Urdu Poetry for Rain : झमाझम बरसात लेकर आया मानसून, पढ़ें बारिश पर बेहतरीन रूमानी शेर

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हर किसी को बारिश अलग-अलग तरह से आकर्षित करती है, कोई बारिश का मज़ा भीग कर लेता है, तो कोई खिड़की पर खड़ा होकर… कोई बालकनी में बैठ कर चाय की चुस्कियां लेता है, तो कोई शेर-ओ-शायरी के और करीब चला जाता है… बरसती बूंदों को देख कर मन चाहे कैसा भी अपने आप ही खिलखिला उठता है. धरती पर गिरती बूंदें और चमकदार आसमान किसी को भी रूमानी बनाने की कूवत रखता है.

कैसा हो अगर इस बरसात में कुछ ऐसे शेर आपको मिल जाएं, जो बारिश तो बारिश, बिन-बरसात के भी बारिश का आनंद दे जाएं! हमारे लेखक-कवि-शायर जब किसी भाव से दूर नहीं रहे, तो भला बरसात से कैसे दूर रह पाते. सारे मौसमों में बरसात ही वो मौसम है, जिसका ज़िक्र शायरियों-गज़लों-कविताओं में सबसे ज्यादा हुआ है. मन चाहे दुखी हो या खुश, बारिश अपने किसी भी रूप में शायरों से दूर नहीं रह पाई है.

आप ये भी सोच रहे होंगे, कि अपनी बारिश की किसी तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर क्या स्टेटस लगाएं? काश कि कोई अच्छी शायरी मिल जाती…, तो यहां पढ़ें वो चुनिंदा शायरियां जो किताबों और घर से निकल कर सोशल मीडिया व व्हाट्ज़एप के इस दौर में भी आपका साथ निभाएंगी और इस बरसात को ख़ूबसूरत बना देंगी. इन शेरों को साझा करें अपने दोस्तों से, जानने वालों से या फिर किसी ख़ास के साथ… क्या पता इन शेरों के बहाने ही सही, ये बारिश यादगार बन जाए-

“अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की”
-परवीन शाकिर

“बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है”
-निदा फ़ाज़ली

“दर-ओ-दीवार पे शक्लें सी बनाने आई
फिर ये बारिश मिरी तंहाई चुराने आई”
-कैफ़ भोपाली

“कोई कमरे में आग तापता हो
कोई बारिश में भीगता रह जाए”
-तहज़ीब हाफ़ी

“आने वाली बरखा देखें क्या दिखलाए आंखों को
ये बरखा बरसाते दिन तो बिन प्रीतम बे-कार गए”
-हबीब जालिब

“याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था”
-नासिर काज़मी

“अजब पुर-लुत्फ़ मंज़र देखता रहता हूं बारिश में
बदन जलता है और मैं भीगता रहता हूं बारिश में”
-ख़ालिद मोईन

“टूट पड़ती थीं घटाएं जिन की आंखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए”
-सज्जाद बाक़र रिज़वी

“धूप ने गुज़ारिश की
एक बूंद बारिश की”
-मोहम्मद अल्वी

“भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूंदों में बसा करता है”
-मरग़ूब अली

“दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़
अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़”
-शबाब ललित

“गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूंदें
कोई बदली तिरी पाज़ेब से टकराई है”
-क़तील शिफ़ाई

“आने वाली बरखा देखें क्या दिखलाए आंखों को
ये बरखा बरसाते दिन तो बिन प्रीतम बे-कार गए”
-हबीब जालिब

“ओस से प्यास कहां बुझती है
मूसला-धार बरस मेरी जान”
-राजेन्द्र मनचंदा बानी

“उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई”
-जमाल एहसानी

“फ़ुर्क़त-ए-यार में इंसान हूं मैं या कि सहाब
हर बरस आ के रुला जाती है बरसात मुझे”
-इमाम बख़्श नासिख़

“बरस रही थी बारिश बाहर
और वो भीग रहा था मुझ में”
-नज़ीर क़ैसर

“बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी”
-हसरत मोहानी

“और बाज़ार से क्या ले जाऊं
पहली बारिश का मज़ा ले जाऊं”
-मोहम्मद अल्वी

“वो अब क्या ख़ाक आए हाए क़िस्मत में तरसना था
तुझे ऐ अब्र-ए-रहमत आज ही इतना बरसना था”
-कैफ़ी हैदराबादी

Tags: Hindi Literature, Hindi poetry, Literature, Monsoon

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