Constitution bench on appointment of election commissioners said any yes man… – चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर संविधान पीठ की तीखी टिप्‍पणी, कहा

[ad_1]

नई दिल्ली. जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि चुनाव आयुक्त की ज़िम्मेदारी जनता के प्रति है. लोग उनसे अपेक्षा रखते हैं कि वो लोकतंत्र को सुरक्षित रखें. चुनाव आयुक्तों (election commissioners) की नियुक्ति को लेकर संविधान पीठ (constitution bench) के फैसले कई महत्‍वपूर्ण बातें कहीं गई हैं.  उन्‍होंने कहा कि एक ऐसा शख्स जो सत्ता के सामने घुटने टेक दे, उन्हें चुनाव आयुक्त नहीं बनाया जा सकता. एक ऐसा शख्स जो अपनी नियुक्ति के लिए एहसानमंद रहे, वो लोकतंत्र की बुनियादी व्यवस्था चुनाव के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता.

जस्टिस अजय रस्तौगी ने कहा कि ज़रूरी है कि नियुक्ति प्रकिया इस तरह से हो कि लोगों को आशंका न रहे कि कोई यस मैन (सरकार की हां में हां मिलाने वाला) लोकतंत्र का भविष्य तय करेगा. भारत जैसे देश में जहां लाखों लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ये वोट का अधिकार ही है, जो ये उन्हें यह उम्मीद बंधाता है कि वह ऐसी सरकार चुन सकते हैं जो उन्हें इस स्थिति से उबारने में मदद करेगी. अगर चुनाव आयोग के सदस्यों के पक्षपाती रवैये के चलते लोगों के इस अधिकार से किसी भी तरीके से समझौता होता है तो यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा.

 जरूरी है कि EC के काम में उच्च स्तर की पारदर्शिता रहे
जस्टिस अजय रस्तौगी ने कहा कि लोगों के चुनाव प्रक्रिया में हिस्सेदारी और विश्वास के चलते ही लोकतंत्र मजबूत हुआ है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के संवैधानिक कोर्ट होने के नाते हम इस बात की इजाजत नहीं दे सकते कि किसी भी तरीके से लोगों का लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास कमजोर हो. जरूरी है कि EC के काम में उच्च स्तर की पारदर्शिता रहे. अगर चुनाव आयोग मनमाने तरीके से काम करेगा तो न केवल EC पर सवाल खड़े होंगे, बल्कि ये लोगों के मन में इन शंका को पैदा करेगा कि लोकतंत्र को कमज़ोर किया जा रहा है.

Tags: Constitution, Election commissioner, Supreme Court, चुनाव आयोग

[ad_2]

Source link