होवे यह ऋतुराज प्रफुल्लित, डाह-होलिका दहन करो…होलिका दहन पर अपनों को भेजें खास कविता, शायरी, स्‍पेशल बनाएं दिन

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हाइलाइट्स

होलिका दहन को बुराई पर अच्‍छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है.
इस दिन लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और गले मिलते हैं.

Holika Dahan Poem in Hindi: देशभर में 25 मार्च को होली का त्‍योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने का रिवाज है, जिसे बुराई पर अच्‍छाई की जीत के प्रतीक रूप में मनाया जाता है. आज (24 मार्च) को है होलिका दहन. इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं और बधाई देते हैं. अगर आप भी अपनों को इस खास दिन की बधाई देना चाहते हैं तो होलिका दहन पर लिखी गई कविता या शायरी की पंक्तियां साझाकर जश्‍न को दोगुना कर सकते हैं. आइए पढ़ते हैं इन खास कविताओं और शायरी की लाइंस को.

होलिका दहन पर शेयर करें ये कविताएं (Holika Dahan Poem)

1.अपनी कविता ‘होलिका दहन‘ में कवि शिशुपाल सिंह यादव ‘मुकुंद’ लिखते हैं-
किंशुक फुले हैं लाल-लाल, सरसो पीली फूली है
नव बसन्त-मय फागुन लख कर, रसा प्रकृति संग झूली है
होली पर्व अर्चना प्रमुदित, पट केसरिया पहन करो
होवे यह ऋतुराज प्रफुल्लित, डाह-होलिका दहन करो.

-गाओ फाग उमंगित होकर, चले प्यार रंग पिचकारी
उड़े गुलाल-अबीर चतुर्दिक, महके सुख की फुलवारी
जीयो और जिलाओ सब को, नए वर्ष का नमन करो
भारत के उत्थान हेतु नित, डाह-होलिका दहन करो

-सतयुग में प्रह्लाद इसी दिन, जा बैठा अंगारों पर
इससे पहले कई बार वह, चला शस्त्र की धारों पर
नरसिंह सा नेता पाने को, कष्ट अनेकों सहन करो
राम-राम रटते निशि-बासर, डाह-होलिका दहन करो.
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2. कवि महेंद्र भटनागर अपनी कविता ‘आओ जलाएं’ में लिखते हैं-
आओ जलाएं
कलुष-कारनी कामनाएं!
नए
पूर्ण मानव बने हम,
सकल-हीनता-मुक्त, अनुपम
आओ जगाएं
भुवन-भाविनी भावनाएं!
नहीं हो
परस्पर विषमता,
फले व्यक्ति-स्वातंत्र्य-प्रियता,
आओ मिटाएं
दलन-दानवी-दास्ताएं!
कठिन
प्रति चरण हो न जीवन,
सदा हों न नभ पर प्रभंजन,
आओ बहाएं
अधम आसुरी आपदाएं!

3. होलिका दहन पर अपनी कविता में कवि-अमरेन्द्र ने लिखा है-
-संवत में क्या जला और क्या नहीं जला, क्या जाने
दिखा नहीं प्रह्लाद निकलते और होलिका जलते
जयकारा के पवन-वेग पर हम सब रहे मचलते
घर को लौटे राख लिए और जले हुए कुछ दाने.

-रात हुई तो खड़ी होलिका मिली स्वप्न में मेरे
खूब हंसी जबड़ों को खोले फिर चुपके से बोली
मेरे माथे पर मेरे ही शोणित की दे रोली
और खटोले के चारों ही ओर लगा के फेरे.

-तुम मेरे दुश्मन क्या होगे अपना दुश्मन लगते
मुझे जलाने के चक्कर में वन को जला रहे हो
पंचवटी की स्वर्ण-शिखा लंका में मिला रहे हो
कृष्ण-द्रौपदी की रक्षा में तुम दुःशासन लगते.

-वृक्ष जलाते काट-काट कर नहीं समझते बच्चू
हाथ होलिका खाक लगेगी, हाथ लगेगा कच्चू.

होलिका दहन पर शायरी (Holika Dahan Shayari)

-इस होलिका दहन पर मिलकर करें प्रार्थना
दिल से ना हो कभी विरक्ति
रखें सद्भावना को बचाकर
फैलाएं प्रेम की खुशबू.

-होलिका के इस पवित्र अवसर पर
आओ अपने अंतर्द्वंद्व को जलाएं
नफरत को दूर कर
प्रेम की गुणगान गाएं
होलिका दहन पर संकल्प हो हमारा
सद्भावना की लौ जलाएं.

-जैसे होलिका की आग तेज
वैसे-वैसे हमारी प्रीत रहे अजेय.

(साभार-कविता कोश/ट्रिंग)

Tags: Dharma Aastha, Holi, Holi celebration, Holi festival, Holika Dahan, Lifestyle

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