[ad_1]
चंडीगढ़. स्वास्थ्य के क्षेत्र में आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस यानी की एआई कैसे वरदान साबित हो सकता है, इसे लेकर चंडीगढ़ में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (PEC Chandigarh) स्टडी करने के बाद अब एक सॉफ्टवेयर बनाना जा रहा है. इसके जरिए मरीज़ को एआई की मदद से कम समय और एक फोटो से आसानी से पता चल पाएगा उसे मुधमेह यानी शुगर (Sugar Test) है या नहीं.
दरअसल, पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज ने 3 साल तक लगभग फोटो को एनालाइज किया है और फिर हाई एंड जीपीयू ग्राफिक्ल प्रोसेसिंग यूनिट्स (High End GPU’s Graphical Processing Units) की मदद से डाटा तैयार किया है. पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर पूनम सैनी ने बताया कि ब्लड शुगर यानी डाइबिटीज के मरीजों में ग्लूकोज बढ़ने के कारण लाइट सेंसिटिव टिश्यू पर असर पड़ने लगता है.
ब्लड शुगर के कारण आंख की रेटिना जैसे कई अंग कमजोर पड़ने लगते हैं. ऐसी ही बीमारी है डाइबिटिक रेटिनोपैथी. इस बीमारी की वजह से मरीज आंखों से देख नहीं पाते हैं. बीमारी का देरी से पता चलने के कारण मरीज आंखों की रोशनी ही खो देते हैं. किसी बीमारी के हल के लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज ने 3 साल तक रिसर्च करके डाटा तैयार किया है. इससे आसानी से आँखों की एक फोटो खींचकर पता चल पाएगा कि मरिज डायबीटिक रेटिनोपैथी से पीड़ित है और अब जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए तैयार टूल या ऐप से जल्द पता लगाकर इलाज तुरंत संभव हो सकेगा.
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पूनम सैनी बताया कि आज के दौर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एक वरदान साबित हो सकती है. विभाग लगातार काम कर रहा है. क्योंकि डायबीटिक रेटिनोपैथी एक विश्व स्तर पर बड़ी बीमारी है. इसके हल और आसानी को लेकर उन्होंने काम करना शुरू किया. डॉ पूनम सैनी ने बताया कि पिछले 3 साल में लगभग 15 लाख डायबीटिक रेटिनोपैथी से पीड़ित मरीजों की अलग-अलग मेडिकल संस्थाओं से पहले फोटोस को स्कैन किया गया और उसके बाद उनका डाटा तैयार किया गया.इन फोटोस को High End GPU’s Graphical Processing Units यानी की एडवांस कंप्यूटिंग डिवाइस के जरिए स्कैन और साफ किया गया. इसके बाद AI के ज़रिए उसका डाटा तैयार किया गया. अच्छे रेजुलुशन के फोटो फोटो अपलोड करने होंगे.
डॉ. पूनम सैनी.
सक्सेस रेट लगभग 99% से ज्यादा
डॉ. पूनम सैनी ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए इस बीमारी का सक्सेस रेट लगभग 99% से ज्यादा है. यानी की आने वाले दिनों में बहुत ही आसानी और कम समय में दोनों डॉक्टर और मरीज को इसका फायदा हो सकेगा. डॉक्टर सैनी ने बताया कि अभी मरीज को अस्पताल जाकर वहीं ट्रेडिशनल टेस्ट करवाने पड़ते हैं. इसके बाद डॉक्टर मरीजों की जांच करता है जिसमें काफी वक्त और भीड़ अस्पतालों में हो जाती है, लेकिन जल्द ही जब इसका सॉफ्टवेयर बनकर तैयार हो जाएगा तो मरीज खुद आंखों की फोटो खींचकर उसे सॉफ्टवेयर में डालकर पता लग पाएगा कि इस बीमारी से पीड़ित है या नहीं.
.
Tags: Blood Sugar, Chandigarh news, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : April 16, 2024, 15:56 IST
[ad_2]
Source link