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Hindi Academy Bal Utasv 2023: हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा आयोजित बाल उत्सव में गुरुवार को दो नाटक ‘पंच परमेश्वर’ और ‘कागज की टोपी’ का मंचन किया गया. नाटकों का मंचन यमुना विहास स्थित सर्वोदल कन्या विद्यालय में किया गया. इन कहानियों को हिंदी अकादमी की एक महीने चली बाल रंग कार्यशाला के अंतर्गत तैयार किया गया था.
कथा सम्राट प्रेमचंद की चर्चित कहानी ‘पंच परमेश्वर’ पर गौतमपुरी स्थित प्रतिभा बाल विद्यालय में निर्देशक जावेद अब्राहम और सहायक निर्देशक श्रेया सहाय के मार्गदर्शन में छोटे-छोटे बच्चों ने नाटक तैयार किया था. मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर में दो मित्रों जुम्मन शेख और अलगू चौधरी को मित्रता और शत्रुता के बीच पंचायत की मर्यादा का बड़ा ही सुंदर प्रदर्शन किया गया है.
कहानी में जुम्मन शेख की बूढ़ी खाला का कहना है कि उसकी सम्पत्ति जुम्मन को मिलने के बावजूद जुम्मन और उसकी पत्नी करीमन उसकी सेवा ठीक से नहीं कर रहे हैं. जुम्मन की पत्नी करीमन खाला को खरी-खोटी सुनाती रहती है. खाला इस मामले को गांव की पंचायत के सामने उठाती है. पंचायत में खाला जुम्मन के मित्र अलगू चौधरी को अपना पंच चुनती है. पंच के आसन पर बैठकर अलगू पूरा मामला सुनने के बाद अपने दोस्त जुम्मन को दोषी ठहराते हुए खाला के पक्ष में फैसला सुनाता है. इस पर अलगू और जुम्मन की दोस्ती टूट जाती है.
विभिन्न मोड़ों से होती हुई कहानी आगे बढ़ती है. वक्त का पहिया घूमता है और कुछ समय बाद अलगू और गांव के साहूकार समझू साहू के बीच पैसों के विवाद को लेकर पंचायत बैठती है.
समझू साहू अलगू और जुम्मन की दुश्मनी का फायदा उठाते हुए जुम्मन को अपना पंच चुनता है. लेकिन पंच के आसन पर बैठते ही जुम्मन निष्पक्ष होकर अलगू के पक्ष में फैसला सुनाता है. इस तरह कहानी के माध्यम से पंचयात की गरीमा और दो अलग-अलग धर्मों के दोस्तों के मेलजोल की दास्तान को पेश किया गया है.
नाटक में अलगू चौधरी की भूमिका निभाई कुणाल कुमार ने और जुम्मन शेख बने साद कुरैशी. जुम्मन की खाला का रोल निभाया अर्सला ने और जुम्मन की पत्नी करीमन की भूमिका अदा की सिंकी सिंह ने. इनके अलावा मीनाक्षी, मेराज, राजू, शिवांश, अजल, सारा, प्रियांशी, फातिमा, सुमैया नूर, अदनान, मितिश्री, अलिना, आशीष, कायनात, अभय त्रिपाठी, ज़ारा और शैलजा शर्मा आदि ने अलग-अलग भूमिकाएं अदा कीं.
यहां नाटक के निर्देशक जावेद और श्रेया के इस हुनर की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों को एक बड़े मंच पर सशक्त अभिनय के लिए तैयार किया. सभी बच्चों की संवाद अदायगी और अभिनय शानदार था. नाटक में रस परिवर्तन के लिए दो गानों के माध्यम से सभी बच्चों की डांस प्रस्तुति भी प्रभावशाली थी.
वाचस्पति पाठक की कहानी ‘कागज की टोपी’ के मंचन का दृश्य.
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘पंच परमेश्वर’ का बाद वाचस्पति पाठक की कहानी ‘कागज की टोपी’ का मंचन किया गया. ‘कागज की टोपी’ नाटक को मानसरोवर पार्क स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय सेंटर के बच्चों ने तैयार किया था. इस नाटक की निर्देशिका थी रति शर्मा और सहायक निर्देशक थे राहुल.
कागज की टोपी कहानी है एक ऐसी गरीब बूढ़ी औरत की जिस पर कुदरत की ऐसी मार पड़ी कि उसका पूरा परिवार ही खत्म हो गया. अब उसके पास उसका पोता ललित रहता है. कहानी में एक ठाकुर परिवार है. ठाकुर की बहू अपने मायके की हमेशा तारीफ करती रहती है. अमीर घर की बहू के माध्यम से कहानी में कई हास्य पुट दिए गए. संवाद और अभिनय के लिहाज से नाटक का मंचन बहुत उम्दा रहा.
अंशिका, हर्षिता, अथर्व दीक्षित, शौर्य, अनन्या, पर्णिका, काव्या, मौली, छवि, तेजस आदि बच्चों ने सजीव तथा सशक्त अभिनय करके सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.
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Tags: Delhi Government, Hindi Literature, Literature, Literature and Art
FIRST PUBLISHED : June 22, 2023, 21:13 IST
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