Why Has India Seen a Cooler Summer and Why Do Forecasts Differ for Monsoon-भारत में इस साल गर्मी रही क्यों ठंडी? मानसून पर इसका क्या होगा असर? पूर्वानुमान अलग क्यों हैं? – News18 हिंदी

[ad_1]

हाइलाइट्स

इस बार देश में गर्मी के मौसम में लगातार बारिश हुई.
दिल्ली में 36 साल में मई सबसे ठंडी रही.
इससे मानसून पर असर पड़ने की आशंका.

नई दिल्ली. इस बार देश में गर्मी के मौसम में हो रही लगातार बारिश (Rains) के कारण ज्यादातर इलाकों में तापमान (Temperature) आश्चर्यजनक रूप से कम बना रहा. दिल्ली ने 36 साल में अपनी सबसे ठंडी मई का अनुभव किया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की रिपोर्ट है कि शहर में औसत से ज्यादा बारिश हुई, जिससे औसत अधिकतम तापमान में कमी आई, जो 36.8 डिग्री सेल्सियस था. लेकिन दिल्ली शहर अकेला नहीं है. विशेष रूप से उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में रुक-रुक कर होने वाली बारिश ने तापमान को ठंडा बनाए रखने में योगदान दिया है.

मार्च, अप्रैल और मई के महीनों में हुई बारिश सामान्य स्तर से ज्यादा हो गई है. बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर जैसे कुछ इलाकों को छोड़कर अधिकांश इलाकों में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से काफी नीचे बना हुआ है. अपनी चिलचिलाती गर्मी के लिए मशहूर राजस्थान ने इस पूरे मौसम में केवल 2-3 दिनों के लिए हीटवेव (Heatwave) का सामना किया है. मई के पहले और आखिरी 10 दिनों के दौरान पूरे देश में भीषण हीटवेव लगभग न के बराबर थीं. इसके कारण मानसून (Monsoon) पर असर पड़ने का आशंका जताई जा रही है. भारत में कई कारणों से मानसून का बहुत महत्व है और इसलिए ये लगातार ध्यान दिया जा रहा है कि आने वाले हफ्तों में यह कैसे आगे बढ़ेगा.

आखिर ऐसा क्यों है?
लगातार तीन सक्रिय पश्चिमी विक्षोभों (Western Disturbances) की एक सीरिज ने 27 अप्रैल और 3 मई से हिमालयी इलाके को प्रभावित किया. भूमध्य सागर से उत्पन्न और पूर्व की ओर बढ़ते हुए ये विक्षोभ लगभग एक हफ्ते तक पहाड़ी इलाकों और मैदानी इलाकों में बारिश और हिमपात करते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अल नीनो (El Nino) वाले साल के दौरान इस तरह के असामान्य मौसम पैटर्न की उम्मीद की जा सकती है. मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान के बहुत गर्म होने की विशेषता को अल नीनो कहा जाता है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के पूर्व सचिव डॉ. एम राजीवन ने कहा कि ये बदलाव साल-दर-साल होते हैं, और इनके दीर्घकालिक रुझान चिंता का कारण होना चाहिए.

मानसून के लिए इसका क्या मतलब है?
आईएमडी का कहना है कि सकारात्मक हिंद महासागर डिपोल (Indian Ocean Dipole-IOD) आंशिक रूप से इसके असर को कम कर सकता है. वैज्ञानिकों ने इस वर्ष एक विशेष रूप से मजबूत अल नीनो की भविष्यवाणी की है. हालांकि आईओडी की तुलना में अल नीनो आमतौर पर मानसून पर अधिक बड़ा असर डालता है. पिछले हफ्ते अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पहुंचने के बाद मानसून हिंद महासागर में श्रीलंका के नीचे मौजूद है. मानसून के आने में इस बार देरी हुई है. परंपरागत रूप से मानसून 1 जून तक केरल तट पर पहुंच जाता है. इस साल आईएमडी ने कहा कि केरल में 4 जून से पहले मानसून के पहुंचने की संभावना नहीं है. जबकि कुछ अन्य पूर्वानुमान मॉडल इससे अलग हैं. मानसून केवल चार महीने के भीतर भारत की सालाना बारिश का लगभग 75 फीसदी बारिश करता है.

Explainer: क्या है अल नीनो, क्यों इससे डरने की है जरूरत, यह कैसे खेती किसानी की कमर तोड़ सकता है, जानें भारत पर इसका असर

पूर्वानुमानों में अंतर क्यों?
मौसम के पूर्वानुमान के लिए हर डेटा को सुपर कंप्यूटरों में फीड किया जाता है. ये सुपर कंप्यूटर प्रति सेकंड एक क्वाड्रिलियन गणना करने में सक्षम होते हैं. जैसे-जैसे विज्ञान विकसित हुआ है, मौसम पूर्वानुमान मॉडलों की जटिलता बढ़ गई है. हर एजेंसी मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए अपने एल्गोरिदम और सूत्रों का उपयोग करती है. जिसके कारण मौसम के पूर्वानुमान में थोड़ा अंतर आ सकता है. भारत में मानसून इसलिए जरूरी है क्योंकि बारिश पर आधारित खेती भारत के कृषि क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा है. देश के कुल कृषि क्षेत्र का 52 प्रतिशत इस मानसूनी बारिश पर निर्भर है. इससे देश के कुल खाद्य उत्पादन का लगभग 40 फीसदी अन्न पैदा होता है, जो भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है.

Tags: Monsoon, Monsoon Update, Pre Monsoon Rain, Summer

[ad_2]

Source link