड़ें, उठाए जाएं. अगर गुजरात की लाल मिर्च पुष्‍पा की वजह से स्‍थानी मिर्च डब्‍बी और कद्दी की साख घटी, तो ब्‍यादगी बाजार के साथ ही राज्‍य के किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. ब्‍यादगी में गुजरात की मिर्च का कारोबार अभी से तेज हो गया है. वहीं, एपीएमसी को पर्याप्त मात्रा में पुष्पा मिर्च नहीं मिली है. दरअसल, अधिकांश आपूर्ति अभी से बाजार से बाहर हो गई है.

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कर्नाटक के ब्‍यादगी बाजार में मौजूदा मिर्च सीजन में गुजराती मिर्च की आपूर्ति लगातार बढ़ रही है.

‘पुष्‍पा’ की बढ़ती आपूर्ति बनी चिंता का कारण
ब्यादगी में कृषि उपज मंडी समिति के सचिव और अतिरिक्त निदेशक एचवाई सतीश के मुताबिक, मौजूदा मिर्च सीजन में गुजराती मिर्च की आपूर्ति लगातार बढ़ रही है. एपीएमसी एक्ट में संशोधन के कारण अब कोई भी कारोबारी देश में कहीं से भी कृषि उत्पाद खरीद सकता है. इसके लिए मंडी समिति से मंजूरी लेना भी जरूरी नहीं रह गया है. ऐसे में कृषि उपज मंडी समिति के लिए गुजरात से आ रही मिर्च की आपूर्ति को कम करना मुश्किल हो गया है. हालांकि, उन्‍होंने कहा कि गुजरात की मिर्च से स्‍थानीय किस्‍मों को कोई खतरा नहीं है. उनका कहना है कि स्‍थानीय किस्‍मों की अपनी अलग और मजबूत साख है. हालांकि, इस मुद्दे पर राज्‍य की राजनीति में तीखापन आना तय है.

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