In chile 1960 a earthquake came of 9.5 intensity why not possible 10 richter scale tremor

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दुनिया में अब तक 9.5 तीव्रता का भूकंप एक ही बार आया है, जो चिली के वाल्दीविया में 1960 में आया, इतनी ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने की जानकारी ना तो उससे पहले है और ना ही उसके बाद आया. सबसे बड़ी बात ये भी कि ये भूकंप करीब 10 मिनट तक झटका देता रहा. इससे सूनामी की भयंकर लहरें उठीं और दुनियाभर में दूर दूर तक समुद्र के किनारे के इलाके इससे प्रभावित हुए. हाल में तुर्की और सीरिया में 7.8 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचा दी. ये सबसे बड़ा सवाल है कि क्या 10 तीव्रता का भूकंप कभी आ सकता है. अगर कभी ऐसा हुआ तो क्या होगा.

वाल्दीविया दरअसल चिली का समुद्र तटीय इलाका है. जहां 1960 में भयकंर भूकंप आया. इसकी तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि किसी को आज भी विश्वास नहीं होता. ये 9.5 तीव्रता का था. जो असंभव सी बात माना जाता है. इसे आज भी ग्रेट चिलियन भूंकप कहा जाता है. ये 22 मई 1960 के दिन आया था. रिकॉर्ड्स यही कहते हैं कि ये दुनिया में आया अब तक का सबसे ताकतवर झटका था.

ये दोपहर में तीन बजे आया
अलग अलग अध्ययन इसकी तीव्रता को 9.4 – 9.6 मानते हैं. ये दोपहर में स्थानीय समय के अनुसार 03.11 मिनट पर आया. आमतौर पर भूकंप के झटके कुछ सेकेंड या एक दो मिनट के होते हैं लेकिन इस झटके में वाल्दीविया शहर 10 मिनट तक झूलता रहा. इसकी वजह से ताकतवर सूनामी पैदा हुई, जो दक्षिण चिली से लेकर हवाई, जापान, फिलीपीन्स, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया तक फैल गईं.

अब तक का सबसे बड़ा भूकंप चिली में 1960 में दर्ज किया गया है. इसकी तीव्रता 9.5 बताई गई थी.  चिली का वाल्दीविया नामका समुद्र तटीय शहर इससे एकदम तहस-नहस हो गया. (wikicommons)

पूरा शहर तहस नहस हो गया
चूंकि इस शहर की आबादी ज्यादा नहीं थी लिहाजा यहां मरने वालों की तादाद ज्यादा नहीं रही. जो कुछ माना गया उसमें मरने वालों की संख्या 1000 से लेकर 6000 के बीच रखी गई. अलग अलग स्रोतों का दावा अलग रहा. अलबत्ता नुकसान खासे बड़े पैमाने पर जरूर हुआ. लेकिन सबसे बड़ी बात इसकी इतनी ज्यादा तीव्रता को लेकर रहा, जो आज भी करीब अविश्वसनीय सी लगती है. साइंस कहती है कि दुनिया में कभी 10 तीव्रता का भूकंप आ नहीं सकता, इसकी वजह क्या है, ये हम आगे बताएंगे.

आमतौर पर कितनी तीव्रता के भूकंप आते हैं
आमतौर पर 06 से 08 के बीच तीव्रता वाले भूकंप अच्छी खासी तबाही मचा देते हैं. अगर ये थोड़ी देर भी रुक जाते हैं तो तबाही आ जाती है. हर ओर तबाही का जलजला नजर आने लगता है. ये सवाल अक्सर पूछा जाता है कि भूकंप की अधिकतम तीव्रता कितनी हो सकती है. क्या इसकी तीव्रता रिक्टर स्केट पर 10 हो सकती है

क्यों नहीं आ सकता 10 तीव्रता का भूकंप
अगर साइंस को इसका उत्तर देना हो तो अमेरिका की भूकंप की जानकारी देने वाली साइट यूएसजीएस में भूकंप से जुड़े तथ्य कहते हैं कि ऐसा कभी नहीं हो सकता यानि दुनिया में शायद ही कभी 10 की तीव्रता वाला भूकंप का झटका लगे. आखिर इसकी कोई वजह तो होगी.

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सांइटिस्ट तमाम अध्ययन के बाद कहते हैं कि बड़े भूकंप और उनकी तीव्रता फाल्ट लाइन पर निर्भर करती है.

वैज्ञानिक तथ्य कहते हैं कि पृथ्वी का आकार इसकी फाल्ट की लंबाई पर निर्भर करता है. अगर फाल्ट लाइन लंबी होगी तो भूकंप भी बड़ा होगा. फाल्ट चट्टानों का वो ब्रेक होता है जो धरती के नीचे होता है और धरती के ऊपरी सतह क्रस्ट के घर्षण करता है, दोनों एक दूसरे पर रहते हैं. ये इतनी बड़ी नहीं होती लिहाजा इसीलिए अब तक पृथ्वी पर कभी 10 तीव्रता का भूकंप नहीं आया. अगर कभी ऐसा हुआ तो पृथ्वी का एक बड़ा हिस्सा इसकी जद में आ जाएगा. चिली में आए जिस भूकंप की तीव्रता 9.5 थी,उसकी फाल्ट लाइन 1000 मील की थी.

भूकंप क्यों आता है
हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है. ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं. इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं. ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है.

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जब भूकंप की तीव्रता 8 से ज्यादा होता है. तो आप इसकी ताकत को बखूबी महसूस नहीं करेगें बल्कि तबाही भी मचाने वाला होगा. 09 से ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप तो विध्वंसक होगा. समुद्र की लहरें ऊंची ऊंची उठने लगेंगी और अगर आप किसी मैदान में खड़े हैं तो धरती हिलोंरे लेती हुई लगने लगेगी. (एपी)

किस भूकंप को हल्का मानें तो किसे भयंकर
भूकंप की ये तीव्रता रिक्टर स्केल के अनुसार मानें.कुछ ऐसे भूकंप होते हैं जो आते रहते हैं और पता भी नहीं लगता. कई बार मशीनें भी उन्हें नहीं पकड़ पातीं, क्योंकि वो बहुत हल्के होते हैं.
0 से 1.9 सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है
2 से 2.9 हल्का कंपन
3 से 3.9 कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा अहसास
4 से 4.9 खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं.
5 से 5.9 फर्नीचर हिल सकता है
6 से 6.9 इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है
7 से 7.9 इमारतें गिर जाती हैं. जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं.
8 से 8.9 इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।
9 और ज्यादा मतलब पूरी तबाही. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखाई देगी. यदि समुद्र नजदीक हो तो सुनामी आने की पूर्ण आशंका

क्या जानवरों को भूकंप का अंदाजा पहले से हो जाता है
कहा जाता है कि भूकंप आने से पहले जानवरों का व्यवहार कुछ अजीब सा हो जाता है, जिससे लगता है कि उन्हें इस बात का पूर्वाभास हो जाता है. इसका उल्लेख 373 वर्ष ईसा पूर्व ग्रीक में आए भूकंप के बारे में मिलता है.

तब भूकंप से कई दिनों पहले ही चूहे, कीड़े मकौड़ों, सांप आदि अपने बिलों से बाहर निकल आए. इसके बाद ये सभी किसी सुरक्षित जगह की ओर चले गए. ये उल्लेख भी मिलता है कि भूकंप आने से कुछ समय पहले से जानवर, मछलियां, पक्षी, सरीसृप और कीड़े मकौड़े अजीब व्यवहार करने लगते हैं. वैज्ञानिकों ने बकायदा चीन और जापान में इस तरह चीजों का अध्ययन भी किया है.

चीन में कई दशक पहले एक भूकंप के बारे में भविष्यवाणी कर दी गई थी, क्योंकि वहां कई छोटे भूकंप आ रहे थे और जानवरों की गतिविधियां अजीब हो गईं थीं. तब बहुत से लोग अपने घरों के बाहर सोने लगे थे और जब असल में बड़ा भूकंप आया तो बड़ी तबाही हुई लेकिन वो सभी लोग बच गए.

क्या भूकंप का अंदाजा लगाया जा सकता है
नहीं, दुनिया की कोई भी वैज्ञानिक संस्थान या संस्था ये पता नहीं लगा सकती कि भूकंप आने वाला है. साइंटिस्ट अब तक ये मालूम करने में विफल रहे हैं कि भूकंप कब और किस तीव्रता का आएगा और कहां आएगा. हां यूएसजीएस के वैज्ञानिक ये गणना कर सकते हैं कि कोई भूकंप आ सकता है लेकिन ये पक्का नहीं होता. एक भूकंप के बारे में जानने के लिए तीन बातें जरूरी हैं – 1. समय और तारीख, 2. जगह, 3. उसकी तीव्रता
हां कुछ लोगों ने दावा किया है वो भूकंप का अंदाज लगा सकते हैं लेकिन उनके दावे आमतौर पर गलत पाए गए. इन सभी की भविष्यवाणियां बहुत सामान्य किस्म की रही हैं.

क्या भूकंप मौसम के चलते आते हैं
04 सदी ईसापूर्व एरिस्टोल ने कहा था कि भूकंप आने की वजह हवाएं होती हैं, जब इन हवाओं को आगे बढ़ने का रास्ता नहीं मिलता तो ये दबाव पैदा करती हैं और जब हवा तेज गति से चलती हैं तो भूकंप आ जाता है. बाद में ये कहा गया कि जब आसमान में ज्यादा बादल छाए रहें और तेज हवाएं चलें या आंधी तूफान आए तो भूकंप आ सकता है लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च के बाद ये बातें सही नहीं पाई गईं. साइंटिस्ट ने ये पाया कि मौसम कोई रोल भूकंप में नहीं होता.

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