Treatment of diseases through digital pulse test – News18 हिंदी

[ad_1]

सोनिया मिश्रा/ चमोली.प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ने अब नई तकनीकी और आधुनिकीकरण का दामन थाम लिया है. एक समय में आम लोगों का भरोसा खो चुकी आयुर्वेदिक चिकित्सा अब वर्तमान समय के हिसाब से लोगों को इलाज मुहैया करा रही है और एलोपैथिक इलाज को पूरी टक्कर दे रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण डिजिटल माध्यम से नब्ज (नाड़ी) देखकर कई बीमारियों की पहचान करना है. इस काम को मशीन के द्वारा किया जाता है, जिसे नाड़ी तरंगिनी के नाम से भी जाना जाता है. उत्तराखंड में चमोली के जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डाॅक्टर सुनील रतूड़ी बताते हैं कि नाड़ी परीक्षण के लिए अब डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल कर बीमार व्यक्ति के वात, पित्त और कफ का स्तर चेक कर उसे उसी के अनुसार इलाज दिया जाता है. इससे सर्दी-बुखार से लेकर हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, स्किन के रोग, जोड़ों के दर्द जैसे कई खतरनाक रोगों के बारे में पता लगाया जा सकता है. इसके अलग नाड़ी टेस्ट से न सिर्फ शारीरिक बल्कि स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगों के बारे में भी पता लगाया जा सकता है.

चमोली जनपद में भी जल्द मिलेगी सुविधा

डॉक्टर सुनील रतूड़ी ने कहा कि बीते दिनों गोपेश्वर के पुलिस ग्राउंड में हेल्थ कैंप के माध्यम से इस चिकित्सा से लोगों की बीमारियों का पता लगाया गया था लेकिन निश्चित तौर पर जल्द ही चमोली जिले में नाड़ी चिकित्सा को शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जनपद में आयुर्वेदिक चिकित्सकों के पद खाली चल रहे थे. लेकिन जनपद को अब 43 नए आयुर्वेदिक चिकित्सक मिल गए हैं, जिसमें कई विषय विशेषज्ञ भी हैं. नाड़ी रोग विशेषज्ञ आने से अब जनपद के लोगों को आसानी से जनपद में ही संपूर्ण इलाज मिल जाएगा.

Tags: Health, Hindi news, Local18

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

[ad_2]

Source link