साहित्य जगत के लिए विशेष उपहार है ‘कबीर ग्रंथावली’, लोकार्पण 4 जून को

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प्रतिष्ठित आलोचक और भक्ति-साहित्य के विशेषज्ञ प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल द्वारा संपादित ‘कबीर ग्रंथावली’ का लोकार्पण 04 जून, रविवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में होगा. ‘कबीर ग्रंथावली’ संत कबीर की रचनाओं का सबसे प्रामाणिक और शुद्धत्तम पाठ है, जिसे राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. ‘कबीर ग्रंथावली’ करीब एक सदी पूर्व श्यामसुंदर दास द्वारा संपादित की गई ‘कबीर ग्रंथावली’ का परिमार्जित और संशोधित रूप है. लोकार्पण कार्यक्रम की शुरुआत विख्यात गायिका शुभा मुद्गल द्वारा कबीर के पद गायन से होगी. कार्यक्रम में हिंदी के विद्वान और चर्चित कवि अशोक वाजपेयी, प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास में एशियाई अध्ययन विभाग में प्रो. दलपत सिंह राजपुरोहित और सुधा रंजनी ‘कबीर ग्रंथावली’ पर बातचीत करेंगे.

‘कबीर ग्रंथावली’ के संशोधित एवं परिमार्जित रूप के प्रकाशन पर राजकमल प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि हिंदी साहित्य जगत को कबीर की रचनाओं का शुद्धत्तम और सबसे प्रामाणिक पाठ ‘कबीर ग्रंथावली’ के रूप में प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है. साहित्य जगत पिछली करीब एक सदी से श्यामसुंदर दास द्वारा संपादित जिस ग्रंथावली का उपयोग करता आया है उसमें रह गई त्रुटियों को दूर करते हुए प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल ने इसे पूर्णतः प्रामाणिक बना दिया है. अशोक महेश्वरी ने कहा कि हमारे लिए यह विशेष प्रसन्नता की बात है कि प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कबीर के प्रति अपने असाधारण प्रेम के चलते श्यामसुंदर दास द्वारा संपादित ग्रंथावली के पाठ-परिमार्जन का बीड़ा उठाया. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि साहित्य जगत और हिंदी समाज के लिए यह एक विशेष उपहार होगा.

प्रामाणिक पाठ है कबीर ग्रंथावली
गौरतलब है कि 626वीं कबीर जयंती के मौके पर लोकार्पित होने जा रही इस ग्रंथावली का संपादन श्यामसुंदर दास ने किया था, जो पहली बार सन 1928 ई. में प्रकाशित हुई थी. श्यामसुंदर दास ने यह संकलन कबीर की रचनाओं की सदियों पुरानी हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर तैयार किया था. कबीर-पंथियों में जो स्थान ‘बीजक’ का है. अकादमिक हलकों में वही स्थान श्यामसुन्दर दास द्वारा सम्पादित ‘कबीर ग्रंथावली’ का है. त‍माम विवादों और असहमतियों के बावजूद आज भी कबीर की रचनाओं के प्रामाणिक पाठ के लिए अध्येता ‘कबीर ग्रंथावली’ का ही सहारा लेते हैं.

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एक सदी बाद शुद्धत्तम पाठ
पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि ‘कबीर ग्रंथावली’ कबीर अध्ययन का आधार ग्रंथ है. 1928 से अब तक इस ग्रंथावली के अनेक संस्करण आ चुके हैं लेकिन पाठ सब में वही चला आ रहा है। पढ़त की भूल या छापे की चूक के कारण अनेक गलतियां छूट गई हैं. वहीं कुछ पदों की पूरी पंक्तियां ही छपने से छूट गई हैं. कबीर का व्यवस्थित अध्ययन शुरू करते ही ग्रंथावली के पाठ की समस्याओं से मुझे भी जूझना पड़ा था. खीझ होती रही कि इस पाठ का संशोधन या परिमार्जन करने की ओर किसी अध्येता ने ध्यान क्यों नहीं दिया. आखिरकार, मैं खुद ही इस काम में लग गया. यथासम्भव प्रामाणिक, बोधगम्य पाठ तक पहुंचने के लिए विविध कबीर-संकलनों की तुलना और पांडुलिपियों से उनका मिलान सभी पाठकों के लिए सम्भव नहीं है. उन्हीं को ध्यान में रखकर यह संकलन तैयार किया गया है.

शुभा मुद्गल के गायन से होगी शुरुआत
‘कबीर ग्रंथावली’ के लोकार्पण कार्यक्रम की शुरुआत 04 जून रविवार को शुभा मुद्गल द्वारा कबीर के पद गायन से होगी. गायन के दौरान अनीश प्रधान तबला वादन करेंगे और सुधीर नायक संवाद संगति देंगे. ‘कबीर ग्रंथावली’ के बारे में शुभा मुद्गल ने कहा कि पुरुषोत्तम अग्रवाल जी के व्याख्यान, लेख, पुस्तक आदि खजाने से कम नहीं है इसी खजाने में ‘कबीर ग्रंथावली’ का नवीन व परिमार्जित संस्करण जोड़ कर पुरुषोत्तम अग्रवाल हम जैसे विद्यार्थियों को उदारता पूर्वक अवसर दे रहे हैं कि लो, कबीर के शब्दों को ठीक से पढ़ो और सुरों में ढालो.

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