[ad_1]
नई दिल्ली. जल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के लिए गुजरात की नीता बेन पटेल एक जाना-माना नाम हैं. उन्हें वाटर चैम्पियन भी कहा जाता है. उन्होंने बीते 12 सालों में 51 गांवों के 30 हजार लोगों के जीवन को प्रभावित किया है. दक्षिण गुजरात के उन गांवों में जहां जलसंकट के कारण महिलाएं-पुरुषों दोनों ही परेशान रहते थे, अब वहां पहले की अपेक्षा समस्याएं कम हुई हैं. आज नीता बेन के साथ हजारों महिलाएं जुड़ चुकी हैं. वे पानी से संबंधित मुद्दों को पंचायतों में उठाती हैं और जल संचयन के लिए नए निर्माण कराती हैं. गांवों में जल समितियों को बनाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करती हैं.
नीता पटेल ने बताया कि गुजरात का दक्षिण इलाका कभी जल संकट के लिए जाना जाता था. कई गांव और हजारों लोगों को भरपूर पानी नहीं मिलता था. पशु- पक्षी भी जल संकट के कारण त्रस्त थे. गुजरात के नवसारी में मेरे गरीब परिवार में मेरी मां भी पानी की कमी के कारण परेशान रहती थीं. मैंने अपनी मां की प्रेरणा से जल बचाने और जल संरक्षण की दिशा में काम शुरू किया था. गांव-गांव जाकर महिलाओं को सशक्त किया. जल संरक्षण के लिए पंचायतों में चर्चा और प्रस्ताव दिए और कई जल संचयन इकाई, छोटे बांध आदि बनवाए और उनकी देखभाल के लिए जल समितियां बनवाईं.
बदल गई परिस्थितियां, लोगों को मिलने लगा सालभर पानी
जल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण पर नीता पटेल के काम ने 30,000 से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित किया है. डांग, नर्मदा और भरूच के गंभीर रूप से संकटग्रस्त इलाकों में नजारा बदल गया है. अब यहां साल भर पर्याप्त पानी होता है और लोगों को पहले की तरह परेशान नहीं होना पड़ता. मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी भरपूर पानी मिल रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें sachhikhabar हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट sachhikhabar हिंदी|
Tags: Drinking Water, Gujarat, Water Crisis
FIRST PUBLISHED : March 24, 2023, 22:50 IST
[ad_2]
Source link