Kair-Sangri grown in Rajasthan has special recognition as a vegetable in the country and the world – News18 हिंदी

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रिपोर्ट-मनमोहन सेजू
बाड़मेर. घनघोर रेगिस्तानी इलाके में होने वाली राजस्थान की दो उपज अब विदेश तक पहुंच गयी हैं. देसी मार्केट से ज्यादा इसकी विदेशों में डिमांड है. खास बात ये है कि इन दोनों सब्जियों की न तो बुवाई होती है न जुताई. ये अपने आप ही रेगिस्तान में उगती हैं. ताजे से ज्यादा सूखी सब्जी की डिमांड ज्यादा रहती है और भाव मेवे से भी ज्यादा महंगे.

ये खास पश्चिमी राजस्थान की सब्जी या फसल कह सकते हैं. केर-सांगरी देश-दुनिया में सूखी सब्जियों के तौर पर खास पहचान रखती हैं. इसकी विशेषता यह है कि इसका पूरा उत्पादन प्राकृतिक रूप से होता है. केर-सांगरी दोनों की बुवाई नहीं होती है. यह स्वत: ही पैदा होने के कारण किसी औषधि से भी कम नहीं हैं. एक समय था जब कैर-सांगरी गांवों तक ही सीमित रहती थी, लेकिन आज दुनिया के कोने कोने तक पहुंच गई है. इनकी आज जितनी डिमांड स्थानीय स्तर पर नहीं है, उससे ज्यादा दूसरे प्रदेशों और विदेशों में है.

देश से ज्यादा विदेश में मांग
केर-सांगरी वैसे तो राजस्थान में गर्मी के सीजन में आती है. इनकी सब्जी और अचार बनाया जाता है. जब ये सूख जाती है उसके बाद बनने वाली सब्जी ज्यादा स्वादिष्ट होने के कारण पसंद की जाती है. पश्चिमी राजस्थान के सरहदी बाड़मेर सहित जोधपुर, बीकानेर,जैसलमेर और श्रीगंगानगर में गर्मी में केर-सांगरी की पैदावार होती है. इस क्षेत्र में जब सांगरी कच्ची होती है तो स्थानीय स्तर पर कीमत 100-120 रुपए प्रति किलो तक होती है.

सब्जी 2500-3000 रुपए प्रति किलो
केर-सांगरी सूखने पर इसी पैदावार वाले क्षेत्र में ही केर-सांगरी की कीमत करीब 5 गुणा तक बढ़ जाती है. दूसरे राज्यों में 1500-2000 रुपए प्रति किलो तक बिकती है. ऑनलाइन पर केर-सांगरी की कीमत 2500-3000 रुपए प्रति किलो तक है. सूखे केर-सांगरी की सब्जी कभी भी बनाई जा सकती है. खासकर बड़े आयोजन में पंचकूटा की सब्जी में मुख्यत: केर सांगरी ही होती है. यह विशेषकर राजस्थान में ज्यादा प्रचलन में है.

बहुत काम का केर
सांगरी और केर का उत्पादन प्राकृतिक रूप से होता है. इसके लिए किसी तरह की खेती नहीं करनी पड़ती है. खेजड़ी पर सांगरी लगती और झाड़ पर केर लगते हैं. इसमें किसी तरह की खाद और दवा का प्रयोग नहीं होने से यह सब्जी पूरी तरह से शुद्ध होती है. गर्मी जब बढ़ती है, उसके बाद खेतों में खेजड़ी पर सांगरी आना शुरू हो जाती है. इसी तरह तेज गर्मी में केर का उत्पादन बढ़ता है. सांगरी-केर में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन और कार्बोहाइड्रेट होता है. यह एंटी ऑक्सीडेंट भी है. स्वाद के साथ ये रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है. केर के डंठल से चूर्ण भी बनता है जो कफ और खांसी में काम आता है.

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