1951 में एचजी मुदगल ने 5000 रुपए लेकर लोकसभा में पूछा सवाल, अयोग्य होने वाले पहले सांसद थे

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हाइलाइट्स

लोकसभा में 72 साल पहले एक सांसद को अयोग्य ठहराते हुए उसकी सदस्यता छीनी गई थी
तब से अब तक इस तरह के 06 मामलों में 16 सांसदों की सदस्यता सदन से जा चुकी है
अयोग्य ठहराये गए सांसदों में 14 लोकसभा के रहे हैं तो 02 राज्यसभा के

वर्ष 1951 के बाद से लोकसभा और राज्यसभा से 16 सांसदों की सदस्यता जा चुकी है. उन्हें अयोग्य ठहराया जा चुका है. इसमें राहुल गांधी भी शामिल हैं और इंदिरा गांधी भी. इसके अलावा विजय माल्या और कई अन्य सांसद भी. पहले सांसद जिनकी लोकसभा सदस्यता चली गई थी, वह एचजी मुदगल थे.

पहला मामला 25 सितंबर 1951 का है. संयोग ये सांसद कांग्रेस के ही थे. उनका नाम एचजी मुदगल था. उन्हें संसद में सवाल पूछने के एवज में पैसा लेने के कारण लोकसभा से हटाया गया. उन्हें अयोग्य करार करके सदस्यता ले ली गई. तब तक देश में पहला आमचुनाव नहीं हुआ था. देश में प्रोविजनल सरकार थी.उन्हें सवाल पूछने के लिए किसी बिजनेसमैन से धन मिला था.

एचजी मुदगल ने पैसा लेकर सवाल पूछा था
जब मुदगल पर ये आरोप लगा तो पहले एक विशेष संसदीय जांच समिति गठित की गई. इसके प्रमुख टीटी कृष्णामचारी थे और दूसरे सदस्य प्रोफेसर केटी शाह, सैयद नौशेरली, जी दुर्गाबाई और काशीनाथराव वैद्य थे.

कमेटी 08 जून 1951 को गठित की गई. जिसे संसद द्वारा गठित किया गया. इससे पहले संसद में बहस हुई, जिसमें खुद मुदगल ने भी शिरकत की. जब मुदगल को हटाने के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, उससे पहले मुदगल ने इस्तीफा दे दिया.

नेहरू ने कार्रवाई को सही ठहराया था
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुदगल के खिलाफ एक्शन को जायज ठहराया.उन्होंने कहा कि अगर ऐसे मामलों में संसद कड़ाई नहीं करेगा तो जनता के बीच गलत संदेश जाएगा.

संसदीय समिति ने 387 पेजों की रिपोर्ट दी थी
मुदगल ने पैसा लेकर सवाल पूछा था, इसका पता भी एक स्टिंग आपरेशन से चला. संसदीक कमेटी ने इस मामले में 387 पेज की रिपोर्ट दी, जो संसद ने अगस्त 1951 में पेश की गई. कमेटी इस पूरे मामले की काफी जांच की. उन्होंने ये पता किया कि मुदगल के संपर्क बांबे बुलियन एसोसिएशन से थे. उन्होंने इस एसोसिएशन से धन लेकर उनके फेवर में कई सवाल इस तरह पूछे कि बुलियन एसोसिएशन को इससे लाभ पहुंचे.उनके बिजनेस मे आ रही रूकावटें दूर हो सकें.

लिहाजा ये जाहिर हुआ कि मुदगल ने एक संसद सदस्य की गरिमा को गिराया और सदन की नैतिकता के खिलाफ जाकर काम किया है. संसदीय जांच समिति ने उन्हें दोषी पाया.

मुदगल को 5000 रुपए मिले थे
जांच में ये भी पाया गया कि मुदगल को ना केवल इससे आर्थिक फायदा हुआ बल्कि उन्हें महंगे सामान भी दिए गए. हालांकि इसे लेकर बुलियन एसोसिएशन के बोर्ड मेंबर्स में काफी मतभेद था लेकिन बाद में पता लगा कि काफी वादविवाद के बाद बुलियन एसोसिएशन ने मुदगल को 5000 रुपए दिए थे, ताकि संसद में वो उनके फेवर में सवाल पूछें और माहौल बना सकें.

मुदगल शुरू में इस बात से साफ मुकर गए थे कि उन्हें सवाल के एवज में कोई फायदा हुआ है. बाद में उन्होंने नेहरू के सामने स्वीकार किया कि इसमें उन्हें जैसा प्रचारित किया जा रहा है कि 20,000 रुपए मिले, ऐसा नहीं है बल्कि उन्हें 2700 मिले थे.

1976 में सुब्रह्मण्यम स्वामी की राज्यसभा सदस्यता गई
15 नवंब 1976 को सुब्रह्मण्यम स्वामी को देश से बाहर जाकर संसद को लेकर गलत कमेंट करने की वजह से राज्यसभा से निकाल दिया गया. उनकी सदस्यता चली गई.

आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी की सदस्यता छीनी 
18 नवंबर 1977 को इंदिरा गांधी के खिलाफ प्रधानमंत्री रहते हुए पद के दुरुपयोग और कई अन्य आरोपों के चलते अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. इसके बाद विशेष संसदीय जांच समिति बनी. समिति की रिपोर्ट उनके खिलाफ थी. 18 दिसंबर 1978 को इंदिरा के खिलाफ वोटिंग हुई और उनकी सदस्यता छीन ली गई.

नोट फॉर क्वेरी मामले में 11 सांसद अयोग्य हुए थे
इसी तरह वर्ष 2005 में नोट फॉर क्वेरीज मामले में एक स्पेशल कमेटी लोकसभा में गठित हुई थी. ये पवन कुमार बंसल की अगुवाई में बनाई गई थी. इस कमेटी ने पैसा लेकर संसद में सवाल पूछने वाले 10 लोकसभा सांसदों के खिलाफ जांच की और फिर उन्हें लोकसभा से निकाल दिया गया.

– इसमें कोबरा पोस्ट ने एक स्टिंग आपरेशन के जरिए ये पर्दाफाश किया कि किस तरह कुछ पार्टियों के सांसद नोट लेकर संसद में सवाल पूछने के लिए तैयार हैं. ये मामला सामने आते ही हड़कंप मच गया. किरण बंसल की स्पेशल कोर्ट में इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हुआ. मामला सही पाया गया. इसमें 11 सांसदों का नाम आया. जिसमें 10 लोकसभा के थे और एक राज्यसभा का.
इसमें 06 बीजेपी के थे जबकि 03 बीएसपी के. इसके अलावा 01 आरजेडी और कांग्रेस से. ये थे वाईजी महाजन (बीजेपी), छत्रपाल लोढ़ा (बीजेपी), अन्ना साहेबा एमके पाटिल (बीजेपी), मनोज कुमार (आऱजेडी), चंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी), रामसेवक सिंह (कांग्रेस), नरेंद्र कुमार कुशवाहा (बीएसपी) प्रदीप गांधी (बीजेपी), सुरेश चंदेल (बीजेपी), लाल चंद्र कोल (बीएसपी) और राजा रामपाल (बीएसपी).
फिर इस पर स्पेशल कमेटी बनी, जिसने इन्हें लोकसभा और राज्यसभा से निकालने की सिफारिश की. फिर संसद ने 24 दिसंबर 2005 को इस पर वोटिंग की. ये अपने तरह की ऐतिहासिक वोटिंग थी, जो पहली बार संसद में हो रही थी. तब इन सभी सांसदों को निकाल दिया गया.तब बीजेपी ने इसका बहुत विरोध किया था और संसद को कंगारू कोर्ट कहा था.

फिर माल्या का नंबर आया
वर्ष 2016 में बैंकों से डिफाल्टर होकर लंदन भागने वाले विजय माल्या को भी संसद की एथिक्स कमेटी ने सांसद का गरिमा गिराने वाला मामला पाया. उन्हें राज्यसभा से निकाल दिया गया.

अब राहुल गांधी दो साल की सजा के बाद हटाए गए
अब 2023 में लोकसभा सांसद राहुल गांधी सूरत कोर्ट के 02 साल की सजा के फैसले के बाद लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार देते हुए हटा दिया गया है.

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