This farmer is doing organic farming of three varieties of wheat, earning good profits every year – News18 हिंदी

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रिपोर्ट-निखिल स्वामी
बीकानेर. रासायनिक खाद के दुष्परिणामों से सबक लेकर किसान तेजी से जैविक खेती अपना रहे हैं. राजस्थान के एक किसान ने तो कमाल ही कर दिया. वो तीन किस्म के गेहूं की एक ही खेत में एक साथ खेती कर रहा है. इसमें अच्छा खासा मुनाफा भी हो रहा है. रंगीन गेहूं बहुत पौष्टिक भी है.

ये किसान है बीकानेर के नोखा गांव के कैलाश लुनावत. वो अपने खेत में एक या दो नहीं बल्कि गेहूं की तीन किस्मों की पैदावार कर रहे हैं. इनमें सबसे महंगा बिकने वाला काला गेहूं भी है. कैलाश लुणावत ने बताया वो आठ साल से जैविक खेती कर रहे है. इसकी शुरुआत दो बीघा गेहूं से की थी और अब वो तीन तरह के गेहूं की जैविक खेती कर रहे हैं. इनमें शरबती, बंसी और काला गेहूं शामिल है. शरबती गेहूं की खेती सात साल से कर रहे हैं. इससे बनी रोटी काफी नरम और स्वादिष्ट होती है. इसकी बिक्री 5 हजार से 5500 प्रति क्विंटल करते है. बंसी गेहूं की खेती वो दो साल से कर रहे हैं. यह पीले रंग के दाने होते हैं. इसकी बिक्री 5 हजार से 5500 प्रति क्विंटल करते है. वहीं काले गेहूं की खेती चार साल से कर रहे है. इसकी बिक्री 8 से 10 हजार प्रति क्विंटल है.

इसमें है ज्यादा मुनाफा
लुनावत बताते हैं उनका उद्देश्य धरती माता को जहर मुक्त करना है. शरबती, बंसी और काला गेहूं का सीजन 15 अक्टूबर से लेकर नवंबर तक बुवाई होती है. यह फसल अप्रैल में कटती है. वो शरबती गेहूं 3 बीघा, बंशी एक बीघा और काला गेहूं एक बीघा में बोते हैं. दूसरे गेहूं की तुलना में इसमें मुनाफा ज्यादा होता है.

जैविक विधि से काले गेहूं की पैदावार
किसान ने बताया उसने काले गेहूं के बारे में न्यूज पेपर और यूटयूब पर पढ़ा और देखा था. इसलिए मन में जिज्ञासा बढ़ गई. उसके बाद गूगल और कृषि एप पर इसकी खोजबीन जारी रखी. कृषि विश्वविद्यालय में इसके बारे में जानकारी लेते रहे. तीन साल की खोजबीन के बाद काले गेहूं का बीज लुधियाना (पंजाब) में मिला. यह गेहूं तीन रंगों में आता है नीला, काला, बैंगनी. पंजाब के मोहाली में स्थित राष्ट्रीय कृषि खाद जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएबीआई) में डॉ. मोनिका गर्ग के नेतृत्व में रंगीन गेहूं की इन किस्मों को विकसित किया गया है. किसान ने इसकी बीजाई के समय आधा एकड़ में एक ट्रॉली गोबर की खाद डाली (वर्मी कम्पोस्ट). आधे एकड़ में 17 किलो बीज का प्रयोग किया. बीज को ट्राईकोडरमा से उपचारित किया.

रंगीन गेहूं के फायदे
रंगीन गेहूं में एंथोसायनिन की जरूरी मात्रा मिलती है. इसमें एंटीऑक्सिडेंट है. इसमें साधारण गेहूं की तुलना में प्रोटीन और पोषक तत्च की मात्रा ज्यादा है. इसे खाने से हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, शुगर जैसी जीवन शैली से जुड़ी बीमारियां रोकने में मदद मिलती है. यह एक तरह से शरीर में ऊर्जा का काम भी करता है.

Tags: Bikaner news, Farming in India, Local18, Wheat Procurement

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