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अनवित श्रीवास्तव/ यश गोयल, नई दिल्ली. कनाडा सहित अन्य देशों में जाकर पढ़ाई करने और वहां सेटल होने की इच्छा रखने वाले छात्रों और उनके परिवार के साथ बड़ा स्कैम हो रहा है. न्यूज18 की टीम ने इसका खुलासा किया है. बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से बच्चों को फर्जी डिग्री के जाल में फंसाकर विदेश भेजा जा रहा है. उनसे लाखों की रकम ली जा रही है. न्यूज18 ने ऐसे ही पेरेंट्स से बात की जिन्होंने अपना दुख साझा किया. जालंधर के रहने वाले 67 वर्षीय जगत सिंह पेशे से टेलर हैं और प्रतिदिन 500 से 700 रुपये कमा लेते हैं. उन्होंने अपनी बेटी को कनाडा के शहर टोरंटो में पढ़ने के लिए भेजा था. जिसके लिए उन्होंने 25 लाख की रकम भी खर्च की.
सोचा था कि बच्ची वहां जाकर सेटल हो जाएगी तो धीरे-धीरे ये लोन भी उतार देगी. एजेंट ने उसके डॉक्यूमेंट पूरे किए थे. अब उसपर वापस इंडिया डिपोर्ट किए जाने की तलवार लटक रही है. परिवार का कहना है कि वो इतने बड़े लोन को कैसे चुकाएंगे. इसी तर्ज पर जालंधर से 50 किलोमीटर दूर शाहकोर्ट में रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू बताते हैं कि उनकी भतीजी आशिन अरोड़ा का भविष्य भी ऐसे ही अधर में लटक गया है. वो साल 2017 में एमबीए करने कनाडा गई थी. अब हमें बताया जा रहा है कि एजेंट ने फर्जी तरीके से यूनिवर्सिटी से डॉक्यूमेंट प्राप्त किए थे. अब हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. हम चाहते हैं कि राज्य और केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और कनाडा सरकार के साथ मिलकर मामले को सुलझाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो ना सिर्फ हमारे बच्चे को भारत डिपोर्ट कर दिया जाएगा बल्कि हमारे जीवन पर आर्थिक रूप से बड़ा झटका लगेगा.
‘5 साल रहने के बाद वापस भेज रहा कनाडा का प्रशासन’
पेश मामले में कनाडा बोर्ड सर्विस एजेंसी की तरफ से उन छात्रों को डिपोर्ट करने का नोटिस भेजा गया है जिनके शिक्षा संस्थान से जुड़े एडमिशन ऑफर लेटर फर्जी पाए गए हैं. जिसे लेकर कनाडा में काफी प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं. लवप्रीत नामक छात्र ने सीएनएन-न्यूज18 से बातचीत के दौरान कहा, “यहां बहुत से छात्रों के केस में तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है. यह कहा जा रहा है कि जब वीजा के लिए आवेदन दिया गया तब हमनें अपने पत्रों के साथ फर्जीवाड़ा किया था. यह कैसे हो सकता है कि अब पांच साल यहां रहने के बाद उन्होंने इन पत्रों को फर्जी पाया है. यह वो वक्त है जब हमनें परमानेंट रेजिडेंस (पीआर) के लिए आवेदन देना शुरू कर दिया है.”
इस मुद्दे पर क्या बोली कनाडा की मंत्री?
बड़ी संख्या में हो रहे प्रदर्शन के बीच कनाडा सरकार ने स्टूडेंट को वापस भारत भेजने की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है. इस दिशा में एक सकारात्मक कदम मंगलवार को उठाया गया. कनाडा की इमिग्रेशन मिनिस्टर ने बयान जारी कर कहा है कि सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी ताकि भोले-भाले छात्रों को इसका खामियाजा ना उठाना पड़े. मंत्री सीन फ्रेजर ने कहा, “हम कदम उठाएंगे ताकि जो बच्चे फ्राड का शिकार हुए हैं वो कनाडा में रह सकें. ऐसे छात्र जो जानते बूझते हुए इसका हिस्सा बने हैं उन्हें कनाडा के कानूनों का उल्लंघन करने के लिए खामियाजा भुगतना होगा. ”
चार से 10 लाख में पास कराते हैं IELTS, TOEFL जैसे एग्जाम
सीएनएन-न्यूज18 ने ऐसे रैकेट की जांच शुरू की. यह एजेंट दिल्ली और पंजाब में रहते हुए डील कर रहे हैं. अंडर-कवर कैमरे के सामने एजेंट ने कबूला कि वो कॉलेज ड्रॉपआउट के लिए डिग्री बनाने से लेकर IELTS (इंटरनेशनल इंग्लिश लेंगुवेज टेस्ट) सभी के सर्टिफिकेट का इंतजाम कर सकते हैं. आईलेट टेस्ट के आधार पर ही छात्रों को विदेश जानें का मौका मिल पाता है. दलाल का कहना है कि मोटी रकम खर्च करने वालों के लिए वो कोई भी सर्टिफिकेट तैयार कर सकते हैं. एक एजुकेशन कंसल्टेंट ने दावा किया कि वो पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के किसी भी प्राइवेट कॉलेज की डिग्री 1.3 लाख से दो लाख रुपये तक में बनवा सकता है. उसने आगे बताया कि वां IELTS, TOEFL, or PTE जैसे टेस्ट भी पास करवा देते हैं. बस साढ़े चार लाख से आठ से 10 लाख रुपये खर्च करने की जरूरत है.
दूसरे बच्चे के स्थान पर भी दिलाते हैं पेपर
अपने काम करने तरीके के बारे में बताते हुए एक अन्य एजेंट ने हमारे अंडर-कवर रिपोर्टर से कहा, “हमारे अपने एजेंट के ग्रुप में एक पिक्चर काफी चर्चा में रही. फिर हमनें उस बच्चे के जैसे दिखने वाले किसी अन्य बच्चे का अरेंजमेंट किया ताकि वो पिक्चर में दिख रहे स्टूडेंट की जगह बैठकर पेपर दे सके. जो भी मिलता जुलता बच्चा हमें मिलता है उसे ग्रूम किया जाता है. वो पेपर देकर बच्चे को पास करा देता है. बताया गया कि इस पूरे क्रम में परीक्षा में बैठने वाले बच्चे को सबसे ज्यादा रकम दी जाती है. इसके अलावा एग्जाम ले रहे टीचर से लेकर अन्य लोगों को भी पैसे चढ़ाए जाते हैं.”
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FIRST PUBLISHED : June 13, 2023, 21:55 IST
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