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रिपोर्ट-मनमोहन सेजू
बाड़मेर. सरहद के उस पार का स्वाद सरहद के इस पार त्यौहार की थाली में सज रहा है. 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान के सिंध प्रान्त से हज़ारों परिवार हिन्दुस्तान आकर बस गए थे. यह परिवार अपने साथ सिंध का जायका भी ले आए थे. उन्हीं में से एक है कराची का हलवा. बाड़मेर में बनाया जा रहा कराची हलवा अब अमेरिका तक एक्सपोर्ट किया जा रहा है.
भारत के हर राज्य, गांव और गली नुक्कड़ के खाने की अपनी अलग पहचान है. उन्हीं में से एक है कराची हलवा. ये है तो पाकिस्तानी मिठाई लेकिन बंटवारे के बाद लोगों के साथ भारत आ गयी. पाकिस्तान के कराची शहर के नाम से प्रसिद्ध यह हलवा पाकिस्तान की सीमा से सटे बाड़मेर में भी बनाया और बड़े चाव से खाया जाता है. ये साल में सिर्फ दो बार बनता है. यह हलवा बाड़मेर सहित विदेशों में काफी पसंद किया जाता है. कराची हलवा जेली की तरह होता है. इसे बनाने की पूरी प्रक्रिया में करीब 4-5 घण्टे का समय लगता है. ठंडा होने के बाद इसके पीस काटे जाते हैं.
विदेशों में एक्सपोर्ट
मूलत: पाकिस्तान के सिंध के अमरकोट में रहने वाले हेमराज खत्री के परिवार ने साल 1991 में भारत को अपना वतन बनाया और तबसे हर त्यौहार पर इनके घर कराची हलवा लेने आने वालों की भीड़ नज़र आती है. कराची हलवा केसरिया और हरे रंग का होता है. बाड़मेर से कराची का हलवा अमेरिका, चेन्नई, मुंबई,लंदन, अहमदाबाद, सूरत, जयपुर सहित अन्य जगहों एक्सपोर्ट किया जा रहा है.
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कराची हलवा की रेसिपी
हेमराज के बेटे मुकेश कुमार खत्री के मुताबिक कराची हलवे की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह करीब 6 महीने तक खराब नही होता. गेंहू को 8 दिन अलग-अलग पानी में भिगोकर रखा जाता है, फिर उसे सुखाकर पीसा जाता है. इससे बनने वाली सफेद क्रीम को निशास्ता कहते हैं. निशास्ता, घी, शक्कर, काजू, बादाम, पिस्ता, तिजारा को मिलाकर कराची हलवा बनता है. मुकेश तीन तरह के कराची हलवे बनाते हैं, जिसमें पिस्ता वाला 900 रुपये किलो, ड्राई फ्रूट वाला 650 रुपये किलो और कम ड्राई फ्रूट वाला कराची हलवा 450 रुपये किलो में बिकता है.
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Tags: Barmer news, Food Recipe, Local18
FIRST PUBLISHED : March 21, 2024, 20:57 IST
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